NTPC बवाल मामले में 200 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, प्रबंधन ने मांग मानने से किया इनकार
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NTPC बवाल मामले में 200 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, प्रबंधन ने मांग मानने से किया इनकार

चतरा जिले के टंडवा में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के खिलाफ पिछले 14 महीने से आंदोलित विस्थापितों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प का मामला अब बढ़ता जा रहा है.

 (फाइल फोटो)

Chatra: चतरा जिले के टंडवा में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के खिलाफ पिछले 14 महीने से आंदोलित विस्थापितों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प का मामला अब बढ़ता जा रहा है. इस मामले में एनटीपीसी प्रबंधन ने 200 से अधिक आंदोलनकारी भू-रैयतों और हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ टंडवा थाना में FIR दर्ज कराई है. इसके अलावा प्रबंधन का कहना है कि वो मुआवजा संबंधित किसी भी तरह की मांग को नहीं मानेंगे. 

नहीं किया जाएगा भुगतान

इस मामले को लेकर NTPC के मुख्य संपदा अधिकारी एनजे सिंह ने कहा कि एक ही जमीन का बार-बार अधिग्रहण और मुआवजा भुगतान नहीं किया जाता है. संपदा अधिकारी के अनुसार भू-रैयत और ग्रामीण 2004 में अधिग्रहित भूमि का रेट आज के हिसाब से मांग रहे हैं. जबकि 2015 में ही मुआवजे का भुगतान होने के बाद जमीन का पूरी तरह से एनटीपीसी के नाम दाखिल-खारिज हो चुका है. ऐसे में जब एनटीपीसी में भूमि अधिग्रहण का कार्य हो चुका है तो किसी भी परिस्थिति में रैयतों की मुआवजा वृद्धि की मांग को माना नहीं जाता है. 

कंपनी के पास है एकरारनामा

संपदा अधिकारी ने आगे कहा कि भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में रैयतों और ग्राम विकास सलाहकार समिति के साथ NTPC का लिखित सहमति एकरारनामा भी है, जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि एक बार मुआवजा भुगतान होने के बाद रैयत किसी भी तरह के मुआवजे की मांग कंपनी से नहीं करेंगे.'

उन्होंने आगे कहा कि भू-अर्जन अधिनियम के तहत जिला प्रशासन ने एक लाख 16 हजार से तीन लाख 28 हजार रुपया प्रति एकड़ की दर से भूमि का अधिग्रहण किया था. उसके बावजूद एनटीपीसी ने दरियादिली दिखाते हुए अबतक एकरूपता के तहत प्रभावित छह गांवों के सभी रैयतों को 15-15 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजे का भुगतान कर चुका है. 

संपदा अधिकारी ने आगे कहा कि चतरा के टंडवा में एनटीपीसी प्रबंधन को कुल 2273 एकड़ भूमि प्रोजेक्ट लगाने के लिए मिला है, जिसमें भू अर्जन अधिनियम के तहत जिला प्रशासन ने दो तिहाई जमीन रैयतों से मुआवजा भुगतान कर अधिग्रहित करके एनटीपीसी को सौंपा है. वहीं, एक तिहाई जमीन राज्य सरकार ने हस्तांतरित किया है.  NTPC के अनुसार 2004 में जिला प्रशासन के द्वारा रैयतों को सरकारी प्रावधानों के तहत एक लाख 16 हजार से लेकर 3 लाख 28 हजार तक का मुआवजा भुगतान प्रति एकड़ किया गया था. उसके बाद साल 2006 में मुआवजा कम होने की बात रैयतों के द्वारा NTPC प्रबंधन के सामने रखी गई थी. जिसके बाद एनटीपीसी प्रबंधन ने रैयतों और ग्राम विकास सलाहकार समिति से बात करने के बाद साल 2006-07 में मुआवजा राशि बढ़ाकर 4 लाख 35 हजार रुपये प्रति एकड़ के दर से रैयतों को भुगतान किया था. मुआवजा राशि लेने और कंपनी के साथ लिखित एकरारनामा के बाद रैयत फिर से उसी जमीन का मुआवजा प्रति एकड़ 15-15 लाख देने की मांग करने लगे. उसे भी मानते हुए एनटीपीसी ने भुगतान कर दिया. लेकिन अब तीसरी बार वे फिर से मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं जो सरासर गलत है. 

नहीं हो सकता है फिर से भुगतान

जमीन का मुआवजा बढ़ाने संबंधी अपनी मांगों को लेकर पिछले 13 महीने से रैयतों और ग्रामीणों के द्वारा परियोजना कार्यालय के पास आंदोलन किया जा रहा है. जिसको लेकर  NTPC के मुख्य संपदा अधिकारी एनजे सिंह ने कहा कि दो बार मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है, अब और संभव नहीं है. इस बाबत परियोजना के अलावा राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने मंत्रालय के माध्यम से भी रैयतों को अपने निर्णय से अवगत करा दिया है

(इनपुट:नमिता मिश्रा)

 

 

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