आज जब 'लव जिहाद' के खिलाफ कई राज्य कानून लाने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में इन फिल्मों की चर्चाएं फिर से होने लगी है.
मणिरत्नम की फिल्म 'बॉम्बे' (1995) में भी दो अलग धर्म के युवाओं के बीच प्रेम को दर्शाया गया था. एआर रहमान के संगीत से सजी इस फिल्म में अरविंद स्वामी और मनीषा कोइराला ने मुख्य रोल निभाए थे. फिल्म की कहानी शेखर मिश्रा नारायण और शैला बानो के प्यार पर आधारित है.
निर्देशक अभिषेक कपूर की फिल्म 'केदारनाथ' में दो युवाओं के बीच प्रेम कहानी को दिखाया गया है. इसमें सुशांत सिंह राजपूत ने एक मुस्लिम कुली का रोल निभाया था, जो हिन्दू पर्यटक (सारा अली खान) के प्यार में पड़ जाता है. फिल्म को लेकर हिंदू संगठनों ने जमकर विरोध किया था.
फिल्म 'दहक' (1999) में सोनाली बेंद्रे और अक्षय खन्ना ने मुख्य रोल निभाया था. फिल्म में हिंदू-मुस्लिम युवाओं के बीच प्रेम संबंधों को दिखाया गया है. फिल्म में सोनाली बेंद्रे का डबल रोल है. फिल्म में धर्मनिरपेक्षता के सही अर्थ को गढ़ने की कोशिश की गई है.
करण जौहर की फिल्म 'माई नेम इज खान' दुनियाभर में फैली धार्मिक कट्टरता को दिखाती है. फिल्म में शाहरुख खान एक मुस्लिम युवा का रोल निभाते नजर आए हैं, जो हिन्दू महिला मंदिरा (काजोल) को प्यार करता है.
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