रविंद्र कुमार की पुस्तक युवाओं में अत्यधिक चर्चित है, जिसमें उन्होंने न केवल अपनी एवरेस्ट यात्रा का विस्तार से वर्णन किया है, बल्कि युवाओं को सपनों को साकार करने की कुंजी ‘सकारात्मक मानसिक चित्रण’(एडवांस्ड पॉजिटिव विजुलाइजेशन) प्रविधि के रूप में सुझायी है.
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Patna: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने वर्ष 2019 के पुरस्कारों पर निर्णय लेने हेतु गठित पुरस्कार समिति की बैठक में बुलंदशहर के जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार की पुस्तक ‘एवरेस्ट: सपनों की उड़ान: सिफर से शिखर तक’ को यात्रा-वृतान्त विधा के अंतर्गत अंक 75,000/-रू0 के ‘सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय पुरस्कार’ से पुरस्कृत किये जाने की घोषणा की गई है.
बता दें कि रविन्द्र कुमार की पुस्तक पर पूर्व में भी राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उत्तर प्रदेश द्वारा एक लाख रुपए की धनराशि का ‘अमृत लाल नागर पुरस्कार’ प्रदान किया जा चुका है. रविंद्र कुमार की पुस्तक युवाओं में अत्यधिक चर्चित है, जिसमें उन्होंने न केवल अपनी एवरेस्ट यात्रा का विस्तार से वर्णन किया है, बल्कि युवाओं को सपनों को साकार करने की कुंजी ‘सकारात्मक मानसिक चित्रण’(एडवांस्ड पॉजिटिव विजुलाइजेशन) प्रविधि के रूप में सुझायी है.
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के वर्ष 2019 के ‘सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय पुरस्कार’ के लिए आज मेरी पुस्तक ‘एवरेस्ट: सपनों की उड़ान - सिफर से शिखर तक’ का चयन किया गया है ।
इसे पूर्व में ‘अमृत लाल नागर पुरस्कार’ से भी नवाज़ा जा चुका है।https://t.co/qnwWz6SVqM pic.twitter.com/7MTNXAbI99— Ravindra Kumar IAS (@IASEverester) February 26, 2021
बिहार के बेगूसराय में जन्में रविंद्र कुमार आईएएस अधिकारी होने के साथ-साथ एक कुशल पर्वतारोही हैं. वो एवरेस्ट (Mount Everest) चढ़ने वाले पहले एवं एकमात्र आईएएस अधिकारी हैं. इसके साथ ही रविंद्र कुमार चीन एवं नेपाल के रास्ते से दो बार माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले चन्द भारतीयां में से एक हैं. इन्होनें हिन्दी एवं अंग्रेज़ी माध्यम में दो प्रेरणादायक पुस्तकें: ‘एवरेस्ट: सपनों की उड़ान-सिफर से शिखर तक’ एवं ‘मेनी एवरेस्ट’ लिखी हैं तथा ‘माउंट एवरेस्ट- एक्सपीरियेंस द जर्नी’ नाम से कॉफी टेबल बुक भी प्रकाशित कराया है. इनके दो कविता संग्रह ‘आंतरिक अंतरिक्ष एवं स्वप्न यात्रा’ तथा ‘ललक’ प्रकाशित हो चुके हैं तथा तीन अन्य कविता संग्रह ‘नई आंखें’, ‘इक्कीसवीं सीढ़ी’ एवं ‘दूसरी जंग’ प्रकाशनाधीन हैं.