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जमुई : लक्ष्मीपुर के लडुबा चौक से गांव कर्रा जाने के रास्ते से व्यवसायी सहित एक ही परिवार के तीन लोगों का अपहरण की पूरी कहानी संदेह के दायरे में है. इसकी गहन जांच की जा रही है. उक्त जानकारी पुलिस अधीक्षक डा शौर्य सुमन ने लक्ष्मीपुर थाने में प्रेस वार्ता कर दी है. उन्होंने कई ऐसे तथ्यों को रेखांकित किया है, जिसके अनुसार अपहरण की कथित घटना सवालों के घेरे में है.
उन्होंने बताया कि तीनों अपहृत के बयान अलग-अलग हैं और 48 घंटे के दौरान अपहर्ताओं द्वारा की गई मारपीट के बावजूद शरीर पर कोई निशान नहीं पाया जाना पूरे मामले को संदेहास्पद बनाता है. इसके अलावा अपहतों के गले का सोने का लाकेट सही सलामत होना भी संदेह उत्पन्न कर रहा है. बताया जाता है कि जीमेल लोकेशन में अपहर्ता अपहृतों के घर से महज 400 से 500 मीटर की दूरी से फोन कर फिरौती की रकम मांग रहा था. पुलिस अधीक्षक ने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि इस कथित अपहरण कांड में बगैर किसी फिरौती के तीनों की सकुशल वापसी हुई है.
उन्होंने बताया कि गुरुवार की शाम व्यवसायी सतनदेव शाह सहित उसके भांजे विकास और भतीजे सुजीत के अपहरण की सूचना पुलिस को मिली. इसके बाद से पुलिस सक्रिय हो गई. एसडीपीओ सतीश सुमन के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया गया. उक्त टीम में सीपी यादव और राजेश शरण के साथ-साथ लक्ष्मीपुर थानाध्यक्ष राजवर्धन एवं आसूचना इकाई के अधिकारियों को लगाया गया. 200 से अधिक मोबाइल नंबर का सत्यापन तथा घटनास्थल एवं अन्य संभावित इलाकों में लगातार पुलिस की दबिश पड़ती रही. इसके बाद जिस बाइक से घर जाने के क्रम में अपहृत को अगवा किया गया था. उसी बाइक से उसकी सकुशल वापसी भी संदेह पैदा करता है. फिलहाल मामले की गहन जांच जारी है.
इसके बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि अपहरण की यह पूरी कहानी इन लोगों द्वारा क्यों रची गई थी. इसके पहले लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र के ही तेतरिया गांव के सोनू ने खुद के अपहरण की साजिश रच कर शराब तस्करी में विरोध करने वाले ग्रामीणों को फसाने की कोशिश की गई थी. उसे उड़ीसा से ट्रक पर खलासी का काम करते हुए बरामद किया गया.