विजयदशमी पर नागपुर में RSS प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन, जानिए 10 बड़ी बातें
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विजयदशमी पर नागपुर में RSS प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन, जानिए 10 बड़ी बातें

महाराष्ट्र के नागपुर (Nagpur) में बने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय (RSS headquarter) में विजयदशमी पर्व (Vijay Dashami) जोरशोर से मनाया जा रहा है.

विजयदशमी पर नागपुर में RSS प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन, जानिए 10 बड़ी बातें

नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर (Nagpur) में बने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय (RSS headquarter) में विजयदशमी पर्व (Vijay Dashami) जोरशोर से मनाया जा रहा है. कोरोना की वजह से इस बार समारोह में खास सतर्कता बरती जा रही है. 

  1. चीन के खिलाफ भारत तनकर खड़ा हो गया है 
  2. कोरोना संकट को भारत के लोगों ने बेहतर ढंग से संभाला
  3. देश में सक्रिय हैं 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' चाहने वाले लोग 

विजयदशमी पर्व में संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने भी स्वयंसेवकों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कोरोना, चीन, हिंदुत्व और राम मंदिर से लेकर तमाम बड़े मुद्दों पर बात कर संघ का नजरिया स्पष्ट करने की कोशिश की. आइए जानते हैं, उनके संबोधन की 10 बड़ी बातें: 

1. चीन के खिलाफ भारत तनकर खड़ा हो गया है 
मोहन भागवत ने कहा कि चीन की आदत विस्तारवादी है. उसने भारत के साथ ही एक साथ ही अमेरिका और कई अन्य देशों के साथ विवाद किया है. लेकिन भारत उसके खिलाफ तनकर खड़ा हो गया है. भारत के नागरिको ने उसको धक्का दिया और इतना दिया कि वो पीछे हट जाए. अब हमें उसे मात देने के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उससे आगे निकलना होगा.

2. चीन की गलतफहमी दूर हो गई होगी
उन्होंने कहा कि हम सबसे मित्रतता करने वाले देश हैं लेकिन हम दुर्बल नहीं है. जो ऐसा समझते हैं कि वे हमें जैसा चाहे झुका सकते हैं, उनकी गलत फहमी दूर हो गई होगी. चीन को समझ में आ गया होगा कि भारत इतना कच्चा नहीं है. हमें इस ताकत को बनाए रखना होगा. केवल चीन ही नहीं है देश के लिए भी सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है.  

3. कोरोना संकट को भारत के लोगों ने बेहतर ढंग से संभाला
विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत कोरोना संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छे प्रकार से खड़ा हुआ दिखाई देता है. भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है. लोगों ने जरूरतमंदों की बहुत सेवा की. भोजन-पानी से लेकर जरूरतमंदों को मास्क-सैनिटाइजर तक बांटे गए.

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4. पुरानी परंपराओं की ओर लौटे लोग
हमारे कुछ नियम कुछ परंपराएं हैं. जैसे हाथ-पैर धोकर घर के अंदर जाना, चप्पल घर के बाहर उतारना, हाथ मिलाने के बजाय हाथ जोड़कर नमस्कार करना. कोरोना काल में पूरी दुनिया ने भारत की इन परंपराओं की अहमियत को पहचाना. वहीं भारत के लोग भी अपनी इन परंपराओं की ओर लौटने लगे हैं. 

5. कोरोना ने लोगों को जीना सिखा दिया 
कोरोना से देश को नुकसान तो बहुत हुआ लेकिन इसने लोगों को जीना सिखा दिया. लोग शहरों की भीड़भाड़ से दूर अपने गांवों में लौटे. नदी-नालों की स्वच्छता देखी, पक्षियों की आवाजें सुनी, कुटुंब-परिवार के साथ भोजन किया. लोगों को ध्यान आया कि जीवन की भागदौड़ मे वे कितनी अमूल्य चीज छोड़ चुके थे. 

6. भारतीय जनता ने राम मंदिर पर फैसले को संयम और समझदारी से स्वीकारा
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 9 नवंबर को श्रीरामजन्मभूमि मामले में अपना असंदिग्ध निर्णय देकर इतिहास बनाया. भारतीय जनता ने इस निर्णय को संयम और समझदारी का परिचय देते हुए स्वीकार किया. यही इस देश की असल ताकत है, जिसे कई लोग देखना नहीं चाहते. 

7. CAA के खिलाफ गलत प्रचार किया गया
CAA के खिलाफ देश में गलत प्रचार किया गया. इसे एक खास तबके के खिलाफ बताया गया. यह कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता. यह कानून पड़ोसी देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में शरण देने के लिए बनाया गया है. यदि और कोई भी भारत आना चाहता है तो उसके लिए भी कई कानून है. 

8. देश में सक्रिय हैं 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' चाहने वाले लोग 
अपने देश में कई सारे ऐसे लोग है जो स्वांग रचते रहते हैं. ये लोग 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' के नारे लगाते हैं. संविधान की गलत व्याख्या कर खुद को बड़ा सविधान भक्त बताते हैं. बाबा साहब आंबेडकर ने ऐसे लोगों को सविधान में ऐसे लोगों को ग्रामर ऑफ अनार्की  कहा था. ऐसे लोग समाज में भ्रम फैलाने में लगे रहते हैं. 

9. हिंदू सबको जोड़ने वाला शब्द, जाति-पंथ, भाषा, क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं 
हिन्दू शब्द सबको बसाने वाला, सबको जोड़ने वाला शब्द है. ये विश्व मानवता का अंतर्भाव रखता है. इसलिए जब हम कहते है की भारत एक हिन्दू राष्ट्र है. इसमें हमारा कोई राजनितिक लालच नहीं है. इसका मतलब ये नहीं है कि बाकी लोग बाहर चले जाएं. भारत के सब जाति वर्ग ,भाषा को यहीं रहना है. हम दूसरों से अलग है, ये अलगाववाद छोड़ना होगा. जो लोग ऐसी भावनाओं को बढ़ावा देते हैं, उनसे बचकर रहना होगा. 

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10. भारत सहचिन्तन में विश्वास करता है
आप कितना कमाते हो, ये महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण बात ये है कि आप कैसे कमाते हैं. यदि हम शराब कारोबारी बनकर अमीर हो जाएं तो ये ठीक नहीं है. ये हमारी संस्कृति में नहीं है. भारत में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. हमने अपनी जैविक खेती के तरीकों को छोड़ दिया, जिसका नुकसान हमें भुगतना पड़ रहा है. 

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