Myopia In Children: पिछले कुछ सालों में ज्यादातर बच्चे मोबाइल और लैपटॉप देखने के आदी हो चुके हैं. कोरोना वायरस महामारी के बाद ये मजबूरी बन गया और फिर इन बच्चों का स्क्रीन टाइम और भी ज्यादा बढ़ गया. भले ही आजकल माता-पिता अपने लाडले और लाडलियों को बिजी रखने के लिए ये गैजेट्स थमा देते हों, लेकिन ये उनकी आंखों को नुकसान पहुंचा रहा है. काफी बच्चे मायोपिया जैसी बीमारी के शिकार हो रहे हैं.


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क्या है मायोपिया?
जब बच्चों को मायोपिया होता है, तब उनकी आंखों की पुतली का आकार बढ़ने से इमेज रेटिना की जगह थोड़ा आगे बनता है. इससे उन्हें दूर की चीजें देखने में परेशानी होती है. मशहूर पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजिस्ट डॉ. जितेंद्र जेठानी और फार्मासिस्ट निखिल के मुसुरकर (Nikkhil K Masurkar) ने ZEE NEWS को बताया कि जो बच्चे जितने छोटी स्क्रीन यूज करेंगे उन्हें मायोपिया का खतरा उतना ही ज्यादा होगा. इसके अलावा अंधेरे में मोबाइल और लैपटॉप देखना और भी ज्यादा खतरनाक है, खासकर उन बच्चों के लिए जो पहले से चश्मा यूज कर रहे हैं.



मायोपिया के लक्षण 


1. दूर की चीजें देखने में दिक्कत


2. आंखों में तनाव होना


3. बार-बार पलकें झपकाना


4. सिरदर्द होना


5. आंखों से पानी आना


6. कार या बाइक चलाने में दिक्कत


7. दूर की फोटोग्राफी में दिक्कतें आना



कितना खतरनाक है मायोपिया?
फार्मासिस्ट निखिल ने बताया कि मायोपिया बचपन में ही 5 साल की उम्र से शुरू हो जाता है और 18 साल की उम्र तक बढ़ता रहता है. एम्स की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 5 से 15 साल की उम्र के 6 में से 1 बच्चे को मायोपिया है.  जिन एडल्ट्स को बचपन से ये बीमारी है उनको मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, रेटिनल डिटेचमेंट और कई अन्य तरह की आंखों की बीमारी हो सकती है.



बच्चों को मायोपिया से कैसे बचाएं
डॉ. जितेंद्र जेठानी के मुताबित पैरेंट्स को मायोपिया के खतरों के बारे में पता होना चाहिए, इसके अलावा वो अपने बच्चों के लिए नीचे दिए गए उपाय कर सकते हैं.



- बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करें, यानी उन्हें कम से कम मोबाइल यूज करने दें


-जहां बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं उस कमरे में नेचुरल लाइट और अन्य रोशनी का पूरा इंतजाम हो


-मोबाइल की जगह बड़े स्क्रीन वाले लैपटॉप या कंप्यूटर दें


-हमेशा आई टेस्ट कराते रहें


 


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.