ऑटिज्म मुख्य रूप से बच्चों में होने वाला मेंटल डिसऑर्डर होता है. इसमें नर्वस सिस्टम गंभीर रूप से इफेक्ट होता है, जिससे बच्चा चीजों को जल्दी सीख नहीं पाता है. यहां तक कि उसे साफ बोलने में भी कठिनाई होती है. यह बीमारी आमतौर पर बच्चों में जन्म के साथ होती है, जिसके लक्षण उम्र के साथ बिगड़ने लगते हैं. 


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टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में पाया है कि गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं जो अस्पार्टेम, एक तरह का आर्टिफिशियल स्वीटनर, का सेवन करती हैं, उनके बच्चों में ऑटिज्म होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है. मेल चाइल्ड के केस में यह जोखिम सबसे ज्यादा होता है.  


क्या है स्टडी

इस स्टडी में 235 ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले बच्चों की माताओं को शामिल किया गया, जिनकी तुलना 121 सामान्य विकास वाले बच्चों की माताओं से की गई. स्टडी में पाया गया कि जिन लड़कों को ऑटिज्म था, उनकी माताओं ने रोजाना कम से कम एक डाइट सोडा पीने या पांच टेबलटॉप पैकेट्स के बराबर एस्पार्टेम का सेवन तीन गुना ज्यादा किया था.

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डाइट सोडा के नुकसान

यह स्टडी पहले के रिसर्च का समर्थन करता है, जिन्होंने डाइट सोडा के सेवन से जुड़ी अन्य चिंताओं को भी उठाया है, जैसे प्रीमेच्योरिटी और बचपन में मोटापे का बढ़ता जोखिम. हाल के एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि डाइट सोडा में मौजूद मिठास गर्भ में बच्चे के आसपास के एम्नियोटिक द्रव में पाई गई, जो यह सिद्ध करता है कि जब महिलाएं इन उत्पादों का सेवन करती हैं, तो वे गर्भ में पहुंच जाते हैं.

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सावधानी बरतने की सलाह

स्टडी के एक्सपर्ट ऑटिज्म के जोखिम को कम करने के लिए प्रेगनेंसी में महिलाओं को  ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देती हैं. इसमें नेचुरल फ्लेवरिंग जैसे फल का रस, ताजे नींबू या संतरे के टुकड़े या पुदीने की पत्तियां भी मिला सकते हैं. ये मूड और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.  


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.