525th Birth Anniversary of Mirabai: राजस्थान में 25 नवंबर को असेंबली चुनाव के वोट डाले जाने हैं. इन चुनावों के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित होंगे. इन चुनावों में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां पूरा जोर लगाए हुए हैं. अब बीजेपी ने कृष्ण की नगरी से मीराबाई के राजस्थान को साधने की तैयारी कर ली है. उसने ऐसा गेमप्लान तैयार किया है, जिसके बारे में कांग्रेस के रणनीतिकारों ने अंदाजा भी नहीं लगाया था. 


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'संत मीराबाई हम सबके लिए प्रेरणाशक्ति'


राजस्थान असेंबली चुनाव से 2 दिन पहले यानी गुरुवार को मथुरा में भगवान कृष्ण की परम भक्त मीराबाई (Rajasthan Elections 2023) का 525वां जन्मोत्सव मनाया गया. खुद पीएम नरेंद्र मोदी इस जन्मोत्सव में शामिल हुए. उन्होंने मीराबाई पर स्मारिका टिकट जारी किया और भगवान कृष्ण जन्मस्थान पर माथा भी टेका. जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा, 'भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्त संत मीराबाई का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणाशक्ति है. मथुरा की पावन धरा पर संत मीराबाई की 525वीं जन्म-जयंती के उत्सव में शामिल होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है!'


मीराबाई का मथुरा से नाता


बताते चलें कि राजस्थान के शाही राजपूताना परिवार से संबंध रखने वाली मीराबाई का ब्रज से अटूट नाता था. वे भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं और अपने जीवन के अंतिम 15 वर्ष उन्होंने कान्हा की नगरी में उनकी आराधना करते हुए गुजारे थे. मीराबाई (Rajasthan Elections 2023) का वृंदावन में मंदिर भी है. राधारानी के बाद वे भगवान कृष्ण की ऐसी परम भक्त थी, जिसकी यूपी और राजस्थान में जबरदस्त सम्मान है. 


चुनाव के वक्त क्यों आई याद?


लेकिन ऐन राजस्थान चुनाव के वक्त बीजेपी (Rajasthan Elections 2023) को मीराबाई की इतनी याद क्यों आ रही है, इसके पीछे गहरी रणनीति छिपी है, जिसे डिकोड करने की जरूत है. राजनीतिक एक्सपर्टों के मुताबिक मीराबाई को सम्मान देकर बीजेपी राजस्थान के मेवाड़ इलाके को साध लेना चाहती है, जहां से असेंबली में सबसे ज्यादा सीटें आती हैं. असल में मीराबाई मेवाड़ के शाही राजपूताना परिवार से संबंध रखती थीं. उनका जन्म राजस्थान के पाली जिले में एक राठौड़ राजपूत शाही परिवार में हुआ और बचपन मेड़ता में बीता था. 


मेवाड़ को साधने की कोशिश


मेवाड़ में महाराणा प्रताप और मीराबाई (Rajasthan Elections 2023) का गहरा सम्मान है और ये दोनों इस इलाके की पहचान बन चुके हैं. राजस्थान असेंबली की कुल 200 सीटों में से 28 सीटें इसी मेवाड़ क्षेत्र से आती हैं. कहते हैं कि जिसने मेवाड़ में जीत हासिल कर ली, उसने राजस्थान जीत लिया. 
अब तक का इतिहास देखें तो राजस्थान में अमूमन ऐसा होता भी आया है. यही वजह है कि चुनाव से 2 दिन पहले बीजेपी ने मेवाड़ क्षेत्र को साधने के लिए मथुरा में मीराबाई का 525वां जन्मोत्सव जोर-शोर से मनाया. यूपी में कार्यक्रम होने की वजह से वह आचार संहिता के उल्लंघन से भी बच गई और मेवाड़ के लोगों को सीधा संदेश भी दे दिया. कांग्रेस के पास अब तक इसका कोई तोड़ नहीं दिखा है.