Sugar Free Mango: पकने के बाद 16 बार रंग बदलता है ये आम, शुगर मरीजों के लिए वरदान
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Sugar Free Mango: पकने के बाद 16 बार रंग बदलता है ये आम, शुगर मरीजों के लिए वरदान

Sugar Free Mango: बिहार में मुजफ्फरपुर के मुशहरी के रहने वाले किसान भूषण सिंह के बाग में इस आम के पेड और आम को देखने के लिए लोग खूब जुट रहे हैं.

इस आम का आकार और रंग भी अन्य आमों से अलग है.

मुजफ्फरपुर: Sugar Free Mango: बिहार में ऐसे तो फलों के राजा आम की कई किस्में खाने और देखने को मिल जाएंगी, लेकिन हाल के दिनों में एक शुगर फ्री आम की चर्चा खूब हो रही है. दावा किया गया है कि यह आम पकने तक 16 बार रंग बदलता है.

अलग आकार और रंग का है आम
बिहार में मुजफ्फरपुर के मुशहरी के रहने वाले किसान भूषण सिंह के बाग में इस आम के पेड और आम को देखने के लिए लोग खूब जुट रहे हैं और इसकी खूबियों की जानकारी ले रहे हैं. इस आम का आकार और रंग भी अन्य आमों से अलग है, जिस कारण आने-जाने वाले लोग इसे एक बार जरूर देखना चाह रहे हैं.

4 साल में दिया फल
किसान भूषण सिंह बताते हैं कि वे इस आम की किस्म को पश्चिम बंगाल से लेकर आए हैं. वे बताते हैं कि ये एक बहुत छोटे आकार का पौधा होता है. सिंह ने कहा, 'आमतौर पर इस प्रजाति की पौध दो से तीन साल में फल देती है, हालांकि किसी कारणवश इस पौधे ने चार साल में फल दिया.'

16 बार अपना रंग बदलता है आम
उन्होंने इसे अमेरिकन ब्यूटी प्रजाति का आम बताते हुए कहा, 'इसकी सबसे बड़ी विशेषता आम का मंजर और दाना सामान्य आम की तरह निकलता है, लेकिन शुरू से लेकर पकने तक यह आम 16 बार अपना रंग बदलता है. पकने के समय इसका वजन आधा किलो से ज्यादा हो जाता है. आमतौर पर एक आम का वजन चार सौ ग्राम होता है."

शुगर फ्री आम
उन्होंने कहा कि यह अन्य आम से कम मीठा है. उन्होंने इसे शुगर फ्री होने का भी दावा किया.

'कोई वैज्ञानिक आधार नहीं'
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के सह निदेशक अनुसंधान एवं प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) डॉ. एस. के. सिंह कहते हैं कि फिलहाल उन्होंने इस आम की प्रजाति को देखा नहीं है, हालांकि 16 बार रंग बदलने का कोई वैज्ञानिक आधार नजर नहीं आता है.

जांच के बाद चीजें होंगी साफ
उन्होंने कहा कि आमतौर पर साधारण आम भी टिकोले से लेकर पकने तक चार-पांच बार रंग बदलते हैं. शुगर फ्री के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कम मीठा है, तो स्वभाविक है कि मधुमेह के रोगियों के लिए बेहतर हो, फिर भी जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकता है.

(आईएएनएस)

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