भारत छोड़ो आंदोलन की 79वीं वर्षगांठ (Quit India Movement 79th anniversary ) आज है. महात्मा गांधी के नेतृत्व में 8 अगस्त 1942 को 'क्विट इंडिया मूवमेंट' की शुरुआत हुई थी. महात्मा गांधी ने आज ही के दिन 1942 में 'करो या मरो' आंदोलन की शुरुआत की थी. आइए जानते हैं इस आंदोलन से जुड़े 9 फैक्ट्स के बारे में...
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नई दिल्ली. भारत छोड़ो आंदोलन की 79वीं वर्षगांठ (Quit India Movement 79th anniversary ) आज है. महात्मा गांधी के नेतृत्व में 8 अगस्त 1942 को 'क्विट इंडिया मूवमेंट' की शुरुआत हुई थी. 'क्विट इंडिया मूवमेंट' या फिर भारत छोड़ो आंदोलन को 'अगस्त क्रांति' के नाम से भी जाना जाता है. यह आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण क्षण था. इसने अंग्रेजों को दिखाया कि लंबे समय तक भारत पर शासन नहीं किया जा सकता है. तो आइए जानते हैं इस आंदोलन से जुड़े 9 रोचक तथ्यों पर एक नजर...
1- दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश फौजों की दक्षिण-पूर्व एशिया में हार होने लगी थी. जापान लगातार मित्र देशों पर हमले किया जा रहा था. इसी दौरान मित्र देशों ने ब्रिटेन पर दबाव डालना शुरू किया कि वो भारतीयों का समर्थन प्राप्त करने के लिए कुछ पहल करें. क्योंकि युद्ध में भारतीयों का सहयोग ब्रिटेन को बहुत जरूरी था.
ब्रिटेन ने बिना किसी परामर्श के भारत को युद्ध में झोंक दिया था. इससे कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच गतिरोध पैदा हो गया था. क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद कांग्रेस कमेटी ने 8 अगस्त, 1942 को मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में एक बैठक बुलाई. इसी बैठक में प्रस्ताव पास किया गया कि भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए ये जरूरी हो गया है कि ब्रिटिश शासन को भारत से उखाड़ फेंका जाए.
2- गांधी जी ने इसी सभा में 'करो या मरो' का नारा दिया. यानी इस आंदोलन के जरिए हम या तो आजादी प्राप्त करेंगे या फिर अपनी जान दे देंगे. ये नारा हर भारतीय की जुबान पर छा गया.
3- 'भारत छोड़ो' शब्द स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी नेता यूसुफ मेहर अली द्वारा बनाया गया था. यूसुफ मेहर अली ने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था.
4- महात्मा गांधी के 'करो या मरो' के नारे के बाद भारतीय कांग्रेस के नेताओं के बिना किसी मुकदमें के गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें जेल में डाल दिया गया.
5- युवा अरुणा आसफ अली ने प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति में कांग्रेस के शेष सत्र की अध्यक्षता की. 9 अगस्त को, उन्होंने बॉम्बे (वर्तमान मुंबई) में गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराया.
6- इधर, जैसे ही जैसे ही कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी की खबर फैली भारतीय जनता ने विद्रोह में ब्रिटिश औपनिवेशिक राज्य के खिलाफ फायरिंग शुरू कर दी. गुस्साई जनता ने रेलवे लाइनों को क्षतिग्रस्त कर दिया, टेलीफोन के तार काट दिए, बैंकों को लूट लिया. इसके अलावा सरकारी भवनों और पुलिस थानों में आग लगा दिया.
7- आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर जनत पर जुर्माना लगाया. साथ ही प्रदर्शनकारियों को सार्वजनिक कोड़े मारे और यहां तक कि भीड़ पर गोलियां भी चला दीं. इसके अलावा ब्रिटिश सरकार ने सार्वजनिक जुलूसों, सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था.
8- इसके बावजूद भी राम मनोहर लोहिया, जेपी नारायण, सुचेता कृपलानी बीजू पटनायक और अन्य नेताओं ने अंदर ही अंदर आंदोलन को जारी रखा. यही कारण था कि बाद में ये नेता भारत के राजनीतिक परिदृश्य में प्रमुख व्यक्ति के रूप में उभरे.
9- इसके बाद अंग्रेजों से मुकाबले के लिए समानांतर सरकारें बलिया (उत्तर प्रदेश), सतारा (महाराष्ट्र), तमलुक (पश्चिम बंगाल) और तलचर (उड़ीसा) में स्थापित की गईं. हालांकि इस आंदोलन भारत को आजादी नहीं मिली, लेकिन 1947 में भारत को आजादी मिलने में इस आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका थी.
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