न घर के न घाट के रहे चिराग, NDA से अलग हो कर क्या डूब चुकी है LJP की नैय्या?
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न घर के न घाट के रहे चिराग, NDA से अलग हो कर क्या डूब चुकी है LJP की नैय्या?

चिराग पासवान ने कई ऐसे मौकों पर यह तक कह दिया कि असल गठबंधन में बीजेपी और एलजेपी ही है. जेडीयू एक औपचारिकता मात्र के लिए है.

न घर के न घाट के रहे चिराग, NDA से अलग हो कर क्या डूब चुकी है LJP की नैय्या?

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhansabha election) में जहां एक तरफ सभी दल गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर चिराग के नेतृत्व में एलजेपी ने एनडीए से अपनी राहें अलग तलाशी और 143 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन विडंबना यह है कि एनडीए गठबंधन को टाटा बाय-बाय कहने के बाद भी चिराग पासवान (Chirag Paswan) खुद को बीजेपी की बी टीम बताने से नहीं चूकते. 

चिराग पासवान ने कई ऐसे मौकों पर यह तक कह दिया कि असल गठबंधन में बीजेपी और एलजेपी ही है. जेडीयू एक औपचारिकता मात्र के लिए है.

बीजेपी ने कहा- बचकाना हरकतें न करें चिराग
हालांकि, बीजेपी के कई प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने चिराग के इस हरकत को बचकाना करार देते हुए उनसे कन्नी काटी है. बीजेपी ने अपनी तरफ से कई बार यह बात साफ कर दी कि एलजेपी के साथ बिहार में उनका कोई नाता नहीं है. यह बस बीजेपी के वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित करने का एक छलावा मात्र है.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सांबित पात्रा, बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल और बिहार के मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने चिराग पासवान को बार-बार आगाह किया कि वे इस तरह की बयानबाजी न करें. हालांकि, फिर भी चिराग मानने को तैयार नहीं.

बीजेपी ने कहा- हमारी कोई बी टीम नहीं
अब इसका एकमात्र कारण यह है कि जिस स्वाभिमान के भरोसे चिराग पासवान ने तमाम मान-मनौव्वल के बाद बीजेपी से किनारा किया था, वह अब उन्हें टूटता सा नजर आने लगा है. बीजेपी ने केंद्रस्तर पर एलजेपी के समर्थन की परवाह किए बिना यह साफ कह दिया कि एनडीए गठबंधन का मतलब बीजेपी और जेडीयू ही है. बीजेपी की कोई बी टीम नहीं. अब इससे चिराग पासवान को इस बात का डर सताने लगा कि उनकी हालत कहीं धोबी के कुत्ते जैसी न हो जाए. जो न तो घर का होगा और न ही घाट का.

फेल हो गई है चिराग की रणनीति
दरअसल, चिराग पासवान को बिहार के सियासत की सिर्फ इतनी समझ है जितनी वे अपने पिता रामविलास पासवान के कहे अनुसार सीख सके. जमीनी स्तर पर हकीकत को परख पाने से कोसों दूर चिराग ने जब एनडीए से किनारा किया था, तब उन्हें यह लगा था कि 8 प्रतिशत दलित वोटरों पर जो एलजेपी की पकड़ है, उसके अलावा बीजेपी के सवर्ण तबके के वोटरों को वे अपने पाले में खींचने में सफल हो सकते हैं, लेकिन उनकी वह चाल अब ढ़ीली पड़ती नजर आ रही है.

पीएम के पोस्टर इस्तेमाल करने पर BJP ने किया आगाह
बीजेपी के कई बागियों के एलजेपी में शामिल हो जाने के बाद आलाकमान ने चिराग को लेकर तल्ख तेवर अपनाने शुरू कर दिए हैं. बागी नेताओं की शरणस्थली बनी एलजेपी पर एक्शन लेने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. पिछले दिनों एलजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों को अपने चुनावी प्रचार के दौरान खूब इस्तेमाल किया ताकि बीजेपी बी टीम के रूप में खुद को दिखा कर वोटों को अपने पाले में कर सके, लेकिन बीजेपी ने उन्हें आगाह करते हुए कहा कि इस बार अगर एलजेपी ने पीएम के पोस्टर इस्तेमाल किए तो पार्टी उनपर एक्शन लेगी.

चिराग पासवान को अब शायद यह समझ आने लगा है कि एनडीए गठबंधन से अलग हो जाने के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी आगे की राह जरा मुश्किल सी हो गई है.