मुगल काल में अपनी क्रूरता के लिए जाना जाने वाला शासक औरंगजेब की कहीं पूजा भी हो सकती है? इस सवाल पर कई लोग हैरान हो सकते हैं लेकिन इसका उत्तर और भी अचंभित करने वाला है और वो है हां, औरंगजेब की पूजा होती है. पाकिस्तान में लोग औरंगजेब को अपने आदर्श के रूप में मानते हैं और इसके पीछे की वजह भी दिलचस्प है. अपने पिता को कैद करने और भाई दारा शिकोह का गर्दन काटने वाले औरंगजेब को पाकिस्तान के लोग एक बेहतर मुस्लिम मानते हैं. यही कारण है कि पाकिस्तान के सरकारी दफ्तरों में औरंगजेब की तस्वीर टंगी हुई देखने को मिल जाएगी.


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भारतीय इतिहास में औरंगजेब को मुगलिया सल्तनत को डूबाने वाले शासक के रूप में जाना गया है, जिसे हिंदुओं से बेहद नफरत थी. कहा जाता है कि जब वो दिल्ली की गद्दी पर बैठा तो उसने टैक्स सिस्टम को ध्वस्त कर दिया. क्योंकि टैक्स को वो इस्लाम के खिलाफ मानता था. इस फैसले से राजस्व तेजी से घटा और धन की कमी होने लगी. तभी उसने हिंदुओं पर जजिया कर लगाया ताकि राजस्व फिर से बढ़ सके. कहा जाता है कि उसने कई मंदिर भी ध्वस्त करवाए.


फिर चाहे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरू हों या फिर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, औरंगजेब को आततायी सोच वाले शासक के रूप में ही मानते हैं. पीएम मोदी ने गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर कहा था कि औरंगजेब की आततायी सोच के खिलाफ गुरु तेग बहादुर जी एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे.


मुस्लिम शासक औरंगजेब को पाकिस्तान में आदर्श माना जाता है. इसके पीछे की वजह ये है कि उसने इस्लाम के विश्वासों को सबसे ऊपर रखा. उसकी क्रूरता को परे रखकर इस्लामिक नैतिकता को बढ़ाने के लिए उसका सम्मान किया जाता है. 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा' लिखने वाले आल्लमा इकबाल ने भी औरंगजेब की तारीफ की थी. उन्होंने इस्लाम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए औरंगजेब के पक्ष में बातें कही थीं. पाकिस्तान के जनरल जिया उल हक भी औरंगजेब से प्रेरित थे. उनके शासन काल में पाकिस्तान के सरकारी दफ्तरों में औरंगजेब की तस्वीर लगी रहती थी, जो आज भी आपको वहां के कार्यालयों में देखने को मिल जाएगी.


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