कटावग्रस्त इस इलाके में कोसी किनारे एक उच्च विद्यालय था, लेकिन 2020 में कोसी नदी की तेज धारा में पूरा विद्यालय कोसी नदी की भेंट चढ़ गया इसके बाद छोटी सी झोपड़ी में बच्चों की पढ़ाई होती थी जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता था.
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भागलपुर: भागलपुर मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर दियारा स्थित बिहपुर प्रखंड के कहारपुर निवासी सुबोध यादव ने 50 डेसिमिल यानी 11 कट्ठा जमीन सरकार को दान में दे दी. ताकि यहां उच्च विद्यालय का निर्माण हो और सैकड़ों बच्चे अपना भविष्य गढ़ सके.
कटावग्रस्त इस इलाके में कोसी किनारे एक उच्च विद्यालय था, लेकिन 2020 में कोसी नदी की तेज धारा में पूरा विद्यालय कोसी नदी की भेंट चढ़ गया इसके बाद छोटी सी झोपड़ी में बच्चों की पढ़ाई होती थी जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता था. अधिकारियों ने जमीन खोजी लेकिन जब उपलब्ध नही हुआ तो चंडिका देवी ने अपने बेटे से जमीन दान में देने की इच्छा जाहिर की. जिसके बाद डीईओ से कागजी प्रक्रिया पूरा करने के बाद जमीन दान में दे दी.
सुबोध यादव ने बताया कि 50 डेसिमिल जमीन दिये हैं क्योकि यहां जो स्कूल था तीन साल पहले कट चुका है बच्चों को पढ़ने के लिए दूर जाना पड़ता था यहां झोपड़ी में पढ़ाई होती थी. अधिकारी जांच में आये जमीन खोजा कोई जमीन देने के लिए तैयार नहीं हुआ. जब मां से बात की तो वो राजी हुई इसके बाद जमीन दे दिया. स्कूल के लिए जमीन मिलने से बच्चे उत्साहित है तो वहीं अभिभावक भी खुश हैं. छात्रा अनुराधा ने बताया कि झोपड़ी में पढ़ाई होती है वहां परेशानी होती है स्कूल बनेगा तब काफी सहूलियत होगी. वो पढकर पुलिस बनना चाहती है ऐसा तभी होगा जब बढ़िया स्कूल हो. वहीं एक छात्र के अभिभावक ने बताया कि स्कूल गिरने के बाद कई बच्चों को दूर जाकर पढ़ाई करनी पड़ती थी कुछ झोपड़ी में पढ़ते थे अब जमीन दान में दिया स्कूल बनने के बाद बच्चे अपना भविष्य बना सकेंगे. कोई जमीन देने के लिए तैयार नहीं होता है.
इसके अलावा बता दें कि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी कहारपुर के किसान सुबोध के कदम की सरहाना की है. डीईओ संजय कुमार ने कहा कि जमीन दाता ने जमीन दिया है उन्होंने माँ के नाम पर स्कूल रखने का आग्रह किया है उनकी मां के नाम पर स्कूल रहेगा. कोसी नदी में स्कूल कटकर गिर गया था. ग्रामीण ने जमीन दान में दिया ये अच्छी पहल है. बहरहाल किसान सुबोध ने समाज मे एक मिसाल पेश की है साथ ही उन्हें इनसे सीखने की जरूरत है जो एक थोड़ी सी जमीन के लिए मारपीट और खून खराबे के लिए आमदा रहते हैं.
इनपुट- अश्वनी कुमार
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