सीवान का ऐसा गांव जो आजादी के बाद से है उपेक्षा का शिकार, ग्रामीणों में आक्रोश
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सीवान का ऐसा गांव जो आजादी के बाद से है उपेक्षा का शिकार, ग्रामीणों में आक्रोश

सीवान जिले के महाराजगंज अनुमंडल शहर के सटे हुए 2 गांव हैं, जगदीशपुर और धनछुआ गांव. जहां गांव में ना कोई मुखिया हैं और ना ही कोई वार्ड पार्षद.

सीवान का ऐसा गांव जो आजादी के बाद से है उपेक्षा का शिकार, ग्रामीणों में आक्रोश

सीवान : बिहार के सीवान जिले के एक ऐसे गांव के बारे में हम बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सुनकर आपको भी आश्चर्य होगा. इस गांव में आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद की विकास की किरण नहीं पहुंची है. कारण साफ है कि यह गांव ना तो किसी ग्राम पंचायत में पड़ता है और ना ही नगर पंचायत में. 

गांव में ना कोई मुखियाऔर ना ही कोई वार्ड पार्षद
बता दें कि सीवान जिले के महाराजगंज अनुमंडल शहर के सटे हुए 2 गांव हैं, जगदीशपुर और धनछुआ गांव. जहां गांव में ना कोई मुखिया हैं और ना ही कोई वार्ड पार्षद. सरकारी योजनाओं का लाभ आज तक इस गांव को नसीब नहीं हुआ है. जिसको लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है. 

शौचालय योजना तक का गांव को नहीं मिला है लाभ
नगर पंचायत का चुनाव 2001 में हुआ तब से यह गांव नगर पंचायत की सुविधाओं से वंचित रहा और ना ही इस गांव में ग्राम पंचायत की सुविधा पहुंची. शौचालय योजना के तहत एक भी शौचालय नहीं बना. इंदिरा आवास योजना का एक भी लाभुक आपको इस गांव में नहीं मिलेगा क्योंकि इस गांव में अभी तक इसका लाभ किसी को नहीं मिला है. 

हर घर नल जल का पाइप तक नहीं पहुंची यहां 
मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना का सबसे महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल जल का पाइप भी इस गांव में आज तक नहीं बिछा है. पानी मिलना तो दूर की बात है. कोरोना काल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहे थे हर घर को 2 साबुन और 4 मास्क देना है पर इस गांव में वह भी नहीं दिया गया. कोरोना काल में गांव को सैनिटाइज कराना तो दूर की बात हैं

गांव में नहीं है कोई प्राइमरी स्कूल 
इस गांव के लोगों को किसी तरह के प्रमाण पत्र जब बनाने होते हैं तो वह तब तक संभव नहीं हो पता है जब तक बच्चा चार दरवाजा नहीं खटखटाता है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी एक भी मकान किसी को यहां नहीं मिला है. गांव में सड़क की बदहाल स्थिति है. अभी तक इस गांव को एक प्राइमरी विद्यालय तक नसीब नहीं हुआ है. 

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी उपेक्षा का शिकार है यह दोनों गांव 
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी इस गांव को नगर पंचायत से नहीं जोड़ा गया है. जबकि जिलाधिकारी अमित कुमार पाण्डेय ने जुलाई में ही सरकार को यह लिखकर दे दिया था कि यह दोनों गांव नगर पंचायत में जोड़ने के सारे मापदंड को पूरा करते हैं. फिर भी 2 गांव को किन कारणों से नहीं जोड़ा गया पता नहीं चल रहा है. इसको लेकर गांव के लोगों में काफी रोष है. ग्रामीणों ने हाई कोर्ट, विधायक, सांसद सबसे गांव को किसी पंचायत या नगर पंचायत में जोड़ने के लिए दर्जनों बार आवेदन दिया है. हालांकि नगर पंचायत के चुनाव की घोषणा होने के बाद गांव के लोगों का गुस्सा और बढ़ गया है और लोगों ने यह कह भी दिया कि आने वाला लोकसभा चुनाव या जो भी चुनाव होंगे उसका बहिष्कार करेंगे. 
(रिपोर्ट- अमित कुमार सिंह)

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