नई दिल्ली: एक दौर था जब टीवी पर रामानंद सागर के बनाए सीरियल 'रामायण' आता था. रविवार की सुबह हर इंसान अपने सारे काम छोड़कर इस सीरियल को देखता था. इस सीरियल के मुख्य कलाकारों को भी इस तरह शोहरत मिली कि मूर्तिकारों ने भगवान राम-सीता की मूर्तियों में इनका अक्स उतारना शुरू कर दिया. ऐसी शोहरत पाने वाले कलाकार देश के ऑनस्क्रीन राम अरुण गोविल आज अपना 61वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर जानते हैं कुछ खास बातें...


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राम का रोल पाना था मुश्किल 
उस दौर में इतने बड़े बजट में एक बड़ा प्रोड्क्शन हाउस इस सीरियल को बना रहा था. ऐसे में इसका लीड रोल पाना कोई आसान काम तो नहीं ही रहा होगा. अरुण गोविल ने भी एक इंटरव्यू में इस रोल को पाने में आई मुश्किलों का खुलासा किया था. 



अरुण गोविल ने बताया कि उन्हें इस रोल के ऑडिशन में रामानंद सागर ने रिजेक्ट कर दिया था. क्योंकि वह चाहते थे कि राम का किरदार करने वाला इंसान वाकई किसी भी बुरी लत से दूर हो. इसलिए अरुण ने इस रोल के लिए सिगरेट की लत को छोड़ दिया था. लेकिन बाद में राम का किरदार ऐसा भीतर तक उतरा की सिगरेट ने जीवन भर के लिए साथ छोड़ दिया. 


इन दिनों अरुण गोविल मुंबई में प्रोडक्शन हाउस चलाते हैं, जो डीडी नेशनल के लिए सीरियल बनाता है. अरुण इसके साथ ही सामाजिक कामों से भी जुड़े हुए हैं. कुछ समय पहले राम मंदिर पर चल रहे विवाद को लेकर भी अरुण का बयान सामने आया था. 



अरुण गोविल के निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म राम नगर उत्तरप्रदेश में हुआ. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा उत्तरप्रदेश से ही हुई. उन्हीं दिनों यह नाटक में अभिनय करते थे. इनके पिता चाहते थे कि यह एक सरकारी नौकरीपेशा बने पर अरुण गोविल का सोचना विपरीत था. अरुण कुछ ऐसा करना चाहते थे जो यादगार बने, इसलिए सन् 1975 में वह मुंबई चले आए. भाई के व्यवसाय में हाथ बंटाया. उस समय अरुण केवल 17 साल के थे. कुछ दिनों के बाद इन्हें अभिनय के नए नए रास्ते मिलना शुरु हुए.


रामायण के अलावा अरुण ने 'इतनी सी बात' 'श्रद्धान्जलि' 'जियो तो ऐसे जियो' 'सावन को आने दो' जैसी कई फिल्मों में काम किया. 


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