अगर आप पिछले कुछ समय से खुद को लगातार उदास और उत्साहहीन महसूस कर रहे हैं, तो यह केवल मूड स्विंग्स या तनाव का नतीजा नहीं हो सकता है. यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का शुरुआती संकेत भी हो सकता है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर व्यक्ति लंबे समय तक ऊर्जा की कमी, अनमनेपन और निराशा का अनुभव करता है, तो यह डिमेंशिया का शुरुआती लक्षण हो सकता है.


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डिमेंशिया एक मानसिक बीमार है, जो व्यक्ति की मेमोरी, तर्क क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता को धीरे-धीरे प्रभावित करता है. यह एक प्रगतिशील रोग है, जो समय के साथ बढ़ता जाता है. शुरुआती दौर में इसके लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन समय के साथ यह गंभीर हो जाते हैं. डिमेंशिया के सबसे सामान्य रूपों में अल्जाइमर रोग शामिल है.


उत्साहहीनता के संकेत
अगर व्यक्ति अपने रोजमर्रा के कामों में रुचि खो देता है, दोस्तों और परिवार के साथ बातचीत से दूरी बनाने लगता है, और अपनी पसंदीदा गतिविधियों में भी रुचि नहीं दिखाता है, तो यह डिमेंशिया का शुरुआती संकेत हो सकता है. इन लक्षणों के साथ-साथ व्यक्ति की स्मरण शक्ति में कमी, ध्यान की कमी, और निर्णय लेने की क्षमता में भी गिरावट आ सकती है.


क्यों होता है ऐसा?
डिमेंशिया के शुरुआती चरणों में दिमाग के कुछ हिस्सों में सूजन या अन्य बदलाव होने लगते हैं, जो दिमाग की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं. इससे व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और वह खुद को उत्साहहीन और उदास महसूस करता है. इसके अलावा, डिमेंशिया से जुड़े न्यूरोट्रांसमीटर का असंतुलन भी व्यक्ति के मूड और व्यवहार में बदलाव का कारण बन सकता है.


कैसे करें पहचान?
अगर आप या आपके किसी करीबी में इन लक्षणों का अनुभव हो रहा है, तो इसे नजरअंदाज न करें. शुरुआती चरण में डिमेंशिया की पहचान और इलाज संभव है. इसके लिए व्यक्ति को नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक, जल्दी पहचान और सही इलाज से इस रोग के प्रभाव को कम किया जा सकता है.