असम के एनआरसी केंद्र सेवा केंद्रों में आए दिन लोग अपने नामों को ड्राफ्ट में देखने या नाम में हुई गलतियों को सुधार करवाने आते रहते हैं.
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गुवाहाटी: गुवाहाटी स्थित राजधानी सचिवालय से 200 मीटर की दूरी पर गणेशगुड़ी स्थित दिसपुर एनआरसी केंद्र नंबर 8 के कार्यालय में अचानक उस समय हड़कंप मच गई जब सादे लिबास में आए एंटी-करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों ने एनआरसी ड्यूटी में तैनात दो कर्मचारियों को रंगे हाथ रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया. इन कर्मचारियों का नाम सैय्यद शाहजहां (48 वर्ष) राहुल पराशर (27 वर्ष) है जिन्हें 10 हज़ार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. शिकायत कजरी घोष दत्ता ने की थी.
एंटी करप्शन ब्यूरो ने मीडिया को इस घटना के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि गणेशगुड़ी स्थित दिसपुर एनआरसी सेवा केंद्र संख्या 8 के दोनों आरोपित सरकारी कर्मचारी- सैय्यद शाहजहां, फील्ड लेवल अफसर हैं और दूसरा असिस्टेंट लोकल रजिस्ट्रार ऑफ सिटीजन रजिस्ट्रेशन के पद पर कार्यरत है. दोनों आरोपितों ने शिकायतकर्ता महिला- कजरी घोष दत्ता के नाम एनआरसी ड्राफ्ट में किसी तकनीकी गलतियों से नहीं समाहित होने के बारे में जानकारी देते हुए, उनसे उचित तकनीकी भूल सुधार करते हुए फाइनल एनआरसी ड्राफ्ट में नाम को शामिल करने के बाबत 10 हज़ार रुपये की रिश्वत की मांग की थी.
असम के एनआरसी केंद्र सेवा केंद्रों में आए दिन लोग अपने नामों को ड्राफ्ट में देखने या नाम में हुई गलतियों को सुधार करवाने आते रहते हैं. इसी दौरान गुवाहाटी आनन्दा नगर, दिसपुर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत रहने वाली स्थानीय निवासी कजरी घोष दत्ता ने एनआरसी ड्राफ्ट में अपना नाम शामिल न देखकर दोनों तथाकथित कर्मचारियों से संपर्क साधा. 10 हज़ार रुपये की रिश्वत की मांग से परेशान महिला ने बाद में एंटी करप्शन ब्यूरो के दिसपुर पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज करवाई.
शिकायतकर्ता के बताए तथ्यों के आधार पर जाल बिछाकर शिकायतकर्ता महिला को आज दिसपुर एनआरसी सेवा केंद्र संख्या 8 पर 10 हजार रकम की रिश्वत देने के दौरान साथ में सादे लिबास में गए एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारीयों ने दोनों एनआरसी के कर्मचारियों को रंगे हाथो गिरफ्तार कर लिया.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशनुसार आगामी 31 जुलाई के भीतर असम में एनआरसी का फाइनल और सम्पूर्ण ड्राफ्ट प्रकाशित होने जा रहा है जिसे लेकर पहले चरण में ड्राफ्ट से बाहर किए असम के 40 लाख आवेदकों को असम में निवास कर रहे भारतीय नागरिकता के प्रमाण के लिए 1971 के 25 मार्च या उससे पहले के किसी भी सरकारी दस्तावेज के साथ आवेदन करने का दोबारा से मौका प्रदान किया गया था. सूत्रों के अनुसार लगभग 15 लाख आवेदकों का नाम फाइनल ड्राफ्ट से भी कटने के आसार बताए जा रहे हैं.