Explainer: GDP 8.2 परसेंट के रिकॉर्ड पर, फिर भी लगातार क्यों पिट रहा है रुपया?
USD Vs INR: मार्च में खत्म हुई तिमाही में देश की इकोनॉमी 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी. इसके साथ ही यह आंकड़ा पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गया. भारत दुनिया की प्रमुख इकोनॉमी में सबसे तेजी से इकोनॉमिक ग्रोथ हासिल करने वाला देश बना हुआ है.
Indian Rupee in Dollar: लोकसभा चुनाव के बाद मोदी सरकार का गठन हो गया है. जिम्मेदारी संभालने के बाद मोदी सरकार ने किसान और आम आदमी के हित में फैसले लेना शुरू कर दिया है. इस बीच रुपया बुधवार को अब तक के सबसे निचले स्तर 83.59 पर बंद हुआ. कुछ दिन पहले आए जीडीपी (GDP) ग्रोथ रेट के आंकड़े वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गए. इससे पहले वित्तीय वर्ष में 2022-23 में जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा 7 प्रतिशत था. मार्च में खत्म हुई तिमाही में देश की इकोनॉमी 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी. इसके साथ ही यह आंकड़ा पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गया. भारत दुनिया की प्रमुख इकोनॉमी में सबसे तेजी से इकोनॉमिक ग्रोथ हासिल करने वाला देश बना हुआ है.
भारतीय रुपये में गिरावट से चिंता
जीडीपी ग्रोथ को लेकर सरकार के लिए 8.2 प्रतिशत का आंकड़ा भले ही खुश करने वाला है. लेकिन रुपये में आ रही गिरावट से चिंता बढ़ रही है. इससे पहले जब दिसंबर के आंकड़े आए थे तो पीएम मोदी ने कहा था कि कठिन समय के दौरान यह फिगर इंडियन इकोनॉमी की मजबूती को दर्शाती है. जीडीपी की रफ्तार भले ही सुकून देनी वाली हो. लेकिन डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट सरकार के माथे पर जरूर सिलवट ला रही है. मंगलवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.59 पर बंद हुआ. आइए जानते हैं रुपये के गिरावट के क्या हैं प्रमुख कारण?
दुनियाभर में बढ़ती महंगाई
ग्लोबल लेवल पर बढ़ती महंगाई के कारण निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में अमेरिकी डॉलर का रुख कर रहे हैं. इससे डॉलर की मांग बढ़ रही है और रुपये की मांग घट रही है. इसका असर यह हो रहा है डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है. अमेरिका में पिछले दिनों महंगाई दर बढ़कर रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई थी. हालांकि बाद में इसमें गिरावट देखी गई. इसके बाद उम्मीद की जा रही है कि फेड रिजर्व की तरफ से ब्याज दर में कटौती की जाएगी.
क्रूड के दाम में तेजी
पेट्रोलियम निर्यातक देशों की तरफ से क्रूड का उत्पादन कम करने के फैसले किया गया था. पिछले 12 महीने में इसकी कीमत में करीब 10 प्रतिशत की तेजी आई है. बुधवार को ब्रेंट क्रूड चढ़कर 82 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया. क्रूड के दाम में तेजी आने से भारत को विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करनी पड़ती है. डॉलर की खपत बढ़ने से भी डॉलर के मुकाबले रुपया नीचे आया.
देश का बढ़ता व्यापार घाटा
भारत में आयात बढ़ रहा है लेकिन निर्यात उस रफ्तार से नहीं बढ़ पा रहा है. इससे देश का व्यापार घाटा बढ़ रहा है. इसका असर यह हो रहा है कि रुपये की मांग घट रही है और इसमें गिरावट आ रही है. आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष के दौरान जिन देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ गया, उनमें चीन, रूस, दक्षिण कोरिया और हांगकांग शामिल हैं.
फेड रिजर्व की रिकॉर्ड ब्याज दर
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से महंगाई दर पर लगाम लगाने के लिए पिछले दिनों ब्याज दर में इजाफा किया गया. इससे अमेरिकी डॉलर की प्रतिफल दरें बढ़ रही हैं, जिससे अन्य मुद्राओं की तुलना में डॉलर ज्यादा आकर्षक हो रहा है. इससे भी रुपये डॉलर के मुकाबले नीचे आ रहा है. हालांकि फेड रिजर्व की तरफ पिछले दिनों ब्याज दर को पुरानी दर पर ही बरकरार रखा गया है. आने वाले समय में इसमें कटौती की उम्मीद की जा रही है.
शेयर बाजार की उठापटक
शेयर बाजार में चल रही उठापटक भी रुपये की कमजोरी का कारण बनती है. लोकसभा चुनाव के परिणाम वाले दिन शेयर बाजार में सेंसेक्स 6000 अंक से ज्यादा गिर गया था. हालांकि बाद में इसमें रिकवरी देखी गई. बुधवार को शेयर बाजार में तेजी देखी जा रही है. सेंसेक्स 300 अंक से ज्यादा की तेजी के साथ और निफ्टी 100 अंक से ज्यादा चढ़ गया.