आनंद मोहन सिंह के साथ 26 और लोगों को रिहा करने का फैसला बिहार सरकार ने लिया है. इसमें आरजेडी के बाहुबली नेता राजबल्लभ यादव भी शामिल हैं. RJD नेता नाबालिग लड़की से रेप मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं.
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Anand Mohan Releasing: बिहार के जिला गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या में जेल काटने के बाद आनंद मोहन की परमानेंट रिहाई होने वाली है. उन पर ये मेहरबानी बिहार सरकार ने की है. फिलहाल बाहुबली अपने बेटे की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल पर जेल से बाहर आए हैं और अब पूरी उम्मीद है कि उन्हें दोबारा से सलाखों के पीछे नहीं जाना होगा. सुशासन बाबू ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए नियमों तक में बदलाव कर डाला. अब इसकी चर्चा प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो रही है.
लोगों के मन में ये भी सवाल है कि क्या बिहार में एक बार फिर से आनंद मोहन की गुंडई चलेगी या इतने साल जेल में रहने के बाद उनमें कुछ सुधार हो गया होगा? इन सवालों का जवाब खुद आनंद मोहन ने दिया है. उनके जवाब को सुनकर तो नहीं लगता कि जेल की सलाखें भी बाहुबली को सुधार सकी हैं.
क्या आनंद मोहन में हुआ सुधार?
मंगलवार (25 अप्रैल) को आनंद मोहन ने मीडिया से बात की. इस दौरान एक पत्रकार ने उनसे यही सवाल किया. पूर्व सांसद ने हंसते हुए इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि व्यक्ति का नेचर और सिग्नेचर कभी नहीं बदलता है. वह अंतिम समय ही खत्म होता है. उनके इस बयान ने लोगों के दिल में थोड़ी दहशत जरूर पैदा कर दी है.
आनंद मोहन कि रिहाई का विरोध
उधर IAS एसोसिएशन ने आनंद मोहन कि रिहाई का विरोध किया है और नीतीश सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की है. मृतक आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने भी इस फैसले की निंदा की है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार के इस फैसले से हमें दुख हुआ है. हमें लग रहा है कि यह सही नहीं हो रहा है. राजपूत वोट को पाने के लिए आनंद मोहन सिंह को जेल से बाहर किया गया है. नहीं तो एक अपराधी को रिहा करने की और क्या वजह हो सकती है. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन को अब टिकट दिया जाएगा ताकि वह नीतीश कुमार के लिए राजपूत वोट लाएं.
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नीतीश के फैसले के खिलाफ मायावती
यूपी में दलितों की बड़ी नेता कही जाने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस फैसले का विरोध किया है. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा कि नीतीश सरकार ने गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में दोषी पाए गए आनंद मोहन को रिहा करने के लिए नियमों बदलाव करके दलित विरोधी काम किया है. नीतीश सरकार के इस दलित विरोधी और अपराध समर्थक कार्य से देशभर में दलित समाज में काफी रोष है. सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए.