US President Election 2024: दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे मजबूत सैन्य शक्ति वाला देश संयुक्त राज्य अमेरिका 5 नवंबर को अपने नए राष्ट्रपति का चुनाव करने जा रहा है. विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत सहित दुनियाभर के देशों की नजर इस चुनाव पर है. चुनावी मैदान में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति कमला हैरिस हैं. ट्रंप और कमला हैरिस के बीच नीतिगत मतभेदों को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण परिणाम हो सकते हैं. भारत समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था इस चुनाव के नतीजों के आधार बड़े बदलावों का अनुभव कर सकती हैं.


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अमेरिका में मतदान क्यों मायने रखता है?


संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2024 को 'मानव इतिहास का सबसे बड़ा चुनावी साल' करार दिया है. इस साल 72 देशों चुनाव हैं और पूरे साल में दुनिया की लगभग आधी आबादी यानी कुल 3.7 अरब लोग मतदान करेंगे. कुछ देशों में चुनाव हो चुके हैं और कुछ में होने वाले हैं. कुछ देशों के चुनाव दूसरे देशों की तुलना में वैश्विक रूप से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं और इसी में अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव है, जिस पर सबकी नजरें हैं. जैसे-जैसे अमेरिका मतदान की ओर बढ़ रहा है दुनिया सांस रोककर देख रही है, क्योंकि सभी को पता है कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति का प्रभाव महाद्वीपों पर दूरगामी पड़ सकता है.


ट्रंप दूसरी बार बने राष्ट्रपति तो भारत पर क्या पड़ेगा असर?


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अगर पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार चुनाव जीतते हैं और राष्ट्रपति बनते हैं तो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत के भविष्य के रिश्ते संभवतः एक नई दिशा ले सकते हैं. भारत के साथ संबंधों को बढ़ाने में गहरी दिलचस्पी दिखाने वाले ट्रंप ने दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक प्रतिबद्धता जताई है. अमेरिकी चुनाव से ठीक पहले एक्स पर हाल ही में लिखे गए एक पोस्ट में ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी दोस्ती की पुष्टि की और उनके करीबी राजनयिक संबंधों का जश्न मनाया.


भारतीय प्रवासियों को संदेश और बांग्लादेश पर रुख


भारतीय प्रवासियों तक अपनी रणनीतिक पहुंच बनाने के लिए ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हाल ही में हुई हिंसा की निंदा की. बता दें कि रिपोर्टों से पता चलता है कि पिछले 2 महीने में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर बड़े पैमाने पर हमले हुए हैं. इस बीच डोनाल्ड ट्रंप का संदेश दक्षिण एशिया में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सम्मान को बनाए रखने के उनके इरादे को रेखांकित करता है, जो उनके प्रशासन के तहत अमेरिकी विदेश नीति में संभावित बदलावों का संकेत देता है.


पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने एक्स पर दिवाली संदेश में कहा, 'कमला हैरिस और जो बाइडेन ने दुनियाभर में और अमेरिका में हिंदुओं की उपेक्षा की है. वे इजरायल से लेकर यूक्रेन और हमारी अपनी दक्षिणी सीमा तक विनाशकारी रहे हैं, लेकिन हम अमेरिका को फिर से मजबूत बनाएंगे और ताकत के जरिए शांति वापस लाएंगे.' हिंदू अमेरिकी समूहों ने अमेरिका और बांग्लादेश सहित दुनियाभर में हिंदुओं के मानवाधिकारों की रक्षा करने और उन्हें 'कट्टरपंथी वामपंथ के धर्म-विरोधी एजेंडे' से बचाने का वादा करने के लिए ट्रंप की सराहना की है.



पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच तालमेल


डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के बीच दोस्ती कोई नई बात नहीं है. साल 2019 में टेक्सास में आयोजित 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में उनकी दोस्ती साफ तौर पर देखने को मिली थी, जहां ट्रंप ने 50 हजार लोगों की भीड़ के सामने पीएम मोदी की मेजबानी की थी, जो किसी विदेशी नेता के लिए अमेरिका में सबसे बड़ी सभाओं में से एक थी. साल 2020 की शुरुआत में ट्रंप ने अहमदाबाद में आयोजित 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम के लिए भारत का दौरा किया, जिसमें दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में 1 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था. ये हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम आपसी प्रशंसा को दर्शाते हैं, जिसमें ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और भारत की आर्थिक प्रगति की प्रशंसा की.


इंडिया फर्स्ट-अमेरिका फर्स्ट: एक साझा दृष्टिकोण?


पीएम मोदी का 'इंडिया फर्स्ट' दृष्टिकोण ट्रंप के 'अमेरिका फर्स्ट' मंच से मेल खाता है, जिसमें दोनों नेता घरेलू विकास, आर्थिक राष्ट्रवाद और सुरक्षित सीमाओं पर जोर देते हैं. उनकी समान विचारधाराओं ने अमेरिका-भारत हितों के बीच एकता को बढ़ावा दिया है, जो ट्रंप के चुनाव जीतने पर और भी गहरा हो सकता है. रणनीतिक साझेदारी पर ट्रम्प के जोर से भारत के साथ आर्थिक और रक्षा सहयोग बढ़ सकता है, जिसका असर व्यापार से लेकर सैन्य सहयोग तक के क्षेत्रों पर पड़ेगा.


व्यापार और आर्थिक प्रभाव


टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन संभवतः अमेरिका-केंद्रित व्यापार नीतियों को आगे बढ़ाएगा, जो भारत को व्यापार बाधाओं को कम करने या टैरिफ का सामना करने के लिए मजबूर करेगा. इससे आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल जैसे प्रमुख भारतीय क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है, जिनका अमेरिकी बाजार में काफी निर्यात होता है. ट्रंप भारत के टैरिफ पर अपनी चिंताओं के बारे में मुखर रहे हैं, उन्होंने इस मामले में देश को 'दुर्व्यवहार करने वाला' कहा है, जबकि मोदी को 'शानदार व्यक्ति' माना है. संतुलित व्यापार पर जोर देकर ट्रंप का दृष्टिकोण भारत को अपनी व्यापार रणनीतियों को पुनः निर्धारित करने के लिए चुनौती दे सकता है, हालांकि यह संभावित अवसरों के द्वार भी खोलता है.


चीन से टकराव: भारत के लिए एक अवसर?


डोनाल्ड ट्रंप का चीन के प्रति विरोध, खास तौर पर व्यापार और सुरक्षा के मामले में भारत को लाभ पहुंचा सकता है. चीनी विनिर्माण पर निर्भरता कम करने के लिए उनके प्रशासन का प्रयास अमेरिकी कंपनियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है. अनुकूल नीतियों के साथ, भारत इन कंपनियों को आकर्षित कर सकता है, खुद को एक वैकल्पिक उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है और संभावित रूप से आर्थिक विकास को गति दे सकता है.


रक्षा सहयोग को मजबूत करना


ट्रंप के पिछले प्रशासन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए क्वाड-अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक सुरक्षा साझेदारी को मजबूत किया था. ट्रंप के नेतृत्व में, दूसरे कार्यकाल में संयुक्त सैन्य अभ्यास, हथियारों की बिक्री और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जारी रहने की संभावना है. इस तरह के रक्षा सहयोग से भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा, खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ तनाव को देखते हुए.


इमिग्रेशन पॉलिसी और H-1B का भारतीय प्रतिभा पर प्रभाव


ट्रंप की रिस्ट्रिक्टेड इमिग्रेशन पॉलिसी (विशेष रूप से H-1B वीजा कार्यक्रम के संबंध में) ने अमेरिका में कई भारतीय पेशेवरों को प्रभावित किया है. यदि ट्रंप फिर से चुने जाते हैं तो वे इन नीतियों को पुनर्जीवित कर सकते हैं, जिससे कुशल भारतीय श्रमिकों के लिए बाधाएं पैदा होंगी और संभावित रूप से भारतीय प्रतिभाओं, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी पर निर्भर क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ेगा. सख्त आव्रजन नीतियां (Immigration Policies) भारतीय तकनीकी फर्मों को वैकल्पिक बाजारों की तलाश करने या घरेलू स्तर पर अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं, जिससे वैश्विक प्रतिभा परिदृश्य में नई गतिशीलता पैदा होगी.


पाकिस्तान के साथ संबंधों और आतंकवाद विरोधी संतुलन


ट्रंप की दक्षिण एशिया नीतियां भारत के क्षेत्रीय हितों को प्रभावित कर सकती हैं. हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान के साथ सहयोग करने की इच्छा दिखाई है, लेकिन ट्रंप ने आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में जवाबदेही की भी मांग की है. उनका 'शक्ति के माध्यम से शांति' दृष्टिकोण आतंकवाद और उग्रवाद पर अमेरिका के सख्त रुख का संकेत दे सकता है, जो भारत की अपनी सुरक्षा चिंताओं के साथ संरेखित है. ट्रंप के नेतृत्व वाला अमेरिका पाकिस्तान पर आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए अधिक दबाव डाल सकता है, जिससे संभावित रूप से भारत के सुरक्षा उद्देश्यों को लाभ हो सकता है.