Hartalika Teej: हरतालिका तीज हिंदू लोगों के लिए एक खास त्यौहार है. विवाहित महिलाएं इस पावन दिन विधि-विधान के साथ अपने पति के लंबे आयु, उनके अच्छे स्वास्थ्य और संतान के वृद्धि के लिए व्रत रखती है. हर साल हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. स्त्रियां बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ इस पूजा और व्रत को रखती है.
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Hartalika Teej: हरतालिका तीज का सनातन धर्म में एक विशेष महत्व है. विवाहित महिलाएं इस पावन दिन विधि-विधान के साथ अपने पति के लंबे आयु, उनके अच्छे स्वास्थ्य और संतान के वृद्धि के लिए इस व्रत को रखती है. हर साल हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. स्त्रियां बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ इस पूजा और व्रत को रखती है. मान्यता है कि हरतालिका तीज के दिन निर्जला व्रत रखने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही पति को दीर्घायु जीवन प्राप्त होता है.
शिव महापुराण के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को यह पर्व मनाने का उल्लेख है. इस बार तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. उदया तिथि के चलते हरतालिका तीज का व्रत 06 सितंबर हस्त नक्षत्र ब्रह्म योग को रखा जाना शास्त्र सम्मत है. इस साल रखा जाने वाला हरतालिका तीज का व्रत 14 वर्षों बाद अत्यधिक शुभ योग में रखा जाएगा. हरतालिका तीज व्रत के दिन श्रद्धालुओं को अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
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सौभाग्य का महापर्व
कहा जाता है कि हरतालिका तीज के दिन सुहागन स्त्रियां और बालिकाएं यानी कुवांरी लड़कियों को पूर्ण श्रृंगार करके ही पूजा करना चाहिए. इसके साथ ही वो भगवान शिव को लाल वस्त्र और सफेद फूल अर्पित करें. माता पार्वती को साड़ी और सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें. कहा जाता है कि हरतालिका तीज के दिन सौभाग्यवती महिलाएं माता पार्वती को विशेषकर बिछिया जरूर अर्पित करें. भगवान शिव से मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें. ऐसा करने से माता पार्वती प्रसन्न होती है. भगवान शिव और माता पार्वती आपके ऊपर प्रसन्न होकर मनचाहे फल की पूर्ति होने का आशीर्वाद देते हैं.
हरतालिका तीज का पावन त्यौहार इस वर्ष 6 सितंबर 2024, दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री वेदमूर्ति नंद सरस्वती जी ने बताया कि प्रतिवर्ष सौभाग्यवती स्त्रियां भाद्रपद शुक्ल तृतीया को यह पवित्र पर्व बड़ा ही हर्षोल्लास पूर्वक मनाती हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और फिर अगले दिन पूजा के बाद इस व्रत का पारण किया जाता है.
ऐसे तो साल में चार तीज आती हैं, लेकिन उन सभी में हरतालिका तीज का सबसे अधिक महत्व माना जाता है. शिव महापुराण के अनुसार, इस व्रत को कुंवारी लड़कियों द्वारा भी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए रखा जाता है. जैसे मां पार्वती भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए कठिन व्रत और तप की थी .
हरतालिका तीज पर विशेष संयोग
इस बार हरतालिका तीज विशेष संयोग बन रहे हैं. जो कि 14 सालों बाद ब्रह्म योग और हस्त नक्षत्र के कारण बन रही है. शुभ संयोग ग्रहों की जुगलबंदी है.
हरतालिका पूजन करने का शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज तिथि का प्रारंभ 05 सितंबर 2024, गुरुवार के दिन दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. इसलिए उदया तिथि के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 06 सितंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा.
प्रात:काल पूजा मुहूर्त सुबह 6 बजकर 3 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 32 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. प्रदोष काल पूजा मुहूर्त शाम के समय 6 बजकर 33 मिनट से रात के 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा.
मान्यता है कि इस शुभ संयोग में व्रत और पूजन करने से सुहागिनों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है.
बेहद कठिन माना जाता है हरतालिका तीज व्रत. इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए निराहार और निर्जला व्रत रखती हैं. हरतालिका तीज को हिंदू धर्म में सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है.
माना जाता है कि यह व्रत अत्यंत शुभ फलदायी होता है. हरतालिका तीज को हरियाली और कजरी तीज के बाद मनाते हैं. मान्यता है कि इस व्रत को एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जाता है. ऐसा शास्त्रों में कहा गया है. इस कठिन व्रत के दौरान जो महिलाएं रोग आदि से ग्रस्त हैं, वो पानी भी पी सकती हैं निर्णय सिंधु के अनुसार .
हरतालिका तीज महत्व
हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. घर में पुरे साल सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस व्रत को रखने वाली महिलाओं के घर में कभी किसी भी परिवार के सदस्य की अकाल मृत्यु नहीं होती है.
मान्यता है कि इस कठिन व्रत को करने से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है, संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है.
हरतालिका तीज पूजन विधि
हरतालिका तीज में श्री गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इसके लिए सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं और भगवान गणेश जी को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें.
इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र, मक्का, खीरा, अनरसा और मालपुआ आदि अर्पित करें. इसके साथ ही श्रद्धालु माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें.
तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरतालिका तीज व्रत कथा सुनें, ये आप किसी ब्राह्मण द्वारा या फिर खुद भी पढ़ कर सुन सकती है. इसके बाद षोडशोपचार पूजन के बाद भगवान भोलेनाथ और श्री गणेश की आरती व प्रदक्षिणा करें.
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रुद्राक्ष की माला से ऊँ नमः: शम्भवाय इस मंत्र का 108 बार जाप जरूर से करें. कहा जाता है कि हरतालिका व्रत के दिन रात्रि जागरण करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करके घर में सुख-शांति सदैव बना रहे इसके लिए भगवान सदाशिव के चरणों में साष्टांग प्रणाम करें. पुनः प्रातः: कालीन पार्थिव शिव परिवार का बहते हुए जल में विसर्जन करें. घर आकर यथा शक्ति ब्राह्मणों को दक्षिणा दें और अन्न वस्त्र का दान करें. आप चावल आटा चीनी दूध नमक आदि का दान अन में कर सकते हैं. इतना करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा से आपका पूरा परिवार सदैव आनंदित रहेंगे और भगवान भोलेनाथ सदैव रक्षा करेंगे.
इनपुट - प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री वेदमूर्तिनंद सरस्वती जी
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