कोडरमा के डोमचांच प्रखंड में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग अभी भी मूलभूत समस्याओं से कोसों दूर है. मसनोडीह पंचायत के सखुआटांड़ और पिपराटांड़ गांव में रहने वाले आदिवासी परिवार के लोग खासकर इस मौसम में पानी की समस्या से को लेकर जद्दोजहद करना पड़ रहा है.
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कोडरमा: कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के मसनोडीह पंचायत के सखुआटांड़ और पिपराटांड़ में रहने वाले आदिवासी समाज के लोगों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. कुआं और चूआ का गंदा पानी पीकर गुजारा कर रहे हैं. बिजली पानी सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी यह दोनों गांव कोसों दूर है.
कोडरमा के डोमचांच प्रखंड में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग अभी भी मूलभूत समस्याओं से कोसों दूर है. मसनोडीह पंचायत के सखुआटांड़ और पिपराटांड़ गांव में रहने वाले आदिवासी परिवार के लोग खासकर इस मौसम में पानी की समस्या से को लेकर जद्दोजहद करना पड़ रहा है. इन दोनों गांव में ना तो जलापूर्ति योजना पहुंची है और ना ही चापानल और कुएं का निर्माण किया गया है. इन दोनों गांव में रहने वाले तकरीबन 200 आदिवासी परिवार खुद बनाए गए कुएं और चूआ से पानी लाने को विवश है. माथे पर चुआ और कुआं का पानी लेकर यह लोग हर रोज अपनी प्यास बुझाने के साथ-साथ रोजमर्रा के कामों को भी करते हैं.
गांव में आने जाने के लिए पक्की सड़क भी नहीं बनी है. ऐसे में कंकड़ीले और पथरीले रास्ते से होकर बच्चों और महिलाओं को पानी लेकर आने जाने में कई तरह की परेशानियां भी होती है. ये आदिवासी परिवार रांची के रिंग रोड के विस्थापित हैं और वहां रिंग रोड के निर्माण को लेकर इन्हें जंगली क्षेत्रों में बसाया गया था. जंगली क्षेत्र में रहने के साथ-साथ बाकी जरूरतों को आदिवासी परिवार के लोग खुद पूरा तो कर लेते हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं का इन गांव तक नहीं पहुंचने से इनकी जिंदगी अभाव में कट रही है.
यहां रहने वाले लोगों ने बताया कि पानी के साथ साथ सड़क और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी यह लोग कोसों दूर है. नेता और अधिकारी इनके गांव में आते हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा अब तक इन्हें कुछ भी नहीं मिला.
इनपुट- जी बिहार झारखंड
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