Explainer: नाक-मुंह बंद करके सांस रोकना नामुमकिन क्यों है? बॉडी का सेफ्टी मैकेनिज्म समझिए
Science News: हमारा शरीर गजब की मशीन है. आप बहुत अधिक समय तक अपनी सांस नहीं रोक सकते. कोशिश करेंगे तो शरीर के तमाम सिस्टम काम पर लग जाएंगे और दम घुटने से रोक लेंगे.
बचपन में नाक बंद करके सांस रोकने की कोशिश शायद आपने भी की हो! लेकिन आखिरकार आप पकड़ ढीली कर देते हैं या छटपटाकर मुंह से सांस लेने लगते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि दम घुटने तक या बेहोश होने तक अपनी सांस रोकना असंभव है. आपका शरीर ही आपको इसकी इजाजत नहीं देता. जीवन बहुत अनमोल है. इस लेख का मकसद आपको इंसानी शरीर के इस चमत्कारी मैकेनिज्म से रूबरू कराना है.
जब आप लंबे समय तक सांस रोकने की कोशिश करते हैं तो शरीर के तमाम सिस्टम एक्टिवेट हो जाते हैं. एक फेल हुआ तो दूसरा आपको सांस खींचने पर मजबूर देगा. और यही काबिलियत तो इंसानी शरीर को अद्वितीय बनाती है. दिल की धड़कन और सांसें तब तक लगातार चलती हैं, तब तक जीवन है. आप लगातार सांस लेते रहें, इसके लिए दिमाग के कई हिस्से बैकग्राउंड में काम करते रहते हैं.
सांस रोक दम घोटने से कौन बचाता है?
कनाडा की विंडसर यूनिवर्सिटी में काइनेसियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एंथनी बैन हमें दिमाग के उन क्षेत्रों के बारे में बताते हैं. उन्होंने 'लाइव साइंस' से कहा कि सबसे पहले 'मोटर कॉर्टेक्स' को पता चलता है आप सांस नहीं ले रहे. यह आपके श्वसन केंद्र को सिग्नल भेजता है जो जो मस्तिष्क का आधार है, यानी मेडुला. एंथनी के अनुसार, यह उन मांसपेशियों को नियंत्रित करता है जो आपको सांस लेने में मदद करती हैं, जैसे कि डायाफ्राम, फेफड़ों को फुलाने और खाली करने के लिए जिम्मेदार मुख्य मांसपेशी, और इंटरकोस्टल मांसपेशियां, जो पसलियों के बीच स्थित होती हैं और हर सांस के साथ छाती को फैलाने में मदद करती हैं.
सांस लेना जारी रखने वाला दिमाग का दूसरा हिस्सा ब्रेन स्टेम में नीचे की ओर मौजूद एक नेटवर्क है, जिसे प्री-बॉट्जिंगर कॉम्प्लेक्स कहा जाता है. यह शरीर के रेस्पिरेटरी रिद्म जनरेटर की तरह काम करता है. एंथनी ने बताया कि यह काफी कुछ दिल की धड़कन जैसा होता है और लगातार चलता रहता है, तब भी जब आप अपनी सांस रोके रखते हैं. जब आप सांस नहीं ले रहे होते हैं, तब भी यह आपको सांस लेने के लिए कोशिश करते रहने को कहता है.
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कीमोरिसेप्टर नामक कोशिकाओं के समूह शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर पर नजर रखते हैं. इनके दो प्रकार होते हैं: सेंट्रल कीमोरिसेप्टर और पेरिफेरल कीमोरिफ्लेक्स. सेंट्रल कीमोरिसेप्टर्स दिमाग में पाए जाते हैं और मुख्य रूप से केवल कार्बन डाइऑक्साइड पर प्रतिक्रिया करते हैं. पेरिफेरल कीमोरिफ्लेक्स गर्दन में, लैरिंक्स (वॉयस बॉक्स) के पास स्थित होता है. एंथनी ने बताया कि जब आप लंबे समय तक सांस रोककर रखते हैं तो ये कोशिकाएं कार्बन डाइऑक्साइड और फिर ऑक्सीजन के निम्न स्तर दोनों पर प्रतिक्रिया करती हैं.
इन सबके इतर, फेफड़ों में ऐसे रिसेप्टर्स होते हैं जो उस खिंचाव को भांप लेते हैं जो उनके फूलने और सिकुड़ने पर होता है. जब आप अपनी सांस रोकते हैं और फेफड़े खिंचना बंद कर देते हैं, तो दिमाग में खतरे की घंटी बजने लगती है.
इनमें से किसी भी सिस्टम को अगर कुछ गड़बड़ लगता है तो वह दिमाग के रेस्पिरेटरी सेंटर को स्ट्रेस सिग्नल भेजता है. फिर यह आपके दोबारा सांस लेना शुरू करने के लिए हरसंभव जतन करता है.
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कैसे कुछ लोग मिनटों तक रोक पाते हैं सांस?
WebMD के अनुसार, अधिकतर लोग 1 से 2 मिनट तक अपनी सांस रोक सकते हैं. कितनी देर तक आराम से और सुरक्षित ढंग से सांस रोकी जा सकती है, यह आपके शरीर और जेनेटिक्स पर निर्भर करता है. अगर आप अनुभवी नहीं हैं तो 2 मिनट से ज्यादा सांस रोकने की कोशिश न करें, खासतौर से पानी के भीतर. यह जानलेवा हो सकता है.
पहाड़ों में रहने वाले लोग आसपास के वातावरण और जेनेटिक्स की वजह से थोड़ा अधिक समय तक सांस रोक सकते हैं. डाइवर्स जिन्हें काफी समय पानी के नीचे गुजारना होता है, बहुत अभ्यास के बाद ऐसा कर पाते हैं.
अपनी मर्जी से, सबसे लंबे समय तक सांस रोककर रखने का रिकॉर्ड एक क्रोएशियाई फ्री डाइवर, बुदिमिर सोबत के नाम है. 2021 में, सोबत ने 24 मिनट, 37 सेकंड तक अपनी सांस रोककर रखी. लेकिन ऐसा करने के लिए डाइवर्स या एक्सट्रीम ब्रेथ होल्डर्स अपनी कोशिश से कई मिनटों पहले तक शुद्ध ऑक्सीजन में सांस लेते हैं. शुद्ध ऑक्सीजन लिए बिना किसी व्यक्ति द्वारा अपनी सांस रोके रखने का सबसे लंबा रिकॉर्ड 11 मिनट और 34 सेकंड का है.