बिहार के 'बड़े दलों' को झारखंड ने नकारा, आरजेडी ने बचाई लाज
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बिहार के 'बड़े दलों' को झारखंड ने नकारा, आरजेडी ने बचाई लाज

चुनाव में अकेले उतरने के दौरान जेडीयू के नेताओं ने स्पष्ट कहा था कि उनका भाजपा के साथ केवल बिहार में गठबंधन है, झारखंड में वे अकेले चुनाव मैदान में हैं. 

जेडीयू के स्टार प्रचारक और बिहार के सीएम नीतीश कुमार चुनाव प्रचार में नहीं गए

पटना: झारखंड के चुनाव में बिहार की सभी क्षेत्रीय पार्टियों ने जी-तोड़ मेहनत जरूर की, लेकिन उन्हें आशातीत सफलता नहीं मिल सकी. बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू अपनी खोई जमीन तलाशने झारखंड के चुनाव मैदान में उतरी, मगर उसे कोई सीट नहीं मिल सकी. यही हाल एलजेपी का भी रहा, लेकिन आरजेडी एक सीट जीतकर अपनी लाज बचाने में कामयाब रहा. 

बिहार में साथ मिलकर सरकार चला रही जेडीयू, भाजपा और एलजेपी झारखंड चुनाव में अलग-अलग उतरी, लेकिन जनता ने ना केवल भाजपा को, बल्कि बिहार में उनकी सहयोगी जेडीयू और एलजेपी को भी करारा झटका दिया है. 

चुनाव में अकेले उतरने के दौरान जेडीयू के नेताओं ने स्पष्ट कहा था कि उनका भाजपा के साथ केवल बिहार में गठबंधन है, झारखंड में वे अकेले चुनाव मैदान में हैं. 

झारखंड के इस चुनाव में जेडीयू ने 47 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. दीगर बात है कि जेडीयू के स्टार प्रचारक और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव प्रचार में नहीं गए, लेकिन उनके तमाम नेता व मंत्री कई दिनों तक झारखंड के चुनावी मुहिम में लगे रहे. मतदाताओं को मगर जेडीयू पसंद नहीं आया. 

राजग में शामिल रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी को भी झारखंड के मतदाताओं ने कोई खास तरजीह नहीं दी और झारखंड में खाता खोलने का एलजेपी का सपना एकबार फिर अधूारा रह गया.

एलजेपी चुनाव से पहले भाजपा से सम्मानजनक सीट मांग रही थी, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों में समझौता नहीं हो सका. इसके तुरंत बाद एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने झारखंड की 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए, लेकिन चुनाव परिणाम में उन्हें गठबंधन तोड़ने का कोई लाभ नहीं हुआ. 

आरजेडी हालांकि एक सीट जीतकर अपनी लाज बचाने में कामयाब रहा. झामुमो और कांग्रेस के साथ चुनाव मैदान में उतरे आरजेडी ने इस चुनाव में सात सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें से चतरा सीट पर आरजेडी के प्रत्याशी विजयी घोषित हुए.

आरजेडी और जेडीयू को झारखंड के मतदाताओं ने पिछले चुनाव में पूरी तरह नकार दिया था. वर्ष 2014 में हुए चुनाव में जेडीयू 11 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि आरजेडी ने 19 और एलजेपी ने एक सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा था. 

ऐसा नहीं है कि आरजेडी और जेडीयू को यहां के मतदाता पसंद नहीं करते. झारखंड बनने के बाद पहली बार 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में जेडीयू के छह और आरजेडी के सात प्रत्याशी विजयी हुए थे. 

वर्ष 2009 में हुए चुनाव में जेडीयू ने 14 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से दो जबकि आरजेडी ने पांच सीटों पर विजय दर्ज कर अपनी वजूद बचा ली थी. एलजेपी झारखंड में अब तक खाता नहीं खोल पाई है, हालांकि प्रत्येक चुनाव में उसके प्रत्याशी भाग्य आजमाते रहे