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Kaimur: कैमूर जिले के भभुआ प्रखंड के अनुसूचित जाति उत्क्रमित मध्य विद्यालय अखलासपुर में सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां बच्चों की पढ़ाई के लिए 2 कमरे हैं, लेकिन इस विद्यालय में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक की पढ़ाई होती है और करीब 300 से अधिक छात्र यहां पढ़ने आते हैं.
'खुले आसमान के नीचे पढ़ाई की मजबूरी'
छात्रों की अधिक संख्या और कमरे की कमी के कारण यहां बरामदे से लेकर कमरे तक एक साथ दो से तीन कक्षा के छात्रों को बिठाया जाता है. तो वहीं छात्रों से कमरे और बरामदे के फुल हो जाने के बाद शिक्षक बच्चों को पेड़ के नीचे और खुले आसमान के नीचे बैठाकर पढ़ाते हैं. एक ओर जहां पूरे राज्य में लू को लेकर अलर्ट है.
मौसम विभाग लोगों से दोपहर में बाहर नहीं निकलने की अपील कर रही है, तो वहीं भरी दोपहरी में खुले आसमान के नीचे छात्र पढ़ने को मजबूर हैं. जिससे एक ओर उनको लू का खतरा बना हुआ है तो वहीं, छात्र गर्मी से भी परेशान रहते हैं. कैमूर जिले की बात की जाए तो पिछले 4 दिन से यहां 42 डिग्री सेल्सियस तापमान रह रहा है. ऐसे में खुले आसमान के नीचे बच्चों को बैठाना उनकी जान के साथ खिलवाड़ से कम नहीं है.
एक ही बरामदे पर बैठते हैं तीन क्लास के बच्चे
स्कूल में वैसे तो सिर्फ कमरे दो है. लेकिन यहां पर शिक्षा क्लास 1 और 8 तक दी जाती है. ऐसे में कमरे की कमी इस विद्यालय में हमेशा बनी रहती है. आलम ये है कि स्कूल के छोटे से बरामदे में ही तीन क्लास के बच्चे को शिक्षक एक साथ पढ़ाते नजर आते हैं. विद्यालय की प्रधानाध्यापिका बताती हैं कि अनुसूचित जाति उत्क्रमित मध्य विद्यालय अखलासपुर पहले प्राथमिक विद्यालय हुआ करता था. लेकिन 2013 में इसे अपग्रेड कर उत्क्रमित मध्य विद्यालय कर दिया गया. जिसके बाद कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई शुरू कर दी गई. हालांकी क्लास बढ़ाने के साथ सुविधाओं का ख्याल नहीं रखा गया, जिस वजह से बच्चों को परेशानी हो रही है.
'अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं शिक्षक'
प्राथमिक विद्यालय से मध्य विद्यालय में अपग्रेड हुए 9 साल बीत गए हैं, लेकिन अबतक विद्यालय परिसर के अंदर कमरा का निर्माण नहीं हो पाया है. सिर्फ दो कमरा बना हुआ है जबकि सभी क्लास के लिए अलग-अलग कमरों की जरूरत है. वहीं बच्चों को पढ़ाने के लिए अभी 11 शिक्षक-शिक्षिका और 1 टोला सेवक हैं. अनुसूचित जाति उत्क्रमित मध्य विद्यालय अखलासपुर के प्रधान शिक्षिका का कहना है कि, कई बार उन्होनें अधिकारियों को स्कूल में जगह की कमी की जानकारी दी, लेकिन पिछले 9 सालों से इस पर कोई अमल करने को तैयार नहीं है.
तेज धूप और बारिश के समय स्कूल में छुट्टी करनी पड़ती है
विद्यालय के दो कमरे में 7वीं और 8वीं के बच्चे पढ़ते हैं, कक्षा 1 से 3 तक के बच्चे विद्यालय कैंपस के अंदर खुले बरामदे में पढ़ते हैं, वहीं चौथी और पांचवीं क्लास के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. यहां के शिक्षकों का कहना है कि जब ज्यादा तेज धूप हो या बादल घिर जाए तो शिक्षकों को विद्यालय की छुट्टी करनी पड़ जाती है. वहीं अखलासपुर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि रमेश कुमार बताते हैं कि विद्यालय में कमरा बनवाने को लेकर कई बार अधिकारियों के संज्ञान में डाला गया है, लेकिन अबतक कमरा नहीं बन पाया.
अधिकारियों को नहीं है मामले की जानकारी
वहीं, नए जिला शिक्षा पदाधिकारी सुमन शर्मा का कहना है कि 'अभी नया-नया आया हूं. मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है, मैं जानकारी लेता हूं कि कैसे इसको छोड़ दिया गया है और इसके लिए क्या किया जा सकता है उन्होनें कहा कि 'नए वित्तीय वर्ष में विद्यालय में भवन बनाने के लिए राशि आवंटन की मांग करूंगा और मैं उसकी जांच करा लेता हूं बहुत जल्द बच्चों के लिए कमरा उपलब्ध कराऊंगा'
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