Surya Madir Bihar: लोक आस्था के महापर्व छठ त्यौहार चल रहा है. बिहार, झारखंड, पूर्वांचल सहित दुनिया के जिस भी कोने में यहां के लोग रहते हैं इस पर्व को पूरी आस्था के साथ मनाते हैं.
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पटना : Surya Madir Bihar: लोक आस्था के महापर्व छठ त्यौहार चल रहा है. बिहार, झारखंड, पूर्वांचल सहित दुनिया के जिस भी कोने में यहां के लोग रहते हैं इस पर्व को पूरी आस्था के साथ मनाते हैं. ऐसे में हम बिहार के उन कुछ सूर्य मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां केवल छठ पर सूर्य को डूबते और उगते समय ही अर्घ्य देने का विधान नहीं है बल्कि इन मंदिरों में सूर्य को तीनों पहर अर्घ्य देने का विधान है.
गया में ब्रह्मा, विष्णु और शिव के रूप में विराजते हैं भगवान आदित्य
तो आइए हम आपको लेकर चलते हैं बिहार के मोक्ष नगरी या धार्मिक नगरी के तौर पर जाने जाने वाले गया में, यह बिहार का एक ऐसा शहर है जहां दिन के तीनों पहर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यहां भगवान आदित्य को सुबह दोपहर और शाम में अर्घ्य दिया जाता है. यहां के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान आदित्य ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेव के रूप में विराजते हैं. इसलिए यहां भगवान सूर्य को तीनों पहर अर्घ्य देने का विधान है.
विश्व में केवल दो मंदिर जिनमे विराजते हैं सूर्य अपने परिवार के साथ
गया में भगवान सूर्य के तीन स्वरूपों की पूजा होती है. इनमें जो प्रतिमाएं है उसमें सूर्य की प्रातः कालिन, मध्यकालिन और सायंकालिन प्रतिमाएं प्रमुख हैं. वायु पुराण हित कई सनातनी धार्मिक ग्रंथों में इस मंदिर का जिक्र किया गया है. बता दें कि यहां महेश्वर स्थित शीतला मंदिर में सूर्य की प्रातः कालीन प्रतिमा को अर्घ्य दिया जाता है. जहां भगवान आदित्य ब्रह्मा के रूप में विराजमान हैं. इसके बाद यहीं ब्राह्मणी घाट पर सूर्य देव भगवान शंकर के रूप में विराजते हैं और इनको यहां मध्याह्न में अर्घ्य दिया जाता है. यहां भगवान सूर्य के संपूर्ण परिवार की प्रतिमा है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण सतयुग में गयासुर ने कराया था. इसके साथ ही विष्णुपद स्थित सूर्यकुंड के पास भगवान आदित्य विष्णु रूप में विराजते हैं. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह भगवान ब्रह्मा ने बनवाया था और यहां संध्या अर्घ्य का विधान है. बता दें कि पूरी दुनिया में दो ही ऐसे मंदिर हैं जहां पूरा सूर्य परिवार विराजता है उसमें से एक मंदिर गया में स्थित है.
डेढ़ लाख साल पुराना है बिहार का यह सूर्य मंदिर
बिहार के औरंगाबाद जिले में भी एक सूर्य मंदिर है. जिसे लोगों की आस्था का केंद्र माना जाता है. कहते हैं कि यह मंदिर डेढ़ लाख साल पुराना है. यह अकेला सूर्य मंदिर है जिसका दरवाजा पश्चिमाभिमुख है. औरंगाबाद के इस मंदिर को देव सूर्य मंदिर के नाम से पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसका निर्माण एक रात में स्वयं भगवान के शिल्पी प्रभु विश्वकर्मा ने किया था. यहां सूर्य के तीनों रूप विराजमान हैं. वह चाहें उदयाचल हों, मध्याचल हों या अस्ताचल हों. यह मंदिर करीब-करीब सौ फीट ऊंचा है. यहां मंदिर के पास एक तालाब भी है जिसे सूर्यकुंड कहते हैं इसका विशेष महत्व है. यहां भी भगवान आदित्य ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में विराजते हैं. इस मंदिर की निर्माण बिना रेत, गारे और सिमेंट के हुआ है जो सच में लोगों का आकर्षित करता है.
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