जब नाम की वजह से जाकिर हुसैन को अमेरिका में रोककर पूछा अजीब सवाल, पत्नी ने कहा- गूगल कर लो
Zakir Hussain: जाकिर हुसैन 73 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए. पिछले कई हफ्तों दो हफ्तों से अस्पताल में दाखिल जाकिर हुसैन को उनके चाहने वाले अलग-अलग तरीकों से याद कर रहे हैं. साथ ही उनके कुछ पुराने किस्से भी वायरल हो रहे हैं. इस खबर में हम आपको जाकिर हुसैन के साथ घटी एक दिलचस्प घटना के बारे में बताने जा रहे हैं.
Zakir Hussain: तबले के ज़रिए भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में फैलाने वाले जाकिर हुसैन अब इस दुनिया में नहीं रहे. 73 वर्ष की उम्र में उन्होंने अमेरिका में आखिरी सांस ली. उनके निधन के बाद संगीत की दुनिया आज उस्ताद जाकिर हुसैन के शोक में है, जो अब तक के सबसे महान और सबसे प्रभावशाली तालवादकों में से एक थे. जाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत में अपनी अद्वितीय महारत रखते थे. जाकिर हुसैन का निधन 15 दिसंबर, रविवार को सैन फ्रांसिस्को में हुआ.
भारत के सांस्कृतिक राजदूत थे जाकिर हुसैन
परिवार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक उनकी मौत का कारण इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (पुरानी फेफड़ों की बीमारी) बताया गया. उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन विश्व संगीत के एक युग का अंत है. उनका असाधारण करियर लगभग छह दशकों तक फैला था, जिसके दौरान उन्होंने तबले को भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक सहायक वाद्य से दुनिया भर में पहुंचाया. अपनी कला और भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए जाने जाने वाले हुसैन न केवल एक कलाकार थे, बल्कि एक सांस्कृतिक राजदूत भी थे, जिन्होंने पारंपरिक भारतीय लय और वैश्विक संगीत शैलियों के बीच की खाई को पाट दिया.
रविशंकर जैसे दिग्गजों के साथ किया काम
9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे जाकिर हुसैन मशहूर तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के यहां पैदा हुए थे. छोटी उम्र से ही उन्होंने तबला के प्रति एक उल्लेखनीय लगाव दिखाया, और अपनी असाधारण प्रतिभा के लिए जल्दी ही पहचान हासिल कर ली. अपने पूरे करियर के दौरान उस्ताद जाकिर हुसैन ने पारंपरिक भारतीय और वैश्विक संगीत दोनों ही क्षेत्रों में कुछ सबसे प्रतिष्ठित नामों के साथ काम किया. उन्होंने पंडित रविशंकर और उस्ताद विलायत खान जैसे दिग्गजों के साथ काम किया.
जाकिर हुसैन को मिलने वाले सम्मान
संगीत में जाकिर हुसैन के योगदान को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें भारत सरकार की तरफ से पद्म श्री (1988) और पद्म भूषण (2002) के साथ-साथ चार ग्रैमी पुरस्कार शामिल हैं. भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनकी महारत को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 2014 में उन्हें नेशनल हेरिटेज फ़ेलोशिप से सम्मानित किया गया, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में पारंपरिक कलाकारों के लिए सर्वोच्च सम्मान है.
जाकिर हुसैन को लुक और नाम की वजह से इमिग्रेशन पर रोका
जाकिर हुसैन के देहांत के बाद उनके कई पुराने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. एक वीडियो में जाकिर हुसैन अपने साथ घटी दिलचस्प घटना के बारे में बता रहे हैं. जाकिर हुसैन ने बताया कि,'मुझे याद है एक बार जब मैं सैन फ्रांसिस्को में इमिग्रेशन पर गया तो मेरे लुक, मेरे नाम और पासपोर्ट की वजह से मुझे साइड में खड़ा कर दिया गया. इसके थोड़ी देर मुझे बूथ पर बुलाया गया और तरह-तरह के सवाल पूछे गए.'
जाकिर हुसैन से पूछा गया अनोखा सवाल
इस दौरान जाकिर हुसैन से यह भी पूछा गया कि आप क्या करते हैं. इसके बाद उनसे पूछा गया कि क्या आप रवि शंकर को जानते हैं? इसके जवाब में जाकिर हुसैन ने कहा कि हां मैं उन्हें जानता हूं. इसके बाद जाकिर हुसैन बताते हैं कि उन्होंने मुझसे पूछा,'रविशंकर के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा संगीतकार कौन है?' जाकिर हुसैन बताते हैं कि इस सवाल का जवाब मेरी पत्नी ने दिया. उनकी पत्नी ने कहा,'यही हैं, इनको गूगल पर सर्च कीजिए.'