हर किसी को फिट बॉडी की चाहत होती है, लेकिन आपने अक्सर महिलाओं को अपने फिगर की ज्यादा फिक्र करते देखा होगा. उन्हें हर चीज से ज्यादा वजन बढ़ने की चिंता रहती है. हर महिला चाहती है कि वो अपने यंग एज वाले कपड़ों में फिट आती रहे.


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बॉलीवुड में भी ऐसी कई ऐक्ट्रेस हैं जिन्हें उनकी बढ़ती उम्र के साथ और भी ज्यादा पसंद किया जाने लगा और उसकी वजह है उनकी फिटनेस. फिर वो चाहे शिल्पा शेट्टी हों, मंदिरा बेदी हों या मलाइका अरोड़ा. यही नहीं यंग जेनरेशन एक्टर्स की भी पहली प्रायोरिटी फिट बॉडी है. फिटनेस के लिए इनका क्रेज लाखों महिलाओं को प्रभावित करता है. 


बॉलीवुड अभिनेत्रियों जैसी फिटनेस और मेंटेन फिगर की चाह रखने वाली हर महिला इसके लिए तमाम तरीके भी आजमाती हैं. कोई जिम जाता है, कोई जुंबा करता है तो किसी को फिट बॉडी का राज योग में नजर आता है. इसी में एक नया ट्रेंड है इंटरमिटेंट फास्टिंग. सबसे पहले आपको इसका मतलब समझाते हैं कि आखिर ये इंटरमिटेंट फास्टिंग होती क्या है और इससे वजन कैसे कम होता है.


क्या होती है इंटरमिटेंट फास्टिंग?
इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब है कुछ घंटे खाना और फिर लंबे अंतराल तक उपवास रखना.इंटरमिटेंट फास्टिंग तीन तरीके से की जाती है. इसका सबसे पॉपुलर तरीका है टाइम रिस्ट्रिक्टेड डाइट, इसमें आमतौर पर 8 घंटे तक आप खा सकते हैं फिर 16 घंटे कुछ नहीं खा सकते. दूसरा तरीका है, हर दूसरे दिन 24 घंटे का उपवास यानी पूरी तरह खाने पर ब्रेक. तीसरा तरीका है हफ्ते में दो दिन व्रत, इस दौरान पानी, नारियल पानी, नींबू पानी जैसी चीजें ले सकते हैं.


खतरनाक साबित हो सकती है इंटरमिटेंट फास्टिंग
जरा सोचिए एक दिन आपको पता चले कि जो रूटीन आप अच्छी सेहत पाने के लिए फॉलो कर रहे थे वो आपकी सेहत पर भारी पड़ रहा है तो? झटका लगना तय है. दरअसल इंटरमिटेंट फास्टिंग पर एक नई रिसर्च आई है जिसने सबको हैरान कर दिया है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने शिकागो में हुई एक कांफ्रेंस में इंटरमिटेंट फास्टिंग पर रिसर्च की कुछ बड़ी बातें शेयर कीं जिनमें ये निकलकर आया कि लंबे समय तक इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से दिल की बीमारी से मौत का खतरा 91 प्रतिशत तक बढ़ सकता है.


20 हजार लोगों के डाटा का किया गया विश्लेषण
20 हजार वयस्क लोगों के डाटा के आधार पर इस रिसर्च को किया गया है. इन सभी की औसत उम्र 48 वर्ष थी. इसमें आधे पुरुष और आधी महिलाएं शामिल थीं. लेकिन यहां दिलचस्प बात ये है कि साल 2020 में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिसर्च में इंटरमिटेंट फास्टिंग को लंबी उम्र के लिए फायदेमंद बताया गया था. रिसर्च में दावा किया गया था कि अगर आप 18 घंटे में तीन बार यानी 6-6 घंटे के गैप पर खाना खाते हैं तो बुढ़ापा देर से आता है, यहां तक कि कैंसर का खतरा कम हो सकता है. हालांकि रिसर्चर ने साफ किया था कि लंबे समय में ऐसा व्रत करने से क्या असर होता है उसे देखा जाना बाकी है.


व्रत में हमारा शरीर कैसे काम करता है?
हमारे शरीर को काम करने के लिए एनर्जी चाहिए जो ग्लूकोज से मिलती है और यह ग्लूकोज खाने से बनता है. खाना खाने के बाद पाचन तंत्र खाने को पचाने में लग जाता है और ग्लूकोज बनाता है. लेकिन व्रत करते समय यही पाचन तंत्र रिपेयरिंग का काम करता है. शरीर में स्टोर फैट को तोडकर एनर्जी में बदलता है जिससे वजन कंट्रोल होता है. इस दौरान शरीर डिटॉक्सिंग भी करता है. टॉक्सिन्स यानी गंदगी को बाहर निकालने का काम. न्यूट्रीशनिस्ट डॉ. इशी खोसला के मुताबिक किसी भी तरह के व्रत से फायदा होगा या नुकसान ये आपसे जुड़ी कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि-
* आपकी उम्र क्या है, हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बच्चों और बुजुर्गों को व्रत से फायदा नहीं होता.
* आपको कैसा शरीर मिला है यानी जेनेटिकली आपकी बॉडी कैसी है.
* आपने व्रत के बाद आपने खाने में क्या खाया है. क्योंकि उपवास रखकर कई बार लोग हेवी खाना खाते हैं जो उनकी मेहनत पर पानी फेरने जैसा होता है.


डॉक्टरों का ये भी कहना है कि अगर डायबिटीज के मरीज, दिल के मरीज या कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीज व्रत करने लगें तो उन्हें नुकसान हो सकता है. ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए आप चाहे जो भी फिटनेस रेजीम फॉलो कर रहे हों समय समय पर नब्ज चेक करवाते रहें और अपने शरीर की सुनते रहें.