Ek Din Ek Film: जया बच्चन की ‘आनंद’ थी यह फिल्म, लेकिन अमिताभ ने ठान ली जिद इसमें...
Advertisement
trendingNow11843715

Ek Din Ek Film: जया बच्चन की ‘आनंद’ थी यह फिल्म, लेकिन अमिताभ ने ठान ली जिद इसमें...

Hrishikesh Mukherjee Film: मिली अगर आपने नहीं देखी है, तो जरूर देखिए. ऋषिकेश मुखर्जी की आज पुण्यतिथि है. यह उनकी शानदार फिल्म तो है ही, मगर जया और अमिताभ बच्चन ने भी यहां बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया है. कहानी और संगीत आपको याद रह जाते हैं...

 

Ek Din Ek Film: जया बच्चन की ‘आनंद’ थी यह फिल्म, लेकिन अमिताभ ने ठान ली जिद इसमें...

Hrishikesh Mukherjee: यदि आपको निर्माता-निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी (1922-2006) की फिल्म आनंद पसंद है, तो निश्चित ही उनकी मिली भी जरूर देखनी चाहिए. दोनों ही फिल्मों में रिपीट वैल्यू है. ऋषिकेश मुखर्जी को मध्यवर्गीय भारतीय (Indian Middle Class) परिवार के जीवन के यथार्थवादी चित्रण के लिए जाना जाता है. उनकी फिल्में अपनी अपरंपरागत कहानियों और खूबसूरत मानवीय रिश्तों के लिए लोकप्रिय हैं. रोचक बात यह है कि आनंद (Film Anand) और मिली (Film Mili) दोनों एक ही साल में रिलीज हुईं, 1971. दोनों पर आप गौर करें तो उनका सेंट्रल आइडिया समान है. आनंद का नायक और मिली की नायिका दोनों बेहद जिंदादिल हैं, लेकिन मरने वाले हैं. उन्हें गंभीर बीमारियों ने चपेट में ले लिया है.

उम्मीद की किरण
संयोग है कि दोनों ही फिल्मों में आनंद और मिली की बीमारी से जो व्यक्ति सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, उसकी भूमिका अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने निभाई थी. आनंद में डॉक्टर भास्कर बनर्जी बने अमिताभ आनंद सहगल यानी राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) को बचा नहीं पाते, लेकिन मिली में वह जिद पर अड़ जाते हैं. वह मिली से कहते हैं कि हम शादी करेंगे और इलाज के लिए स्विट्जरलैंड (Switzerland) चलेंगे. इस फिल्म में शेखर बने अमिताभ न केवल कैंसरग्रस्त मिली से शादी करते हैं, बल्कि आखिरी सीन में उसे लेकर स्विट्जरलैंड जाते हैं. जहां मिली का इलाज संभव है. फिल्म के अंतिम दृश्य में आसमान में उड़ता हवाई जहाज ‘ओपन एंड’ के साथ उम्मीद को जिंदा रखता है.

टेलीस्कोप का शौक
मिली में जया और अमिताभ बच्चन के साथ अशोक कुमार (Ashok Kumar), उषा किरण, सुरेश चटवाल भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं. मिली में शेखर एक अमीर आदमी है. वह अकेलेपन का शिकार है और किसी से मिलना-जुलना पसंद नहीं करता. उसे टेलीस्कोप से आसमान में देखने का शौक है. उसी के फ्लैट के ऊपर रहने वाली मिली जिंदादिल और खुशमिजाज लड़की है. मिली से मिलकर शेखर की जिंदगी बदलती है. वह सामान्य व्यवहार करने लगता है और वह शराब की लत भी छोड़ता है. लेकिन वह पाता है कि मिली ने उसके घर आना बंद कर दिया है. पूछने पर उसे पता चला कि वह गंभीर रूप से बीमार है.

अलग ट्रीटमेंट
मिली को वास्तव में जया बच्चन की आनंद कहा जा सकता है. फिल्म आनंद और इसमें तमाम समानताएं होने के बावजूद इसका ट्रीटमेंट ऋषिकेश मुखर्जी ने बिल्कुल अलग ढंग से किया है और यह पूरी तरह से रोमांटिक फिल्म (Romantic Film) है. मिली ऐसी फिल्म है, जिसे अवश्य देखा जाना चाहिए. फिल्म का संगीत सचिन देव बर्मन ने तैयार किया है. यह ऋषिकेश मुखर्जी की बेहतरीन में से एक है. आज तमाम फिल्मी दुनिया ऋषिकेश मुखर्जी का स्मरण कर रही है. आज यानी 27 अगस्‍त को उनकी पुण्यतिथि है. मिली को आप यूट्यब और एमएक्स प्लेयर पर फ्री में देख सकते हैं.

Trending news