पूर्णिया बाल सुधार गृह में परिस्थिति विपरित है. सुधार से ज्यादा यहां कानून तोड़े जा रहे हैं.
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पूर्णिया : बिहार के पूर्णिया जिले के बाल सुधार गृह में कानून का नहीं, बल्कि गुंडों का राज चलता है. यहां आने वाले बाल कैदियों को थर्ड डिग्री टॉर्चर किया जाता है. पहले भी डबल मर्डर की पटकथा लिखी गई है. यहां एकबार फिर नए बाल कैदी की बेरहमी से पिटाई का मामला सामने आया है.
यूं तो बाल सुधार गृह में आए बच्चे अपराधी प्रवृति के ही होते हैं, लेकिन यहां आकर उम्मीद होती है कि अपने अतीत को छोड़ एक बेहतर कल का निर्माण करेंगे. पूर्णिया बाल सुधार गृह में परिस्थिति विपरित है. सुधार से ज्यादा यहां कानून तोड़े जा रहे हैं.
पूर्णिया के सदर अस्पताल में एक बाल कैदी जिंदगी और मौत से जूझ रहा है. इसका कसूर बस इतना है कि यह इस सुधार गृह का नया कैदी है और इसने वहां पहले से मौजूद अपरैधिों को पहचनता नहीं. बाल सुधार गृह के अंदर मौजूद पुराने कैदियों ने इसकी इतनी पिटाई की कि वह अस्पताल पहुंच गया. टॉर्चर से उसकी आवाज गुम हो गई है. वह अपनी व्यथा लिखकर बता रहा है.
घटना के बाद अपना कर्तव्य निभाने के लिए पुलिस अधिकारी बच्चे का बयान लेने पहुंचे. उनका भी यह मानना है कि बाल कैदी के साथ ज्यदती हुई है.
पूर्णिया बाल सुधार गृह में पिछले दिनों आपसी रंजिश में चली गोलीबारी में एक कैदी सहित एक वार्डेन की हत्या हो गई थी. घटना की जांच जारी ही है कि एक और घटना को अंजाम दिया गया है. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब बाल सुधार गृह में भी बच्चे नहीं सुध रहे हैं तो इसका औचित्य ही क्या है.