Maharashtra-Jharkhand Election Results Rahul Gandi: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बीच कांग्रेस और राहुल गांधी की राजनीतिक स्थिति को लेकर बहस शुरू हो गई है. महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे को 'ये अपेक्षित था' बताने वाले भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने ज़ी न्यूज से कहा कि राहुल गांधी का कोई भविष्य नहीं है. इसके साथ ही यह तलाशा जाने लगा है कि दोनों राज्यों के चुनावी नतीजे  राहुल गांधी के लिए क्या मैसेज दे रहे?


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महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित, विश्लेषण का वादा


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के नतीजे को अप्रत्याशित बताया और कहा कि इसका विश्लेषण करेंगे. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे अप्रत्याशित हैं जिनका विस्तार से विश्लेषण किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा, ''महाराष्ट्र के नतीजे अप्रत्याशित हैं और इनका विस्तार से विश्लेषण किया जाएगा. प्रदेश के सभी मतदाता भाई-बहनों को उनके समर्थन और सभी कार्यकर्ताओं को उनकी मेहनत के लिए धन्यवाद."


झारखंड चुनाव के नतीजे पर इंडिया गठबंधन को दी बधाई


राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर महाराष्ट्र के साथ ही झारखंड चुनाव के नतीजे पर भी बधाई पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, "झारखंड के लोगों का इंडिया गठबंधन को विशाल जनादेश देने के लिए दिल से धन्यवाद. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, कांग्रेस और झामुमो के सभी कार्यकर्ताओं को इस विजय के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. प्रदेश में गठबंधन की यह जीत संविधान के साथ जल-जंगल-ज़मीन की रक्षा की जीत है."



महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे में कहां खड़ी है कांग्रेस?


महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति की प्रचंड जीत ने कांग्रेस को दो साल पहले गुजरात में मिली करारी हार की याद दिला दी. गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में  कांग्रेस को महज 17 सीटें ही मिल पाई थी. करारी हार के चलते गुरात में दो दशकों से ज्यादा समय से सत्ता से बाहर कांग्रेस के हाथ से विधानसभा में नेता विपक्ष का पद भी छिन गया था. महाराष्ट्र में इसके साफ संकेत दिख रहे हैं. महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के किसी भी घटक दल को नेता विपक्ष के पद के लिए अनिवार्य न्यूनतम 29 सीटें भी नहीं मिली हैं. 


विधानसभा में नेता विपक्ष की कुर्सी को पाने के नियम क्या हैं?


नेता विपक्ष की कुर्सी को पाने के नियम के मुताबिक विधानसभा में कम से कम 10 प्रतिशत सीटों पर जीतना जरूरी है. कांग्रेस को 15 सीटें ही मिली हैं. महा विकास आघाड़ी में हुए सीटों के मुताबिक कांग्रेस ने 100 विधानसभा सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा था. साथ ही बीते चुनाव में कांग्रेस 147 सीटों पर लड़कर 44 पर जीत दर्ज की थी. राज्य में कांग्रेस का वोट शेयर 12 प्रतिशत के आसपास है. हरियाणा में सत्ता के करीब आकर पिछड़ जाने के बाद कांग्रेस के लिए यह लगातार दूसरा बड़ा झटका है.
 
झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे में कहां खड़ी है कांग्रेस?


झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए मरहम लगाने का काम कर सकते हैं. यहां कांग्रेस के हाथ 16 सीटें लगी हैं. झामुमो गठबंधन में शामिल कांग्रेस ने पिछली बार से एक सीट कम यानी 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि, इस बार भी उसके विधायकों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ. यानी झारखंड में कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं हुआ और वह सत्ता में बरकरार है, लेकिन यहां हेमंत सोरेन के बढ़े राजनीतिक कद ने राहुल गांधी को असमंजस में डालने वाला है.  हालांकि, इन दोनों राज्यों के चुनावी नतीजे ने कांग्रेस और राहुल गांधी को गंभीर राजनीतिक संदेश दिए हैं.


महाराष्ट्र-झारखंड चुनाव के नतीजे राहुल गांधी के लिए क्या मैसेज है?


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे राहुल गांधी और उनकी पार्टी के लिए अलार्मिंग सिचुएशन की तरह है. महाराष्ट्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच 75 विधानसभा सीटों पर सीधी टक्कर थी. इनमें से ज्यादातर सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीत गए. आमने-सामने की फाइट में कांग्रेस के चित हो जाने का विश्लेषण करने के वादे पर अमल करना राहुल गांधी के लिए नतीजे का सबसे बड़ा मैसेज है. उसके बाद झारखंड में साथी दलों के बीच समन्वय रखने की कोशिश दूसरा बड़ा संदेश है.


झारखंड में कांग्रेस को अपना गठबंधन धर्म सही से निभाने का संदेश 


झारखंड में कांग्रेस को अपना गठबंधन धर्म भी सही से निभाने का संदेश दिया है. झारखंड ने इंडिया गठबंधन के मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के लिए एक भी चुनावी रैली नहीं की. दूसरे घटक दलों ने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए जमकर चुनाव प्रचार किया था. 


झारखंड चुनाव में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने कुल छह रैलियां की थी. सभी सीटों पर कांग्रेस के ही उम्मीदवार मैदान में थे. दोनों नेताओं ने इंडिया गठबंधन के सहयोगी झामुमो के लिए एक भी चुनावी रैली नहीं की थी. राहुल और खरगे के झामुमो उम्मीदवारों के लिए प्रचार ना करने को लेकर रांची में सियासी हलचल शुरू हो गई थी.  


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भाजपा के 'बंटेंगे तो कटेंगे' और 'एक हैं तो सेफ हैं' से बड़ा मुकाबला


महाराष्ट्र में राहुल गांधी अपनी जनसभाओं में संविधान, लोकतंत्र और जात‍िगत जनगणना का मुद्दा जोरशोर से उठाया था. लोकसभा चुनाव में ये मुद्दा महाराष्‍ट्र और उत्तर प्रदेश में टेस्टेट था. लेकिन इस बार महाराष्ट्र में इस बार ये मुद्दा भाजपा के 'बंटेंगे तो कटेंगे' और 'एक हैं तो सेफ हैं' से मुकाबले में फेल हो गया. राहुल गांधी को अब नए सियासी मुद्दे की खोज करनी होगी. महाराष्‍ट्र के चुनावी नतीजे के बाद विरोधी अधिक ताकत से राहुल गांधी के कद और सियासत पर सवालिया निशान उठाएंगे.


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विवादित और संवेदनशील मुद्दों पर भावनाएं जाहिर करने में सावधानी


महाराष्‍ट्र में करीब 12 फीसदी दल‍ित, लगभग 38 फीसदी ओबीसी, आद‍िवासी 9 फीसदी हैं तो मराठा लगभग 28 फीसदी हैं. संव‍िधान और आरक्षण की बात से इन वर्गों को लुभाने की कोश‍िश का दांव लोकसभा चुनाव की तरह कामयाब नहीं हो सका. वहीं, नागपुर और वहां स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं, उससे जुड़े लोगों और विचारधारा पर हमला, वीर सावरकर पर नकारात्मक बयान, हिंदुत्व को लेकर उपहास की बातें वगैरह राहुल गांधी के लिए नुकसानदेह साबित हुई. आगे वह अपनी रणनीति पर फिर से विचार कर सकते हैं. 


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