Explained: ट्रंप के शॉक का ऐसा डर कि भारत को प्यार की `झप्पी` देने लगा चीन, जानिए क्यों ड्रैगन के लिए जरूरी हैं हम
India China Relation: चीन की ओर से भारत के साथ संबंध सुधारने की दिशा में काम हो रहा है. ऐसा नहीं है कि ड्रैगन का हृदय परिवर्तन हो गया है, बल्कि इसके बीच अमेरिका का प्रेशर है, जो डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद उसे दिखने लगा है.
India China Relation: भारत और चीन के बीच संबंधों की बात होती है तो सीमा विवाद से लेकर चीन की बढ़ती दखलअंदाजी और धौंस दिखाने की उसकी आदत हमेशा आड़े आती है. सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ अक्सर उसके संबंध तनावपूर्ण ही रहेंगे है, लेकिन अचनाक से भारत और चीन के बीच कड़वाहट कम होती दिख रही है. पहले दोनों देशों के बीच LAC पर सहमति बनी है. अब दोनों देश के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने पर जोर बढ़ रहा है. भारत-चीन के विदेश मंत्रियों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने, नदियों के जल बंटवारे और दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने के मुद्दों पर बात बढ़ी है. चीन की ओर से भारत के साथ संबंध सुधारने की दिशा में काम हो रहा है. ऐसा नहीं है कि ड्रैगन का हृदय परिवर्तन हो गया है, बल्कि इसके बीच अमेरिका का प्रेशर है, जो डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद उसे दिखने लगा है.
भारत के साथ संबंध सुधारने में जुटे जिनपिंग
बीते कुछ दिनों से चीन जिस तरह से भारत के साथ अपने संबंधों को दुरुस्त करने में जुटा है, उससे दिखने लगा है कि वो किस तरह से अमेरिका में ट्रंप की वापसी से घबराया हुआ है. शी जिनपिंग समझ चुके हैं . चीन की अर्थव्यवस्था पहले से हिली हुईं है.चीन का विकास दर घटता जा रहा है. 22 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में चीन की विकास दर गिरावट के साथ 4.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि भारत का जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रह सकता है. अमेरिका की ओर से दवाब बढ़ने की आशंकाओं में चीन के पास भारत के साथ संबंधों को सुधराने के अलावा कोई बेहतर विकल्प नहीं बचता. भारत में चीनी निवेश के सख्त नियम है, और भारत जैसे बढ़ते बाजार में चीन अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है. ऐसे में संबंधों को सुधारने पर जोर दे रहा है.
अमेरिका के दवाब को कम करने के लिए भारत है जरूरी
नए साल में अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठ जाएंगे. ट्रंप की वापसी चीन के लिए बड़ा खतरा है. ट्रंप को चीन के खिलाफ बेहद कड़ा रुख अपनाने वाला नेता माना जाता है. सत्ता में वापसी से पहले ही उन्होंने इसकी झलक दे दी थी. अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलने वाली ट्रंप ने साफ कहा था कि वो अमेरिका को चीनी माल के लिए डंपिंग जोन नहीं बनने देंगे. उन्होंने चीनी सामानों पर 60 से 100 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही है. अगर ऐसा होता है तो चीन की डगमगा रही अर्थव्यवस्था धराशायी हो सकती है .
भारत चीन संबंधों के सुधारने के बीच ड्रैगन की मंशा
अमेरिका से मिलने वाले संभावित झटके से चीन हिला हुआ है. ऐसे में चीन अमेरिका से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भारत सो निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर सकता है. इसी मंशा के चलते जिनपिंग चीन और भारत के संबंधों पर जमी बर्फ पिघलाने में जुटे हैं. वर्तमान में भारत को चीनी निर्यात 100 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है. ऐसे में भारत की अनदेखी कर पाना उसके लिए आसान नहीं है. वहीं चीन और अमेरिका के बीच करीब 500 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है. अगर ये आंकड़ें हिले तो चीन की अर्थव्यवस्था क्रैश हो सकती है. इसी डर से चीन दूसरा विकल्प तैयार करने में जुटा है.
ट्रंप राज का दवाब
अमेरिका-भारत सामरिक एवं साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी की माने तो ट्रंप प्रशासन की वापसी का दबाव कम करने के लिए चीन अब भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है. चीन विरोधी रूख रखने वाले ट्रंप की वापसी के चलते चीन पर भारत के साथ व्यवहार को आसान बनाने का दबाव बनाया है. इसीलिए सीमा पर गश्त पर सहमति बनी है. सीधी उड़ानों पर सहमति बनी है. अघी ने कहा, कि वे भारत आने वाले चीन के लोगों के लिए अधिक वीजा भी जारी करेंगे. आप देख रहे हैं कि ट्रंप की जीत का भारत-चीन संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
चार साल का विवाद हुआ खत्म
भारत ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उसने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर चीन के साथ समझौता कर लिया है, जिससे चार साल से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध समाप्त हो गया. चीन की ओर से यह अनुमान लगाया जा रहा था ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिका के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हो जाएंगे. इसलिए कई मोर्चों पर तनाव क्यों रखें.. अअमेरिका में नया प्रशासन विनिर्माण को चीन से दूर ले जाने और अमेरिका में ही रोजगार सृजन की योजना बना रहा है.
चीन अमेरिकी हितों के खिलाफ
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की एक खबर के अनुसार, अमेरिका में कांग्रेस की एक समिति ने सिफारिश की है कि चीन के साथ अपने व्यापार संबंधों को अमेरिका कड़ा करे और लगभग 25 साल पुराने उस फैसले को वापस लेने पर जोर दे जिसने चीन की तीव्र आर्थिक वृद्धि में मदद की थी और जिसे अब अमेरिका में कई लोग अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने वाला मानते हैं. ‘अमेरिका-चीन आर्थिक तथा सुरक्षा समीक्षा आयोग’ ने मंगलवार को कांग्रेस को भेजी अपनी नौ पन्नों की वार्षिक रिपोर्ट में पहली बार चीन के साथ स्थायी सामान्य व्यापार संबंधों को समाप्त करने का आह्वान किया. यह कदम ट्रंप और कई प्रमुख रिपब्लिकन सांसदों की विचारधारा के अनुरूप है क्योंकि आने वाले प्रशासन के तहत चीन के साथ व्यापार युद्ध के तेज होने के आसार हैं.