Gupt Navratra Durga Puja 2022: आषाढ़ गुप्त नवरात्र का पावन समय चल रहा है. मन्दिरों में आस्था का जमघट लगा हुआ है. इसी कड़ी में आपको ले चलते हैं बिहार के उस देवी स्थल की ओर, जिसका अपना अलग ही धार्मिक महत्व है.
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पटना: Gupt Navratra Durga Puja 2022: आषाढ़ गुप्त नवरात्र का पावन समय चल रहा है. मन्दिरों में आस्था का जमघट लगा हुआ है. इसी कड़ी में आपको ले चलते हैं बिहार के उस देवी स्थल की ओर, जिसका अपना अलग ही धार्मिक महत्व है.
कैमूर की पहाड़ी पर स्थित है मन्दिर
बिहार के कैमूर जिले में स्थित है महामाई मुंडेश्वरी धाम. कहते हैं कि देवी मां ने युगों पहले यहीं पहाड़ी पर चण्ड मुंड नामके राक्षसों का वध किया था. बिहार के भभुआ जिला केद्र से चौदह किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है कैमूर की पहाड़ी. साढ़े छह सौ फीट की ऊंचाई वाली इस पहाड़ी पर माता मुंडेश्वरी एवं महामण्डलेश्वर महादेव का एक प्राचीन मंदिर है.
दुर्गासप्तशती में है वर्णन
इस बारे में दुर्गासप्तशती में भी कथा आती है. कहते हैं कि चंड-मुंड के नाश के लिए जब देवी उद्यत हुई थीं तो चंड के विनाश के बाद मुंड युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी में छिप गया था और यहीं पर माता ने उसका वध किया था. इसीलिए यहां देवी मुंडेश्वरी माता के नाम से स्थानीय लोगों में जानी जाती हैं.
1900 सालों से हो रही है पूजा
मुंडेश्वरी मंदिर की प्राचीनता का महत्व इस दृष्टि से और भी अधिक है कि यहाँ पर पूजा की परंपरा 1900 सालों से लगातार चली आ रही है और आज भी यह मंदिर पूरी तरह जीवंत है.
भारत का सबसे प्राचीन मंदिर
यह मंदिर भारत का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है. मंदिर परिसर में विद्यमान शिलालेखों से इसकी ऐतिहासिकता प्रमाणित होती है. 1838 से 1904 ई. के बीच कई ब्रिटिश विद्वान् व पर्यटक यहाँ आए थे. प्रसिद्ध इतिहासकार फ्राँसिस बुकनन भी यहाँ आये थे. मंदिर का एक शिलालेख कोलकाता के भारतीय संग्रहालय में है. पुरातत्वविदों के अनुसार यह शिलालेख 349 ई. से 636 ई. के बीच का है.
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