लड़की को सीटी मारने पर पिटाई तय है.. लेकिन इस अनोखे गांव में किसी को बुलाना भी हो तो बजाई जाती है सीटी
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लड़की को सीटी मारने पर पिटाई तय है.. लेकिन इस अनोखे गांव में किसी को बुलाना भी हो तो बजाई जाती है सीटी

Unique Indian Village: दुनिया में हर इंसान की अपनी पहचान होती है, उसका अपना नाम. जन्म के समय ही शख्स को पेरेंट्स द्वारा दिए गए नाम से ही उसे बुलाया जाता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां लोगों की पहचान एक धुन है.

लड़की को सीटी मारने पर पिटाई तय है.. लेकिन इस अनोखे गांव में किसी को बुलाना भी हो तो बजाई जाती है सीटी

Whistling Village of India: भारत विविधताओं से भरा देश है, जहां हर कोने में कुछ न कुछ अनोखा और दिलचस्प मिलता है. मेघालय के कोंगथोंग गांव की कहानी भी ऐसी ही है. इस गांव की खासियत यह है कि यहां लोग एक-दूसरे को नाम से नहीं, बल्कि सीटी की खास धुन से बुलाते हैं. यह परंपरा इतनी अनोखी और अद्वितीय है कि इसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है. आइए, जानते हैं इस अनोखे गांव और इसके रहस्यमय रिवाज की पूरी कहानी.

क्यों कहा जाता है 'व्हिसलिंग विलेज'?
मेघालय का कोंगथोंग गांव, जिसे ‘व्हिसलिंग विलेज’ के नाम से भी जाना जाता है, अपनी सीटी बजाने की परंपरा के लिए मशहूर है. यहां हर बच्चे के जन्म के बाद उसकी मां उसके लिए एक खास धुन तैयार करती है. यह धुन ही उस व्यक्ति की पहचान बनती है और उसे इसी धुन से पुकारा जाता है. इसे स्थानीय भाषा में जिंग्रवई लॉबेई कहते हैं.

600 से ज्यादा धुनों का गांव
इस छोटे से गांव में करीब 600 लोग रहते हैं, यानी हर व्यक्ति की अपनी एक अनोखी धुन है. गांव के लोग एक-दूसरे को इसी धुन के माध्यम से पुकारते हैं. पहाड़ियों के बीच स्थित होने के कारण, सीटी की आवाज दूर तक गूंजती है, जिससे यह तरीका बेहद प्रभावी बनता है.

परंपरा का दिलचस्प इतिहास
कोंगथोंग की यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है. चिड़ियों की चहचहाहट से प्रेरित यह धुनें पर्यावरण के साथ लोगों के गहरे संबंध को भी दर्शाती हैं. यह अनोखी परंपरा न केवल संवाद का एक माध्यम है, बल्कि यह यहां के सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा भी है.

नाम भी हैं, पर पहचान धुन से
यहां पर लोगों के नाम भी होते हैं, जो डॉक्यूमेंट्स में लिखे जाते हैं, लेकिन उन्हें बुलाने के लिए सीटी का इस्तेमाल होता है. यहां के लोगों के आधिकारिक नामों का आम जीवन में इस्तेमाल कम ही होता है. लोग एक-दूसरे को सीटी की धुन से बुलाते हैं. यह परंपरा गांव के शांतिपूर्ण जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है. इसके पीछे बेहद दिलचस्प वजह है. दरअसल, पहाड़ों के बीच सीटी की धुन गूंजती है, जिसके कारण लोगों को बुलाने के लिए लोग सीटी बजाकर एक-दूसरे को बुलाते हैं. सीटी की आवाज दूर-दूर तक गूंजती  और लोगों तक सुनाई देती है. 

 

बाहरी लोगों के लिए चुनौती
गांव के लोग स्वभाव से शर्मीले होते हैं और बाहरी लोगों से बहुत जल्दी घुल-मिल नहीं पाते. यही कारण है कि यह परंपरा बाहरी लोगों के लिए रोमांचक लेकिन चुनौतीपूर्ण बन जाती है.

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