Mahashivratri Pooja Vidhi: महाशिवरात्रि से पहले जानिए शिवजी की पूजा विधि और मंत्र
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Mahashivratri Pooja Vidhi: महाशिवरात्रि से पहले जानिए शिवजी की पूजा विधि और मंत्र

Mahashivratri Pooja Vidhi:  शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. ध्यान रहे कि बेलपत्र अच्छी तरह साफ किये होने चाहिए. शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप जरूर करें.

Mahashivratri Pooja Vidhi: महाशिवरात्रि से पहले जानिए शिवजी की पूजा विधि और मंत्र

पटनाः Mahashivratri Pooja Vidhi: आने वाली 1 मार्च 2022 को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. बसंत ऋतु के सुंदर मौसम में फाल्गुन मास के दौरान शिवरात्रि का विशेष व्रत किया जाता है. जब भोले के भक्त सिर्फ उनकी भक्ति में मस्त और लीन रहते हैं. महाशिवरात्रि व्रत कैसे किया जाए इसके लिए शास्त्रों के अनुसार नियम तय किए गए हैं. महाशिवरात्रि पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानिए. 

  1. महाशिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें.
  2. संध्या के समय आप फलहार करें, उपासक को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. 

रुद्राभिषेक से प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ
महाशिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें. किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें. मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भर लें. सबसे पहले आप शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें. ऐसी मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं.

शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें
अब आप शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. ध्यान रहे कि बेलपत्र अच्छी तरह साफ किये होने चाहिए. शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप जरूर करें. सुविधानुसार माला पर भी जप कर सकते हैं. अब आप भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें. शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें.

निशीथ काल में पूजा सबसे उत्तम
संध्या के समय आप फलहार कर सकते हैं. उपासक को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें. महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण भी किया जाता है. महादेव के भजनों के साथ जागरण करें. शास्त्रीय विधि-विधान को मानें तो शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सबसे उत्तम है. भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से अपनी सुविधानुसार कभी भी उनका पूजन कर सकते हैं. अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए. 

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