पटना: फरक्का बराज पर रिव्यू जरूरी, 1996 के जल संधि समझौते से बिहार को नुकसान: संजय झा
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पटना: फरक्का बराज पर रिव्यू जरूरी, 1996 के जल संधि समझौते से बिहार को नुकसान: संजय झा

शनिवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और गंगा नदी बेसिन प्रंबधन एवं अध्ययन केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित चतुर्थ इंडिया वाटर इंपैक्ट समिट 2019 में वैलिडिकटरी सेशन के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद बिहार के जल संसाधन मंत्री श्री संजय कुमार झा ने कही.

 बिहार के जल संसाधन मंत्री श्री संजय कुमार झा ने ये बातें कही.

पटना: शनिवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और गंगा नदी बेसिन प्रंबधन एवं अध्ययन केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित चतुर्थ इंडिया वाटर इंपैक्ट समिट 2019 में वैलिडिकटरी सेशन के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी.

इस दौरान उन्होंने आगे जलवायु परिवर्तन से उभर रही चुनौतियों का सामना करने के लिए बिहार में अनूठी जल-जीवन-हरियाली अभियान का जिक्र करते हुए कहा, 'इस अभियान का उद्देश्य राज्य में भूजल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जल संरक्षण के परम्परागत स्त्रोतों को पुनर्जीवित करना, नए जल स्रोतों का निर्माण करना और हरियाली का दायरा बढ़ाना है. इस अभियान में जन सहभागिता बढ़ाने के लिए आगामी 19 जनवरी 2020 को बिहार में दुनिया की सबसे बड़ी और अद्भुत मानव श्रृंखला का आयोजन किया जाएगा.'

उन्होंने आगे कहा, जल-जीवन-हरियाली के तहत धर्म और पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण गया, राजगीर और नवादा जिले को सालों भर पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल संसाधन विभाग गंगा जल उद्वह योजना पर कार्य कर रही है.

उन्होंने कोसी मेची और सकड़ी नाटा नदी जोड़ योजना पर जल संसाधन विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि योजना पूर्ण होने के बाद क्षेत्र को बाढ़ और सूखे की समस्या से निजात मिलेगी.

इस दौरान उन्होंने साल-दर-साल गंगा में घटते जल प्रवाह को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इसकी तलहटी में गाद भरता जा रहा है. ऐसे में अधिक पानी आने पर गंगा का प्रवाह क्षेत्र इसे वहन नहीं कर पाता है. 

उधर फरक्का बराज पर भी गंगा का अविरल प्रवाह नहीं हो पाने के कारण, बिहार में आनेवाला अतिरिक्त पानी गंगा के तटवर्ती जिलों में भीषण बाढ़ का कारण बन जाता है. इससे बिहार को नुकसान झेलना पड़ता है. ऐसे में गंगा के अविरल प्रवाह के मद्देनजर अंतरराज्यीय एवं अंतरराष्ट्रीय जल हिस्सेदारी समझौते और फरक्का बराज की जल निकासी क्षमता की फिर से समीक्षा करना अनिवार्य है.