बढ़ते संकट के बीच फिर उठी Lockdown की मांग, क्या 'बंदी' ही है समस्या का समाधान?
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar885805

बढ़ते संकट के बीच फिर उठी Lockdown की मांग, क्या 'बंदी' ही है समस्या का समाधान?

Bihar Corona News: जिस लॉकडाउन ने लोगों को दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल कर दिया, जिसने लाखों लोगों के रोजगार छीन लिए. उस लॉकडाउन की आहट एक बार फिर से गूंजने लगी है. 

बढ़ते संकट के बीच फिर उठी Lockdown की मांग. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Patna: 'लॉकडाउन', इस एक शब्द ने साल 2020 से लेकर अब तक सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी होंगी. पिछले 13 महीने से भारत में और लगभग डेढ़ साल से दुनिया के अन्य देशों में ये शब्द लगातार गूंजता रहा. लेकिन ये लॉकडाउन होता क्या है और इसका असर कितना होता है ये तो इस पीढ़ी ने अभी से पहले कभी नहीं देखा होगा. जब बाजार के बाजार बंद हो गए, सड़कें वीरान हो गईं, रेल सेवा से लेकर, हवाई सेवा या फिर सड़कों पर चलने वाले वाहन सब बंद हो गए. ऐसा नजारा, मानो चारों तरफ बस मातम पसरा हो.

ये सब कुछ इस कोरोना काल ने हमें देखने पर मजबूर कर दिया. एक वायरस ने दुनिया को ऐसा दहला दिया कि सारा कारोबार ठप पड़ गया. दफ्तर बंद हो गए, टूरिस्ट स्पॉट खाली हो गए और लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए क्या अमीर, क्या गरीब कोई भी इससे अछूता नहीं रहा घर से बाहर निकलना मानो अपराध हो गया.

ये भी पढ़ें- गया में DM से लेकर पुलिसकर्मी तक मिले Corona Positive, 13 दिनों में 11 लोगों की हुई मौत

लॉकडाउन की आहट से सहमे लोग
जिस लॉकडाउन ने लोगों को दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल कर दिया, जिसने लाखों लोगों के रोजगार छीन लिए. उस लॉकडाउन की आहट एक बार फिर से गूंजने लगी है. जिस तरह से महाराष्ट्र में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगा दी गई है उसी तरह देश के दूसरे हिस्सों में भी होने के आसार नजर आ रहे हैं.

बिहार भी इससे अछूता नहीं है. बिहार में भी हालात जिस तरह बद से बदतर होते जा रहे हैं उसके बाद ऐसा लग रहा है कि या तो सख्त पाबंदियां लग सकती हैं. या कर्फ्यू जैसे हालात हो सकते हैं. या फिर लॉकडाउन के लिए कदम उठाए जा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- Bihar: बढ़ते कोरोना के कारण हॉस्पिटल से श्मशान घाट तक लगा है, 'वेट टिल यूओर टर्न' का बोर्ड

IMA ने दी बिहार में लॉकडाउन की सलाह
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बिहार के हालात को देखते हुए प्रदेश में सरकार से कुछ कड़ा फैसला करने की मांग की है. आईएमए का कहना है कि बिहार में लोग जितने लापरवाह हैं और अस्पतालों में जितनी सुविधाएं हैं, उस हिसाब से अगर मरीजों की संख्या ज्यादा बढ़ी तो 'अनर्थ' हो जाएगा.

आईएमए ने सरकार को चेताया है कि तत्काल कुछ कड़ा फैसला करें, नहीं तो इस महामारी को रोकना मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि तत्काल इसके खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. आईएमए की इस बात से समझना कठिन नहीं है कि बिहार में स्वास्थ्य सुविधाएं किसी भी तरह की लापरवाही की इजाजत नहीं देती है.

लॉकडाउन को लेकर बंटी है सियासी बिरादरी 
बिहार की सियासी बिरादरी लॉकडाउन को लेकर फिलहाल एकमत नजर नहीं आ रही है. आईएमए की सलाह पर तो सबसे पहले सत्ताधारी दल BJP ने ही ऐतराज जता दिया. पार्टी का कहना है कि 'बिहार की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से लॉकडाउन की इजाजत नहीं देती, अगर ऐसी नौबत आई तो लाखों गरीब-मजदूर भूख से मर जाएंगे'. बीजेपी का कहना है कि 'कोरोना से जितनी मौत होगी, उससे ज्यादा लोग भूखमरी के शिकार हो जाएंगे.'

लेकिन सत्तापक्ष की इस दलील से कांग्रेस पूरी तरह सहमत नहीं है. कांग्रेस का मानना है कि 'गरीब और मजदूरों के पेट भरने की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए, लेकिन इस वायरस को रोकना भी उतना ही जरूरी है और इसके लिए सरकार जो भी कड़ा फैसला करेगी, कांग्रेस उसके साथ है'. हालांकि, मुख्य विपक्षी दल RJD भी पूर्ण लॉकडाउन के पक्ष में फिलहाल नजर नहीं आ रहा है. पार्टी का मानना है कि 'सरकार को पहले लोगों के खाने-पीने का इंतजाम करना चाहिए. जिन लोगों के सामने रोजगार का संकट है, उनके लिए रोज़गार की व्यवस्था होनी चाहिए.'

लॉकडाउन या कर्फ्यू की तरफ बढ़ रहा बिहार 
भले ही अभी कुछ भी साफ नहीं हो लेकिन आईएमए की सलाह और सियासी दलों के रवैये को देखकर तो ऐसा लग रहा है कि सर्वदलीय बैठक में कुछ बड़ा फैसला हो सकता है. बिहार में तमाम प्रयासों के बाद भी लोग जिस तरह की लापरवाही बरत रहे हैं. ऐसे में सरकार के पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं हैं.

ऐसा मुमकिन है कि आने वाले कुछ दिनों में प्रदेश को एक और लॉकडाउन या कर्फ्यू जैसे कड़े फैसले का सामना करना पड़े. जनता को इसके लिए तैयार रहना होगा.