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नई दिल्ली: किसी को देखकर आंख मारना (Winking) और हवा में किस करना (Flying Kisses) भी यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है. पॉक्सो कोर्ट (Pocso Court) ने ऐसा करने के आरोपी 20 वर्षीय युवक को एक वर्ष की सजा सुनाई है. साथ ही उस पर 15,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी युवक ने नाबालिग को देखकर आंख मारने और हवा में किस करने जैसे कृत्य किए, जिसे यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) माना जा सकता है. कोर्ट ने आरोपी पर 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया, जिसमें से 10 हजार रुपये पीड़ित पक्ष को दिए जाएंगे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 14 वर्षीय पीड़ित बच्ची ने अदालत (Court) को बताया कि 29 फरवरी को जब वह अपनी बहन के साथ कहीं जा रही थी, तब पड़ोस में रहने वाले आरोपी (Accused) ने उसे देखकर आंख मारी और उसकी तरफ हवा में किस उछाली. आरोपी पहले भी इस तरह की हरकतें कर चुका था और समझाइश के बावजूद उसके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया था. पीड़िता की मां ने बताया कि आरोपी युवक की हरकतों के बारे में पीड़िता ने उन्हें बताया था. उसने कई बार युवक से ऐसा नहीं करने को कहा था, लेकिन जब वो नहीं सुधरा तो उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई.
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मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि बच्ची और उसकी मां द्वारा लगाए गए आरोपों को यौन उत्पीड़न के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. वकील ने यह आरोप भी लगाया कि पुलिस ने मामले की जांच सही ढंग से नहीं की है. हालांकि, कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलों को नजरंदाज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ऐसा कोई कारण नजर नहीं आता, जिससे यह साफ हो सके कि पीड़िता ने गलत आरोप लगाए हैं. हालांकि, इसके पर्याप्त सबूत हैं कि आरोपी को कई बार ऐसी हरकतों से बाज आने को कहा गया. अदालत ने आगे कहा कि किसी को देखकर आंख मारना या हवा में किस करना उत्पीड़न की श्रेणी में आता है.
बचाव पक्ष ने यह आरोप भी लगाया कि पीड़िता की कजन और आरोपी के बीच 500 रुपये की शर्त लगी थी. इसी शर्त की वजह से आरोपी ने उसे देखकर आंख मारी. हालांकि, बच्ची ने अदालत में इस आरोप से इनकार कर दिया. उसने कोर्ट से कहा कि शर्त की बात पूरी तरह गलत है. आरोपी युवक लगातार इस तरह का व्यवहार कर रहा था. बचाव पक्ष ने अदालत में बार-बार यह साबित करने का प्रयास किया कि पीड़िता और उसकी मां की दलीलें सही नहीं हैं, लेकिन कोर्ट ने पीड़िता के पक्ष में ही फैसला सुनाया.
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