Farmers Protest: काम कर गया Rakesh Tikait का मंच पर रोना, गाजीपुर बॉर्डर पर फिर से जुटने लगे किसान
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Farmers Protest: काम कर गया Rakesh Tikait का मंच पर रोना, गाजीपुर बॉर्डर पर फिर से जुटने लगे किसान

गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur border) पर मंच पर राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के रोने ने किसानों का दिल पिघला दिया है. उनके समर्थन में एक बार फिर गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का जुटना और जगह-जगह पंचायतों का दौर शुरू हो गया है. 

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस वाले दिन दिल्ली में हुई हिंसा (Farmer Violence) के आरोपों में फंसे भारतीय किसान यूनियन (BKU) नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के आंसू काम कर गए हैं. दिल्ली पुलिस के मुकदमों के बाद गाजीपुर बार्डर (Ghazipur border) से वापस लौट रहे किसान एक बार फिर टिकैत के नेतृत्व में वहीं एकजुट होने लगे हैं और आंदोलन (Farmers Protest) को लंबा खींचने की बात दोहरा रहे हैं. 

  1. टिकैत के रोने ने पिघला दिया किसानों का दिल
  2. गणतंत्र दिवस पर किसानों की हिंसा से झाड़ा पल्ला
  3. टिकैत के फेवर में जींद में हुई महापंचायत

गिरफ्तारी की भनक पर रोने लगे थे राकेश टिकैत

बता दें कि 26 जनवरी में हिंसा (Farmer Violence) में कई पुलिसकर्मियों के घायल होने और लाखों रूपये की संपत्ति का नुकसान होने के बाद दिल्ली पुलिस ने राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) समेत विभिन्न किसान नेताओं पर संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज किए हैं. राकेश टिकैत को जब अपनी गिरफ्तारी की भनक लगी तो अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए वे मंच पर ही रोने लगे. 

टिकैत के रोने ने पिघला दिया किसानों का दिल

राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने रोते हुए मंच से कहा कि वे दो महीने से किसानों की इस लड़ाई को लड़ रहे हैं और 'वे न तो झुकेंगें और न ही पीछे हटेंगे.' इसके बाद अमृतसर के एक व्यक्ति ने मंच पर टिकैत को पानी पेश किया. राकेश टिकैत का मंच से रोना काम कर गया है और उनकी अपील सुनने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों के किसानों का शनिवार को भी जारी रहा.

कई जगहों के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे

बुलंदशहर के चौरौरा गांव के प्रधान पंकज प्रधान सात अन्य लोगों के साथ शनिवार दोपहर गाजीपुर बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पहुंचे. उन्होंने कहा कि 28 जनवरी को राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) की अपील ने इस आंदोलन को और मजबूत कर दिया है. गाजीपुर बॉर्डर पर शनिवार को राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से भी किसान पहुंचे. उन्होंने आरोप लगाया कि इस आंदोलन (Farmers Protest) को बदनाम करने की कोशिशें' की जा रही हैं, लेकिन आंदोलन और मजबूत होकर उभर गया है. 

गणतंत्र दिवस पर किसानों की हिंसा से झाड़ा पल्ला

उधर किसानों ने एक बार फिर गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हिंसा (Farmer Violence) करने वाले लोगों से अपना पल्ला झाड़ लिया है. ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) की केन्द्रीय किसान समिति के सदस्य डीपी सिंह (75) कहते हैं, 'जिन लोगों ने ये किया, वे हमारे लोग नहीं हैं. उस समूह के मंसूबे ठीक नहीं थे और 26 जनवरी को जो कुछ हुआ वह हमें बदनाम करने और आंदोलन को कमजोर करने की हमारे विरोधियों की साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है. हमारा आंदोलन मजबूत हो रहा है.'

'हमारा आंदोलन पहले से मजबूत हुआ है'

उन्होंने कहा, 'हां, हम उस घटना और उसके बाद हम पर लगाए गए कलंक से भावनात्मक रूप से आहत हुए हैं लेकिन उससे हमारे आंदोलन (Farmers Protest) पर फर्क नहीं पड़ा है. बल्कि यह और मजबूत हुआ है तथा लोगों से और अधिक सहानुभूति मिल रही है.'

टिकैत के फेवर में जींद में हुई महापंचायत

उधर हरियाणा में जींद जिले के खटकड़ टोल प्लाजा पर शनिवार को जाट खापों की महापंचायत हुई. पंचायत में फैसला किया गया कि किसी भी कार्यक्रम में बीजेपी और JJP के नेताओं को नहीं बुलाया जाएगा. सर्व जातीय खेड़ा खाप के प्रधान सतबीर पहलवान बरसोला के नेतृत्व में हुई महापंचायत में जिले की खापों के प्रधानों एवं प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. 

7 फरवरी को टिकरी बॉर्डर पर कूच की अपील

महापंचायत में लोगों से अपील की गई कि वे बीजेपी और JJP के नेताओं को विवाह-शादियों के लिए न्योता न भेजें और न ही इनके विवाह-शादियों के कार्यक्रमों में जाए. खाप नेताओं ने कहा कि हरियाणा के ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसान राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के साथ हैं. महापंचायत में फैसला लिया गया कि 7 फरवरी को खटकड़ टोल से दिल्ली के टिकरी बॉर्डर के लिए पैदल कूच किया जाएगा.

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टिकरी गांव के लोग भी किसानों के फेवर में आए

वहीं दिल्ली के टिकरी गांव में किसानों की एक महापंचायत में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि टिकरी बार्डर पर बैठे किसानों की हर संभव मदद की जाएगी. इस महापंचायत ने टिकरी गांव की ओर से किसानों को 51 हजार रुपये की मदद देने का भी ऐलान किया गया. टिकरी में हुई महापंचायत में लोगों ने मांग की कि तीनों कृषि क़ानूनों को सरकार वापस लेकर किसानों को राहत दें, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी हो.

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