अमीर सवर्ण कर रहे हैं सामान्य श्रेणी के गरीबों के आरक्षण का विरोध : हुकुमदेव नारायण यादव
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अमीर सवर्ण कर रहे हैं सामान्य श्रेणी के गरीबों के आरक्षण का विरोध : हुकुमदेव नारायण यादव

 बीजेपी सांसद ने कहा यह समाजवादी आंदोलन से जुड़े लोगों का सपना था कि कभी पिछड़ी जाति का ऐसा आदमी सत्ता में आयेगा जो सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों के बच्चों के बारे में सोचेगा.

हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा सवर्णों को आरक्षण देकर पीएम मोदी ने कई सपने साकार किए हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली/मधुबनी : राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा और रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून बन चुका है. इस विषय पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता, मधुबनी से सांसद और मंडल आंदोलन से जुड़े रहे हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा है कि अमीर सवर्ण कर रहे हैं सामान्य श्रेणी के गरीबों को आरक्षण का विरोध.

एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण ऊंची जाति के गरीब लोगों में चेतना का जागरण होगा, उनका रिश्ता पिछड़े और दलित गरीबों से जुड़ेगा और तभी हिन्दुस्तान में सही मायने में सामाजिक क्रांति के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक क्रांति भी आएगी. उन्होंने कहा इस कानून का व्यापक और दूरगामी प्रभाव पड़ेगा. बीजेपी सांसद ने कहा यह समाजवादी आंदोलन से जुड़े लोगों का सपना था कि कभी पिछड़ी जाति का ऐसा आदमी सत्ता में आयेगा जो सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों के बच्चों के बारे में सोचेगा. पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन्हीं अरमानों को पूरा करने की दिशा में कदम उठाया है. 

विपक्षी दलों के द्वारा विधेयक का समर्थन करने, लेकिन इसे बीजेपी का चुनावी लालीपॉप बताने वाले बयान पर हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा, 'लोहिया के दर्शन के अनुसार, गरीब के अंदर दो तरह की भूख है. एक रोटी से जुड़ी पेट की भूख और दूसरा सम्मान से जुड़ी मन की भूख. पिछड़े और दलित दोनों तरह की भूख से पीड़ित हैं, जबकि ऊंची जाति के गरीब पेट की भूख से पीड़ित हैं. ऊंची जाति में भी सामंतों का एक वर्ग है जो अपनी ही जाति के गरीबों का शोषण करता है, उन्हें बराबरी पर नहीं आने देता है. ऐसे में मोदी सरकार का सामान्य श्रेणी के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला ऊंची जाति के गरीबों के साथ पिछड़े और दलितों के साथ जुड़ाव का महत्वपूर्ण कारक बनेगा. इससे जातिभेद मिटेगा और वर्ग बनेगा.'

जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग पर उन्होंने कहा कि आरक्षण का मतलब होता है 'विशेष अवसर'. आरक्षण का लाभ सबसे पहले उन्हें मिले जिनके पास खेती, नौकरी और व्यापार में से एक भी साधन नहीं है. इसके बाद विशेष अवसर का लाभ उन्हें मिले जिनके पास इनमें से कोई एक साधन हो. सरकारी नौकरी के लिये अंतरजातीय विवाह को अनिवार्य किया जाना चाहिए. इससे ऐसा समाज बनेगा जो वर्गविहीन और वर्णविहीन होगा और तब भारतीयता के विराट रूप का बोध होगा. 

जब उनसे पूछा गया कि सामान्य श्रेणी को आरक्षण के कदम का एक वर्ग ने विरोध क्यों किया है, तो उन्होंने कहा, 'इस विषय पर समाज में भ्रम फैलाने का प्रयास किया जा रहा है. मैं स्पष्ट कर दूं कि इस कोटे से पिछड़ा और दलित वर्गों को जो आरक्षण प्राप्त है, उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. पिछड़ों और दलितों को 50 प्रतिशत आरक्षण यथावत है. अगर संसद में चर्चा को देखें तब सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण का विरोध ज्यादातर सामान्य वर्ग के नेताओं ने किया है. अनुसूचित जाति, ओबीसी वर्ग के नेताओं ने इसका समर्थन ही किया है. अन्नाद्रमुक और द्रमुक का जन्म ही ब्राह्मण विरोध के आधार पर हुआ.'

बीजेपी नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उदारवाद की नई धारा बहाई है जिसका आधार 'सबका साथ, सबका विकास' है. उज्जवला योजना में सबसे ज्यादा गैस सिलिंडर दलितों, पिछड़ों अनुसूचित जाति के लोगों, मुस्लिमों के बीच बांटे गए. उसमें कहां विवाद है. सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं वे सभी गरीबोन्मुखी हैं. झोपड़ी वालों, निर्बल और निर्धन के लिए हैं. ऐसे में सामान्य श्रेणी के निर्धन और निर्बल के सशक्तिकरण के इस कदम का खुले मन से समर्थन किया जाना चाहिए.

(भाषा इनपुट)