Inspiration: जन्म पर मां-बाप ने छोड़ा, NGO में पले-बढ़े; शिक्षित होकर जुड़वा भाई अब करेंगे नौकरी
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Inspiration: जन्म पर मां-बाप ने छोड़ा, NGO में पले-बढ़े; शिक्षित होकर जुड़वा भाई अब करेंगे नौकरी

Inspirational Story: दिल्ली में पैदा हुए जुड़वा भाइयों को माता-पिता ने जन्म के बाद से ही अकेला छोड़ दिया था. 

Inspiration: जन्म पर मां-बाप ने छोड़ा, NGO में पले-बढ़े; शिक्षित होकर जुड़वा भाई अब करेंगे नौकरी

नई दिल्ली: Sohna Mohna Twins Inspiring Story: अमृतसर के जुड़वा भाई सोहणा और मोहणा की स्टोरी इन दिनों लोगों को इंस्पायर कर रही है. जन्म से ही शरीर से जुड़े होने के बाद डॉक्टरों ने कहा था कि दोनों ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह सकेंगे. उनके माता-पिता ने भी उन्हें छोड़ दिया. लेकिन अमृतसर स्थित NGO ने उनकी परवरिश की, जिसका असर ये हुआ कि दोनों में से एक की नौकरी लग गई और अब दोनों अपना पालन पोषण खुद ही कर सकेंगे. 

PSPCL में लगी नौकरी
पंजाब के अमृतसर में जन्में सोहणा को पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PSPCL) में नौकरी मिली है. नौकरी के दौरान मोहणा उसके साथ ही रहेगा. आज से दोनों डेंटल कॉलेज के पास बने बिजलीघर में रेगुलर टी मैट (मेंटेनेंस कर्मचारी) के रूप में काम करेंगे. 11 दिसंबर 2021 को उन्हें अपॉइंटमेंट लेटर दिया गया था.

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कितनी मिलेगी सैलरी
बताया गया है कि सोहणा को हर महीने 20 हजार रुपये की सैलरी मिलेगी. दोनों ने इसी साल जुलाई में इलेक्ट्रिकल डिप्लोमा पूरा किया, फिर उन्होंने कंपनी में जूनियर इंजीनियर के पद पर भर्ती के लिए अप्लाई कर दिया. नौकरी किसे दें, इसे लेकर कंपनी असमंजस में थी, क्योंकि दोनों के पास डिप्लोमा है और दोनों की स्किल भी एक समान ही है. 

कैप्टन ने दिया था आश्वासन
कंपनी मैनेजमेंट ने फाइनल डीसीजन लेते हुए सोहणा को नौकरी पर रखा. नौकरी मिलने के बाद सोहणा ने बताया कि पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नौकरी देने का आश्वासन दिया था. PSPCL के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर ने एप्लीकेशन फॉर्म आने के बाद CM चरणजीत सिंह चन्नी से बात की.

बात करने के करीब 5 महीने बाद उनकी मांग पूरी हुई और स्पेशल केस के तहत सोहणा को नौकरी मिली. बताया गया है कि कंपनी में काम करने के 2 साल बाद सोहणा का प्रमोशन होगा. 

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माता-पिता ने ठुकराया
14 जून 2003 को दिल्ली के सुचेता कृपलानी अस्पताल में दोनों का जन्म हुआ. मां कामिनी और पिता सुरजीत कुमार ने दोनों को साथ ले जाने से मना कर दिया. मां-बाप के ठुकराने के बाद अमृतसर स्थित पिंगलवाड़ा ने दोनों की परवरिश की रिस्पॉन्सिबिलिटी ली और बीबी इंद्रजीत ने दोनों का नामकरण भी किया.

डॉक्टरों ने कहा था, नहीं रहेंगे जिंदा!
जन्म के बाद ही डॉक्टर ने कह दिया था कि दोनों ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रहेंगे. लेकिन कई कठिनाइयों से लड़ते हुए दोनों ही बालिग हुए और अब नौकरी हासिल की. दोनों छाती के निचले हिसले से एक-दूसरे से जुड़ हुए है, सिर, छाती, दिल, फेपड़े और रीढ़ अलग हैं, लेकिन बाकी सारे बॉडी पार्ट्स एक ही है. एक-दूसरे की मदद से दोनों काम करते हैं. 

दोनों ही भाइयों के अलग-अलग आधार कार्ड भी हैं. वहीं डॉक्टरों ने बताया कि दुनिया के 2 लाख लोगों में से किसी एक केस में ही इस तरह की स्थिति होती है. 

घर से ऑफिस जाने में नहीं होगी परेशानी
नौकरी लगने के बाद दोनों डिप्टी कमिश्नर गुरप्रीत सिंह खैहरा से मिलने पहुंचे और घर से ऑफिस आने-जाने की व्यवस्था की मांग की. डिप्टी कमिश्नर ने कंपनी के CMD से बात कर दोनों को घर से ऑफिस लाने ले जाने की व्यवस्था की.  

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