लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं JDU नेता नरेन्द्र सिंह, बांका सीट पर ठोका दावा
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लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं JDU नेता नरेन्द्र सिंह, बांका सीट पर ठोका दावा

नरेन्द्र सिंह ने बांका सीट पर दावा ठोक दिया है. इसके अलावा उन्होंने सवर्ण आरक्षण का पैमाना बदलने की मांग भी की है.

नरेंद्र सिंह ने बांका लोकसभा सीट पर ठोका दावा.

आशुतोष चंद्रा, पटना/बांका : बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन (एनडीए) के घटक दलों के बीच सीटों की संख्या का भले ही बंटवारा हो गया हो, लेकिन कौन सी पार्टी किस सीट पर लड़ेगी यह तय नहीं हुआ है. यही कारण है कि दावेदारी का दौर जारी है. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया है.

नरेन्द्र सिंह ने बांका सीट पर दावा ठोक दिया है. इसके अलावा उन्होंने सवर्ण आरक्षण का पैमाना बदलने की मांग भी की है. नरेन्द्र सिंह ने 12 लाख सलाना कमाने वाले सवर्णों को आरक्षण के दायरे में लाने की मांग की है.

लंबे समय से राजनीति में गुमनाम चल रहे जेडीयू के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह एकबार फिर सक्रीय हो गए हैं. नरेन्द्र सिंह ने राजनीति में अपनी सक्रियता बनाए रखने के लिए 12 फरवरी को पटना में एक बड़ा कार्यक्रम करने का फैसला लिया है. महाराणा प्रताप और भामा साह की स्मृति में पूर्व मंत्री ने पटना के एसके मेमोरियल हॉल में भव्य कार्यक्रम करने की योजना तैयार की है.

कार्यक्रम का उद्घाटन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से संपर्क किया जा रहा है. पटना में एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान नरेन्द्र सिंह ने कहा कि हमारे महापुरुषों को सदौव जाति में बांध कर रखा जाता है, लेकिन वह महापुरुषों को जाति के बंधन से मुक्त करेंगे और बड़े पैमाने पर उनकी जयंति मनाएंगे.

नरेन्द्र सिंह ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसके लिए उनकी पहली प्राथमिकता वाली सीट बांका होगी. हलांकि पार्टी अगर चाहेगी तो वह वैशाली, काराकाट या फिर औरंगाबाद से भी चुनाव लड़ सकते हैं. नरेन्द्र सिंह ने कहा है कि पार्टी में कई योग्य उम्मीदवार हैं, लेकिन पार्टी को उनपर भरोसा है तो वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.

वहीं, सवर्ण आरक्षण को लेकर मचे सियासी घमासान पर नरेन्द्र सिंह ने अपनी अलग ही मांग सरकार का सामने रख दी है. नरेन्द्र सिंह ने कहा है कि सवर्ण आरक्षण का दायरा आठ से बढ़ाकर 12 लाख सालाना आमदनी वाले वर्ग तक करना चाहिए. वहीं, पांच एकड़ के बदले आठ एकड़ के किसानों को भी आरक्षण के दायरे में लाने की मांग रखी है.