बिहुला और बाला लखेन्द्र की आज रात में शादी होगी. रात में बाला लखेंद्र की गाजे-बाजे के साथ बारात परंपरागत तरीके से निकाली जाएगी जिसके बाद बिहुला और बाला लखेंद्र की शादी रचाई जायेगी.
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मुंगेर : अंग क्षेत्र का लोक पर्व बिहुला-बिषहरी मंगलवार से शुरू हो गया है. पूजा केन्द्रों पर मंगलवार की शाम प्रतिमा स्थापित की गई परंपरा के अनुसार मंगलवार की रात में मंडप पूजन के बाद आज बुधवार की रात सिंह नक्षत्र प्रवेश होने पर बिहुला और बाला लखेन्द्र की शादी आज रचायी जाएगी. पूजा केन्द्रों की आकर्षक सजावट की गई है. कोरोना काल के दो साल बाद इसबार बिहुला पूजा पर मेला लगेगा. बिषहरी पूजा समिति बड़ा बाजार के अध्यक्ष गोविंद मंडल ने बताया कि 16 अगस्त को मंडप, 17 अगस्त को शादी एवं 18 अगस्त को मेला के बाद 19 अगसत को प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा.
उन्होंने कहा शहर के बड़ी बाजार में बड़ी विषहरी का महत्व ज्यादा है. 1956 से मां बिषहरी की स्थापना की गई जो भी श्रद्धालु मां से मंन्नत मांगते है माँ उसे अवश्य पूरा करती है. उन्होंने कहा की बिहुला और बाला लखेन्द्र की आज रात में शादी होगी. रात में बाला लखेंद्र की गाजे-बाजे के साथ बारात परंपरागत तरीके से निकाली जाएगी जिसके बाद बिहुला और बाला लखेंद्र की शादी रचाई जायेगी.
पूजा को लेकर पौराणिक मान्यताएं
चंद्रधर सौदागर चंपानगर के एक बड़े व्यवसायी थे. वह शिवभक्त थे. विषहरी ने चंद्रधर सौदागर पर अपनी पूजा का दवाब बनाया. लेकिन चंद्रधर सौदागर राजी नहीं हुए. इसके बाद बिषहरी ने चंद्रधर सौदागर के पूरे परिवार को खत्म करना शुरू कर दिया. उनके छोटे बेटे बाला लखेन्द्र की शादी बिहुला से हुई. उसकी रक्षा के लिए लोहे का ऐसा घर बनाया गया, जिसमें एक भी छिद्र न हो. इसके बाद भी बिषहरी घर में प्रवेश कर लखेन्द्र को काट लिया. बिहुला पति के शव को लेकर स्वर्गलोक चली गई. पति का प्राण वापस लेकर लौटी. चंद्रद्रधर सौदागर बिषहरी की पूजा के लिए तैयार हुए, लेकिन बाएं हाथ से. तब से बिषहरी की पूजा बाएं हाथ से करने की परंपरा चली आ रही है.
इन स्थानों पर की जाती है पूजा: बिहुला-बिषहरी पूजा यहां धूमधाम से मनाई जाती है. मंसरीतल्ले, बड़ा बाजार, रायसर, गुलजार पोखर, बेलदार टोली, लाल दरवाजा सहित शहर के करीब 15 स्थानों पर प्रतिमा स्थापित कर बिहुला-बिषहरी की पूजा की जाती है.