Bihar Samachar: बिहार में कोरोना के गंभीर खतरों के बीच निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई हैं.
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Patna: बिहार में कोरोना (Corona) के गंभीर खतरों के बीच निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई (Online Study) शुरू हो गई हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों का सिलेबस कैसे पूरा होगा. हालांकि, बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Vijay Kumar Choudhary) ने कहा है कि जल्द ही एससीईआरटी के सहयोग से 45-45 मिनट का सिलेबस तैयार किया जा रहा है और इसी सिलेबस का प्रसारण दूरदर्शन पर होगा. लेकिन यह एक तथ्य है कि सरकारी स्कूलों में अधिकतर वैसे ही बच्चे पढ़ते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होती है.
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अगर सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास भी कराई जाती है तो भी उनके लिए सिलेबस पूरा करना मुश्किल होगा, क्योंकि मोबाइल या लैपटॉप पर पढ़ाई डेटा के जरिए होती है और वहीं, रोजाना मोबाइल डेटा महंगा हो रहा है. वहीं, अगर एक अनुमान लगाए कि एक घर में चार बच्चे हैं तो दो घंटे की पढ़ाई में एक जीबी के हिसाब से रोजाना चार जीबी खर्च होंगे. साथ हीं, सिर्फ ऑनलाइन क्लास में ही 700 से लेकर 800 रूपए तक का खर्च होगा.
इधर, समस्या घर में स्मार्ट फोन की कमी की भी है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले परिवार में अब भी दो स्मार्ट फोन मिलना मुश्किल है लिहाजा, एक समय में एक से अधिक बच्चों के लिए पढ़ाई भी मुश्किल है. दूसरी ओर अभिभावक भी मानते हैं कि, बढ़ती महंगाई में ऑनलाइन क्लास मुश्किल है क्योंकि परिवार बड़ा होता है. वहीं, सरकारी स्कूलों के हेडमास्टर्स भी मानते हैं कि, बिहार में खासकर छोटे बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास संभव नहीं है.
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इधर, निजी स्कूलों के बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है. सूबे के सरकारी बच्चों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के लिए यह व्यवस्था कब शुरू होगी. इस पर शिक्षा विभाग में बोलने के लिए कोई तैयार नहीं है. वहीं, दूसरी ओर सवाल यह है कि अगर सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू भी हुई तो क्या इसके बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई का खर्च उठा पाने में सक्षम हैं.
एक नजर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या पर:-
बता दें कि सिर्फ क्लास नौ से लेकर बारह तक में ही पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 36 लाख से अधिक है. कोरोना के बढ़ते संकट के बीच अब सवाल लाखों बच्चों के भविष्य के लिए उठने लगे हैं और महंगी ऑनलाइन पढ़ाई और सिलेबस पूरा करने का डर एक बड़ा संकट है.