Gold Treasure Founds in Bihar: सोने का यह भंडार (gold reserves) बिहार के राजगीर में एक गुफा के अंदर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें मगध साम्राज्य के सम्राट यानी मौर्य शासक बिम्बिसार का बेशकीमती खजाना छुपा है
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पटनाः Gold Treasure Founds in Bihar: बिहार में अभी हाल ही में जमुई जिले के सोनो प्रखंड में सोने के भंडार (gold reserves) का पता चला है. इसके बाद इस स्वर्ण भंडार से बिहार की सूरत बदल जाने की बात हो रही है. इस स्वर्ण भंडार (gold reserves) के सामने आने के बाद बिहार में सदियों से छिपे और दबे एक और खजाने की चर्चा शुरू हो गई है.
यह खजाना छिपा है प्रदेश की राजगीर की पहाड़ियों में, जहां इसके 2500 साल से लेकर पौराणिक समय से दबे होने की बात कही जा रही है. खजाने को लेकर इतिहासकारों में अभी भी शोध जारी है.
शासक बिंबिसार का है सोने का भंडार?
जानकारी के मुताबिक, सोने का यह भंडार (gold reserves) बिहार के राजगीर में एक गुफा के अंदर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें मगध साम्राज्य के सम्राट यानी मौर्य शासक बिम्बिसार का बेशकीमती खजाना छुपा है, जिसे आज तक कोई नहीं खोज पाया है. इसे 'सोन भंडार' के नाम से जाना जाता है.
मौर्य शासक बिंबिसार ने अपने शासन काल में राजगीर में एक बड़े पहाड़ को काटकर अपने खजाने को छुपाने के लिए गुफा बनाई थी.
इसलिए पड़ा सोन भंडार नाम
इसी कारण इस गुफा का नाम पड़ा था सोन भंडार (gold reserves). इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि सोने को सहेजने के लिए इस गुफा को बनवाया गया था. पूरी चट्टान को काटकर यहां पर दो बड़े कमरे बनवाए गए थे. गुफा के पहले कमरे में जहां सिपाहियों के रुकने की व्यवस्था थी.
वहीं, दूसरे कमरे में खजाना छुपा था. दूसरे कमरे को पत्थर की एक बड़ी चट्टान से ढंका गया है. जिसे आज तक कोई नहीं खोल पाया.
अंग्रेजों ने की थी तोप से उड़ाने की कोशिश, हुए थे नाकाम
इस गुफा में दबे सोने के लालच से अंग्रेज भी नहीं बच पाए थे. अंग्रेजों ने इस गुफा को तोप के गोले से उड़ाने की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें नाकामयाब रहे थे. आज भी इस गुफा पर उस गोले के निशान देखे जा सकते हैं. सोन भंडार (gold reserves) गुफा में अंदर घुसते ही 10.4 मीटर लंबा चौड़ा और 5.2 मीटर चौड़ा कमरा है.
इस कमरे की ऊंचाई लगभग 1.5 मीटर है. यह कमरा खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था. इसी कमरे के दूसरी ओर खजाने का कमरा है, जो कि एक बड़ी चट्टान से ढंका हुआ है.
शंख लिपि, जिसे पढ़ना अभी तक मुमकिन नहीं
मौर्य शासक के समय बनी इस गुफा की एक चट्टान पर शंख लिपि में कुछ लिखा है. इसके संबंध में यह मान्यता प्रचलित है कि इसी शंख लिपि में इस खजाने के कमरे को खोलने का राज लिखा है. यहां पर जैन धर्म के अवशेष भी देखने को मिलते हैं. दूसरी ओर बनी गुफा में 6 जैन धर्म तीर्थंकरों की मूर्तियां भी चट्टान में उकेरी गई हैं.
इससे यह स्पष्ट होता है कि यहां पर जैन धर्म के अनुयायी भी रहे थे. एक अनुमान ये है कि दोनों ही गुफा तीसरी और चौथी शताब्दी में चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं. इन गुफाओं के कमरों को पॉलिश किया गया है.
जरासंध का भी बताते हैं सोना
इस गुफा में छिपा ये सोन भंडार किसका है, इसे लेकर एक और मान्यता प्रचलित है. कुछ शोधकर्ताओं का मत है कि ये सोन भंडार (gold reserves) महाभारत कालीन मगध सम्राट जरासंध का है. जरासंध प्राचीन काल में 100 राजाओं को जीतकर उनकी बलि देने की योजना बना रहा था.
उसने 86 राजाओं को जीतकर उन्हें बंदी बना लिया था. 14 और राजाओं पर विजय अभियान से पहले ही भीम ने उसका वध कर दिया था. इन्हीं 86 राजाओं से लूटा गया धन (gold treasure) जरासंध ने यहां सुरक्षित रखा था.
देश में अपार होगा सोने का भंडार
कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि चंद्रगुप्त मौर्य से बचाने के लिए महाराज घनानंद ने अपना खजाना (gold treasure) इस गुफा में दबा दिया था. खैर, जो भी हो, जमुई के सोनो प्रखंड की ही तरह नालंदा जिले में स्थित राजगीर में वैभवगिरी पहाड़ियों की तलहटी में बनी इस गुफा का रहस्य अगर सामने आ पाता है तो बिहार ही नहीं देश में अपार सोने का ही भंडार होगा और भारत विश्वभर में सोने के मामले में पहले स्थान पर पहुंच जाएगा.
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