President Kovind: राष्ट्रपति कोविंद ने अब्दुल कलाम के उस किस्से को किया याद, 'जब A R Rehman वंदे मातरम गाते हैं...'
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President Kovind: राष्ट्रपति कोविंद ने अब्दुल कलाम के उस किस्से को किया याद, 'जब A R Rehman वंदे मातरम गाते हैं...'

President Kovind remebers Dr Kalam: राष्ट्रपति भवन के सभागार में चौथे ए पी जे अब्दुल कलाम स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘हर भारतीय को देश के अपने महान सपूत पर गर्व है.’

President Kovind: राष्ट्रपति कोविंद ने अब्दुल कलाम के उस किस्से को किया याद, 'जब A R Rehman वंदे मातरम गाते हैं...'

President Kovind remebers Dr Kalam: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam) भारत-इस्लामी संस्कृति के आदर्श प्रतिनिधि थे और उनके लिए एक शक्तिशाली राष्ट्र के तीन लक्षणों में भाईचारा बनाए रखना और एक साथ काम करने की क्षमता शामिल थी. राष्ट्रपति भवन के सभागार में चौथे ए पी जे अब्दुल कलाम स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘हर भारतीय को देश के अपने महान सपूत पर गर्व है.’ 

शक्तिशाली देश में ये 3 चीजें होती हैं खास

राष्ट्रपति ने कहा कि कलाम कहा करते थे कि किसी भी शक्तिशाली देश में तीन खास चीजें होती हैं. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कोविंद के हवाले से कहा गया, ‘पहली चीज...देश ने जो हासिल किया है, उस पर गर्व करना है. दूसरी चीज है भाईचारा और तीसरी चीज है एक साथ काम करने की क्षमता.’ 

विज्ञान और आध्यात्म दोनों पर जोर

राष्ट्रपति ने कहा कि कलाम चाहते थे कि लोग भारत के महान लोगों की कहानियों को याद रखें और उनसे सीखें. कोविंद ने कहा, ‘वह यह भी कहते थे कि हर देश जो आगे बढ़ा है उसमें मिशन की भावना होती है. इसलिए जो भी काम करना है, उसे एक मिशन की तरह पूरा करने का जुनून होना चाहिए. वह चाहते थे कि हमारे देश के ताने-बाने को मजबूत करने के लिए हम सभी एकजुट होकर आगे बढ़ते रहें.’ राष्ट्रपति ने कहा कि कलाम जितना विज्ञान पर जोर देते थे, वह अध्यात्म को भी उतना ही महत्व देते थे. उन्होंने कहा कि आम लोगों में विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करना कलाम का मिशन था. 

कोविंद ने कहा, ‘उन्होंने एक संगठन के जरिए इस मिशन को आगे बढ़ाया. लेकिन यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि वह सभी धर्मों के संतों और मनीषियों से मिलते थे और उनसे कुछ सीखने की कोशिश करते थे.’ कोविंद ने कहा कि कलाम की लिखी किताबों में ‘बिल्डिंग ए न्यू इंडिया’ नाम की एक छोटी किताब है, जिसमें एक अध्याय ‘लर्निंग फ्रॉम सेंट्स एंड सीनर्स’ है. राष्ट्रपति ने कहा, ‘उस अध्याय में, डॉ. कलाम ने संतों और दरवेशों के साथ अपनी बैठकों का उल्लेख किया है और सम्मान के साथ अपने विचार प्रस्तुत किए हैं. डॉ. कलाम ने विज्ञान और दर्शन तथा विकास और नैतिकता को समान महत्व दिया है.’ 

कलाम की इस टिप्पणी को किया याद

कोविंद ने कहा कि कलाम के साथ दो चीजें अटूट रूप से जुड़ी हुई हैं- उनकी अच्छाई और उनकी प्रसिद्धि. कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति की उस टिप्पणी को याद किया कि जब संगीतकार ए आर रहमान ‘वंदे मातरम’ गाते हैं, तो हर देशवासी उनसे जुड़ जाता है. कलाम के पूर्व प्रेस सचिव एस एम खान की एक किताब का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कलाम वीणा वादन करते थे तथा रोजाना कुरान और गीता पढ़ते थे, महाभारत के विदुर को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की उनकी क्षमता के लिए पसंद करते थे. कोविंद ने कहा कि कलाम की तरह उन्हें भी भारत के भविष्य के निर्माण में देश के युवाओं की कड़ी मेहनत और क्षमता पर पूरा भरोसा है. 

कलाम को पसंद था स्कूली बच्चों से मिलना

राष्ट्रपति ने कहा, ‘वह (कलाम) विशेष रूप से स्कूली बच्चों से मिलते थे. उन्हें यकीन था कि आने वाली पीढ़ियां देश का सुनहरा भविष्य बनाएंगी. मुझे भी हमारे युवाओं की क्षमता और कड़ी मेहनत पर यकीन है. मुझे भी विश्वास है कि देश के विकास में लड़कियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.’ राष्ट्रपति ने कहा कि कई विश्वविद्यालयों के विजिटर होने के नाते उन्होंने देखा है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में लड़कियां लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं. कोविंद ने यह भी कहा कि वैज्ञानिकों की कहानियां राष्ट्र निर्माताओं की गाथा का हिस्सा होनी चाहिए. बयान में कहा गया कि कोविंद ने कलाम के आदर्शों को स्मृति व्याख्यान के जरिए लोगों तक पहुंचाने के लिए इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर (आईआईसीसी) की सराहना की.

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