बिहार: कोरोना काल में नई शादियों पर आया संकट, महिला उत्पीड़न के बढ़े मामले
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बिहार: कोरोना काल में नई शादियों पर आया संकट, महिला उत्पीड़न के बढ़े मामले

कोरोना काल में हो रही शादियां जल्द टूट रही हैं. पटना महिला थाने में पहुंचने वाले मामलों की संख्या कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं. दरअसल कोरोना काल में जल्दबाजी में होने वाली शादियां टिक नहीं पा रही हैं.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

पटना: कोरोना काल में हो रही शादियां जल्द टूट रही हैं. पटना महिला थाने में पहुंचने वाले मामलों की संख्या कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं. दरअसल कोरोना काल में जल्दबाजी में होने वाली शादियां टिक नहीं पा रही हैं. आलम ये है कि एक महीने में शादियां टूट जा रही हैं और महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले बढ़ते जा रहे हैं. 

  1. पड़ताल में हुए चौंकाने वाले खुलासे
  2. महीने भर में टूट जा रही शादियां
  3. वर्क फ्राम होम में बढ़ा विवाद
  4.  

दरअसल महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों की पड़ताल में हुए चौकाने वाले खुलासे ने कोरोना काल के दौरान वैवाहिक जीवन में आई कटुता की पोल खोलकर रख दी है.
 
महिला थाने में दर्ज हुए मामले
साल 2020 में पटना महिला थाने में 1850 महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले पहुंचे. वहीं साल 2021 दिसंबर तक 2160 मामले महिला थाने में आए. काउंसलिंग के बाद जहां 2020 में 147 केस दर्ज किए गए वहीं 2021 में 153 केस दर्ज हुए.

जल्दबाजी में हुई शादी बनी मुसीबत 
महिला थाने की काउंसलर सुप्रिया गिरी बताती हैं कि कोरोना काल में लोगों ने जल्दबाजी में शादियां की है. शादी से पहले लड़के को लेकर ठीक से छानबीन नहीं किया जाना शादी टूटने की बडी वजह बन गई है. ज्यादातर मामलों में शिकायतें ये आ रही हैं कि कोरोना की वजह से लड़के की नौकरी छूट चुकी है लेकिन फिर भी लड़के वाले इस बात को छिपाकर शादी कर ले रहे हैं. बाद में खुलासा होने पर शादी टूटने की नौबत आ जा रही है. 

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर
वहीं कुछ मामले ऐसे भी आ रहे हैं जहां लड़कों का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है लेकिन जल्दबाजी में शादी करने के चक्कर में लड़की पक्ष ये पता नहीं लगा पा रहे है कि लड़का धोखा दे रहा है.

काउंसलिंग के जरिए निपटाए गए केस 
मामले का सबसे बेहतर पहलू ये रहा कि महिला थाने की ओर से काउंसलिंग के जरिए कई घरों का बचाया जा सका है. यही वजह है कि जितनी बड़ी तादाद में कंप्लेन महिला थाने में बीते सालों में पहुंची उतनी बड़ी संख्या में केस दर्ज नहीं हुए.

वर्क फ्राम होम ने पारिवारिक विवाद को बढ़ाया  
दरअसल महिला उत्पीड़न का मामला सिर्फ शादी विवाह में गलतफहमी तक ही सीमित नहीं है. कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) भी पति-पत्नी में विवाद की बड़ी वजह बन गया. साल 2020-21 में महिला सुरक्षा को लेकर काम करने वाली सरकारी संस्था महिला हेल्पलाईन में पूरे बिहार में महिला उत्पीड़न से जुड़े 79 हजार मामले दर्ज किए गए. जिसमें केवल पटना में 8728 मामले दर्ज हुए.

ये हैं आकंड़ें
वहीं, गया में 4447, मुजफ्फरपुर में 3389, बेगुसराय में 3278, वैशाली में 2295, नालंदा में 1895, लखीसराय में 471, खगडिया में 551, कैमूर में 690, मुंगेर में 862 और सीतामढ़ी में 881 मामले महिला उत्पीड़न से जुड़े दर्ज किया गए.

WFH ने वैवाहिक जीवन किया प्रभावित
पटना महिला हेल्पलाईन की काउंसलर प्रमीला कुमारी बताती हैं कि वर्क फ्राम होम ने वैवाहिक जीवन को प्रभावित किया है. सुबह से लेकर शाम तक किचन से लेकर बेड रुम तक के माहौल ने पति पत्नी को काफी प्रभावित किया है. आलम ये है कि पति-पत्नी 24 घंटों तक एक दूसरे को झेलने की स्थिती में नजर नहीं आ रहे. 

प्रमीला बताती हैं कि कोरोना का दूसरा ईफेक्ट ये भी हुआ है कि कोरोना के कारण जहां पुरुष की मौत हो गई है और महिला को संतान के रुप में बच्ची है, वहां भी पुरुष के परिवार वाले महिला को संपत्ति के चक्कर में प्रताड़ित कर रहे हैं.   

1 साल में कम आए उत्पीड़न के मामले 
हालांकि महिला हेल्पलाईन के आंकड़ों को देखें तो साल 2020-21 की तुलना में साल 21-22 काफी बेहतर नजर आ रहे हैं. 2021-22 में कोरोना के बावजूद मिली स्वतंत्रता ने पारिवारिक माहौल को बचाने में काफी हद तक सफलता पाई है. 2021 दिसंबर तक पटना महिला हेल्पलाईन में केवल 567 मामले दर्ज किये गए हैं. जिसमें सबसे ज्यादा डोमेस्टिक वायलंस (Domestic Violence) के 329 मामले दर्ज हुए हैं. वहीं डॉरी से संबंधित केवल 71 मामले दर्ज हुए हैं.

महिला आयोग में 5000 से ज्यादा केस पेंडिंग
महिला हेल्पलाईन के ये आंकडे सिर्फ अधूरी कहानी हैं. क्योंकि इस कड़ी में महिला आयोग के आंकडे चौंकाने वाले हैं. बीते एक सालों से महिला आयोग पूरी तरह डिफंक्ट है. यहां अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल अक्टूबर 2020 से ही खत्म हो चुका है. महिला आयोग में अभी तक 5000 से ज्यादा केस पेंडिंग हैं. हर दिन 10 से 15 केस आयोग में पहुंचते हैं. लेकिन फिलहाल अभी यहां सुनवाई की कोई व्यवस्था नहीं है.

कोरोना ने महिलाओं की बढ़ाई मुसीबत
कुल मिलाकर कहा जाए तो कोरोना काल में महिलाओं के उत्पीड़न से जुड़े मामलों में बढोतरी हुई है. हालांकि उत्पीड़न के आयाम अलग- अलग जरूर हैं. लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं कि आम लोगों की तुलना में कोरोना ने महिलाओं की समस्या कुछ ज्यादा ही बढ़ा दी.

 

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