एक तरफ सरकार बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने के लिए बड़े-बड़े दावे करती है. वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है. दरअसल, बिहार के सहरसा जिला मुख्यालय के पूरब बाजार स्थित राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में तकरीबन सात सौ नामांकित छात्राओं की पढ़ाई मात्र दो कमरों में होती है.
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सहरसा: एक तरफ सरकार बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने के लिए बड़े-बड़े दावे करती है. वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है. दरअसल, बिहार के सहरसा जिला मुख्यालय के पूरब बाजार स्थित राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में तकरीबन सात सौ नामांकित छात्राओं की पढ़ाई मात्र दो कमरों में होती है.
बारिश के वक्त स्कूल परिसर बन जाता है तालाब
विद्यालय में कुल नौ शिक्षक हैं. इस विद्यालय में न तो चार दिवारी है और न ही स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था है. जर्जर भवन में पठन पाठन करने वाली छात्राओं की परेशानी उस वक्त और बढ़ जाती है. जब कभी बारिश होती है, तो जर्जर भवन के छत से पानी गिरता है. जिससे बचने के लिए छात्राओं को क्लास के अंदर भी छतरी लगाकर पढ़ाई करनी पड़ती है. हल्की सी बारिश के बाद चारदीवारी विहीन स्कूल परिसर तालाब में तब्दील हो जाता है. स्कूल परिसर में चारदीवारी नहीं रहने की वजह से अवांछित लोग और आवारा पशुओं का आना जाना लगा रहता है. साथ ही परिसर में गंदगी पड़ी रहती है.
दो कमरों में जैसे-तैसे होती है पढ़ाई
स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं ने अपनी परेशानी बयां करते हुए कहा कि मात्र दो कमरे में जैसे-तैसे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है. भीषण गर्मी में पंखा नहीं रहने की वजह से काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. जब कभी बारिश होती है तो क्लास में पानी टपकने लगता है. स्कूल के कैम्पस में जलजमाव की समस्या बनी रहती है. चारदीवारी नहीं रहने से आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. कैम्पस गंदगी से भरा रहता है. वहीं स्कूल के प्राचार्य की मानें तो वर्षों से इस स्कूल की यहीं स्थिति बनी हुई है. उन्होंने स्कूल के चारदीवारी और भवन के लिए कई बार विभाग को पत्र लिखा है, लेकिन आज तक कोई देखने तक नहीं आया है.
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