अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां से अधिकतर राजनेता और अफसर देश छोड़कर भागने को मजबूर हो गए हैं. इनमें से कई अफसर भारत भी पहुंचे हैं. जिन्होंने अफगानिस्तान के हालात की मार्मिक दास्तान दुनिया के सामने पेश की है.
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नई दिल्ली: अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद वहां से लोगों की अनेक मार्मिक खबरें बाहर आ रही हैं. जिसे जैसे भी मौका मिल रहा है. वह अफगानिस्तान से निकल लेना चाहता है. सबसे ज्यादा दहशत सरकारी अफसर-कर्मचारियों में हैं.
ऐसे ही एक कर्मचारी आसिफ काबुल से कमर्शल फ्लाइट पकड़कर दिल्ली पहुंचे हैं. वे अफगान इंटेलिजेंस एजेंसी नेशनल डायरेक्टरेट ऑफ सिक्योरिटी (NDS) में अधिकारी थे. रविवार को जैसे ही तालिबान ने देश की राजधानी काबुल पर अपना झंडा फहराया. वे अपनी बीमार मां, बीवी और 8 साल के बच्चे को छोड़कर छोड़कर भारत भाग आए.
किसी तरह उन्होंने दिल्ली के लाजपत नगर में 500 रुपये रोजाना किराये पर एक छोटा सा कमरा तलाश किया है. भरे गले से आसिफ कहते हैं, 'अफगानिस्तान (Afghanistan) में सब खत्म हो गया है. अगर मैं वहां से नहीं भागता तो तालिबान (Taliban) मुझे मार डालता. सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि मैं अपनी बीमार मां, बीवी और बेटे को भी साथ नहीं ला सका.'
रिपोर्ट के मुताबिक, जब आसिफ से पूछा गया कि काबुल से भारत आने वाली फ्लाइट से पहले क्या उन्होंने भोजन किया था तो वे टूट गए और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे. आसिफ ने अपना पासपोर्ट, अपना आई कार्ड और अपने परिवार की तस्वीरें दिखाईं. कहा कि तालिबानी (Taliban) आतंकी काबुल पर कब्जे से पहले सरेआम ऐलान कर रहे थे कि सरकार के खिलाफ बगावत करो या मरने के लिए तैयार रहो.
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान (Afghanistan) को बचाने की रही-सही उम्मीद राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भाग जाने पर खत्म हो गई. इसके बाद उन जैसे सैकड़ों अफगान अफसर अपनी जान बचाने के लिए उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और दूसरे देशों में भाग गए हैं. आसिफ ने कहा कि काबुल में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. ऐसे में उन्हें नहीं पता कि अफगानिस्तान में उनके परिवार का क्या हाल है.
आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान ने उनके देश को धोखा दे दिया. उन्होंने बताया कि काबुल पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद उनके समेत कई अफगानी अफसर भारत लौटे हैं. भारत जाने वाली फ्लाइट पर चढ़ने से पहले सभी अफसरों ने अपना हुलिया बदला और सिविलियन का रूप धरा. इसके बाद ही रविवार शाम 129 लोगों को काबुल से दिल्ली लाया गया. जिनमें कई अफगानी अफसर भी शामिल थे.
आसिफ ने अफगानिस्ता के हालात का भी बयान किया. आसिफ ने कहा कि जब तालिबान (Taliban) ने काबुल के आसपास घेरा डालना शुरू किया, तभी से इस बात की आहट लगनी शुरू हो गई थी कि तालिबान राज फिर से वापस लौट रहा है. इसे देखते हुए काबुल में महिलाओं ने सलवार-कमीज छोड़कर फिर से बुर्का पहनना शुरू कर दिया. साथ ही सड़कों से भी दूरी बनाकर घर में रहना शुरू कर दिया. महिलाओं का कहना था कि अगर वे ऐसा नहीं करती हैं तो उन्हें मार दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान (Afghanistan) में सब सब कुछ खत्म हो गया है. अब कोई भरोसा नहीं है कि वे कभी अपने देश वापस भी लौटेंगे या नहीं. यह भी नहीं पता कि उनका परिवार भारत आ पाएगा या नहीं.
आसिफ की तरह आर. अहमदजई भी काबुल से भागकर दिल्ली पहुंचे हैं. वे पब्लिक हेल्थ के मामलों में राष्ट्रपति अशरफ गनी सरकार के सलाहकार थे. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के सभी राजनेता और मंत्री वहां से भाग गए हैं.
उन्होंने कहा कि उनके जैसे करीब 200 मंत्री और सलाहकार दिल्ली पहुंच चुके हैं. आर. अहमदजई ने कहा कि रविवार शाम पांच बजे तक राष्ट्रपति गनी अफगानिस्तान में थे. उसके बाद पता नहीं कि वे कहां चले गए.
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उन्होंने कहा कि तालिबान (Taliban) ने वादा किया है कि वे पिछली बार की तरह देश पर क्रूर शासन नहीं करेंगे. विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों को अधिक स्वतंत्रता की अनुमति देंगे. उन्हें हिजाब पहनकर काम करने देना भी शामिल है. लेकिन उनके इस वादे पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
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