Ustad Zakir Hussain: इस्लाम में अजान का रिवाज है लेकिन जाकिर हुसैन के कान में हुआ था 'तनक धिन धा', मां ने जताया था ऐतराज
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Ustad Zakir Hussain: इस्लाम में अजान का रिवाज है लेकिन जाकिर हुसैन के कान में हुआ था 'तनक धिन धा', मां ने जताया था ऐतराज

Zakir Hussain Death: दुनियाभर में अपने तबले की थाप से जादू बिखेर देने वाले जाकिर हुसैन अब इस दुनिया में नहीं रहे. 73 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया है. इस मौके पर हम आपको उनके जन्म के समय की एक दिलचस्प घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. 

Ustad Zakir Hussain: इस्लाम में अजान का रिवाज है लेकिन जाकिर हुसैन के कान में हुआ था 'तनक धिन धा', मां ने जताया था ऐतराज

Zakir Hussain: तबले पर लगी चमड़े की परत पर जब जाकिर हुसैन अपनी हथेली से थाप और उंगलियों से रक़्स करते थे तो सामने बैठा हर शख्स उनका दीवाना हो जाता था. जाकिर हुसैन ना सिर्फ हाथ से तबला बजाते थे बल्कि उनका चेहरा भी उनकी थाप की तर्जुमानी कर रहा होता था. जिन्होंने जाकिर हुसैन को तबला बजाते हुए देखा है वो ये भी जानते हैं कि जाकिर हुसैन अपने लंबे-घुंघराले बालों के साथ गर्दन को किस तरह झटका देते थे. मगर अफसोस अब दुनिया में कोई भी जाकिर हुसैन की इन अदाओं को नहीं देख पाएगा. क्योंकि भारत मां का यह रौशन चिराग बुझ गया है. जाकिर हुसैन 73 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं. 

73 वर्ष की उम्र में कहा दुनिया को अलविदा

जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया है. उनके परिवार ने सोमवार को यह जानकारी दी. हुसैन के परिवार के मुताबिक इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पैदा होने वाली परेशानियों के चलते उनका देहांत हुआ है. जाकिर हुसैन पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे और बाद में उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया था. उनके देहांत के बाद ना सिर्फ म्यूजिक इंडस्ट्री ने बल्कि पूरे हिंदुस्तान ने अपने एक ऐसे 'प्रवक्ता' को खो दिया, जो तबले के ज़रिए भारतीय संस्कृति को दुनिया के सामने पेश करता था. 

12 वर्ष की उम्र से शुरू किया म्यूजिक

महज़ 12 वर्ष की उम्र से जाहिर हुसैन ने संगीत की दुनिया में अपना जादू बिखेरना शुरू कर दिया था और 22 साल की उम्र में उनका पहला अल्बम 'लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड' रिलीज हुआ था. इसके बाद जाकिर हुसैन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और विरासत में मिली इस कला का जादू दुनिया के दिल-ओ-दिमाग पर हावी कर दिया. ना सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि अन्य देशों में भी उन्हें इतने ही सम्मान की नज़रों से देखा जाता है. 

जाकिर हुसैन के कान में नहीं पढ़ी गई अज़ान

जाकिर हुसैन का जन्म देश को आजादी मिलने के लगभग 4 वर्ष बाद 3 मार्च 1951 को तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के यहां पर हुआ था. कहा जाता है कि जाकिर हुसैन की पैदाइश के बाद उनके कान में इस्लामिक रिवायत के मुताबिक 'अज़ान' नहीं पढ़ी गई थी. जाकिर हुसैन ने खुद यह बात एक इंटरव्यू के दौरान बताई थी. उन्होंने बताया कि जब मेरी पैदाइश हुई और मेरे पिता ने मुझे अपनी गोद में लिया तो उन्होंने रिवायत के मुताबिक मेरे कान में प्रेयर (अज़ान) की जगह पर 'रिदम' सुनाई थी. 

पिता ने बताया क्यों नहीं पढ़ी अज़ान?

जाकिर हुसैन आगे कहते हैं,'मेरे पिता जी को ऐसा करता देख मेरी मां ने कहा कि आप ये क्या कर रहे हैं? आपको इसके कान में प्रेयर पढ़नी है नाकि रिदम.' जाकिर हुसैन बताते हैं उनके पिता ने जवाब दिया,'यही मेरी प्रेयर है, यही मेरे इबादत का तरीका है. यही विद्या मैंने अपने गुरुओं से हासिल की है और मैं इसी शिक्षा को आगे बढ़ा रहा हूं.'

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